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भारतीय बल्लेबाज़ी संयोजन : श्रेयस अय्यर या फिर हनुमा विहारी, या दोनों?

प्रत्येक विकल्प का फ़ायदा भी है तो नुक़सान भी, बॉक्सिंग डे टेस्ट से पहले इसका सही जवाब मिलना मुश्किल है

हनुमा विहारी ने घर से बाहर 11 टेस्ट खेले हैं और इनमें उनका औसत चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली से बेहतर है  •  Ricardo Mazalan/Associated Press

हनुमा विहारी ने घर से बाहर 11 टेस्ट खेले हैं और इनमें उनका औसत चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली से बेहतर है  •  Ricardo Mazalan/Associated Press

श्रेयस अय्यर, हनुमा विहारी, इनमें से कोई एक, या दोनों? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो टीम मैनेजमेंट को साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ होने वाले पहले टेस्ट मैच की एक रात पहले तक परेशान करते रहेंगे।
रवींद्र जाडेजा इस दौरे से बाहर हैं, लिहाज़ा पांच गेंदबाज़ों वाला संतुलन अगर बनाना हुआ तो फिर कप्तान और टीम मैनेजमेंट को कुछ कड़े फ़ैसले लेने पड़ सकते हैं। लिहाज़ा हर विकल्प खुला हुआ है यहां तक कि फ़ॉर्म से जूझ रहे अनुभवी अजिंक्य रहाणे पर भी जगह बचा पाने का दबाव बना हुआ है।
अय्यर के पक्ष में जो बात जा रही है वह ये है कि उन्हें न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू टेस्ट सीरीज़ में जो मौक़ा मिला, उसे उन्होंने बेहतरीन अंदाज़ में डेब्यू पर ही शतक और अर्धशतक जड़ते हुए भुना लिया है। प्रथम श्रेणी मुक़ाबलों में भी अय्यर का प्रदर्शन शानदार रहा है, उन्होंने अब तक 56 प्रथम श्रेणी मैच में 80.22 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं।
घरेलू सीरीज़ में अय्यर जहां रंग में थे तो साउथ अफ़्रीका दौरे पर भारत ए की तरफ़ से खेलते हुए विहारी के बल्ले से भी जमकर रन आए हैं। विहारी ने इस दौरे पर 25, 54, 72*, 63 और 13* रन बनाते हुए पहले टेस्ट मैच के लिए मज़बूत दावेदारी पेश कर दी है।
अय्यर ने अब तक वही किया है जो इस दौर के बल्लेबाज़ करते हैं, यानि तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ संभल कर खेलना और ख़राब गेंदों का इंतज़ार करना, और जब स्पिन गेंदबाज़ आएं तो आक्रमण करना। तो वहीं मयंक अग्रवाल ने भी मुंबई टेस्ट के दौरान कुछ वैसी ही पारी खेली थी। मयंक ने 150 रन की उस पारी के दौरान तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ 119 गेंदों पर 45 रन बनाए थे, जबकि स्पिनर्स के ख़िलाफ़ 192 गेंदों पर 105 रन बनाए थे।
दोनों ही बल्लेबाज़ों की पारी अपने में ख़ास थी लेकिन साउथ अफ़्रीका में बल्लेबाज़ों के सामने चुनौती बिल्कुल उलट होगी। पिछली बार जब भारत ने साउथ अफ़्रीका का दौरा किया था तो तीन टेस्ट के दौरान भारतीय बल्लेबाज़ों को अफ़्रीका के तेज़ गेंदबाज़ों द्वारा 2278 गेंदों का सामना करना पड़ा था, जबकि अफ़्रीकी स्पिनर्स ने केवल 216 गेंद डाली थीं।
अगर किसी को चोट नहीं लगती तो फिर ये क़रीब क़रीब तय है कि सेंचुरियन में होने वाले पहले टेस्ट में केएल राहुल के साथ मयंक पारी का आग़ाज़ करते हुए नज़र आएंगे। 2020-21 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे के बाद मयंक ने अपने स्टांस में भी परिवर्तन किया है, लेकिन इससे ये तय नहीं हो जाता कि वह तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ अब सहज हैं। उदाहरण के तौर पर कानपुर टेस्ट की पहली पारी में वह तेज़ गेंदबाज़ के ख़िलाफ़ विकेट के पीछे ही लपके गए थे, उनकी समस्या अभी भी फ़्रंट-फ़ुट पर पूरी तरह आगे आकर न खेलना बनी हुई है, जिसे अफ़्रीकी तेज़ गेंदबाज़ निशाना बना सकते हैं।
विहारी के लिए क्या है? 12 में से 11 टेस्ट मैच विहारी ने घर से बाहर खेले हैं और इस दौरान उन्होंने ख़ुद को साबित भी किया है। तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ उनकी तक़नीक बेहतरीन है, ओवल में खेले अपने डेब्यू टेस्ट में ही विहारी ने अर्धशतक जड़ा था। इसके बाद लाल ड्यूक गेंद से वेस्टइंडीज़ के तेज़ गेंदबाज़ों के सामने उन्हीं के घर में विहारी ने 93 और 111 रन की पारी भी खेली। क्रास्टचर्च टेस्ट में न्यूज़ीलैंड की सीम गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ उनकी 55 रन की काउंटरअटैक पारी सभी के ज़ेहन में आज भी ज़िंदा है। और फिर एक पैर से चोटिल होने के बावजूद सिडनी टेस्ट में 237 गेंदों का सामना करते हुए भारत के सिर से हार का ख़तरा टलवाने वाली उस ऐतिहासिक पारी का तो कोई जवाब नहीं।
हालांकि उस पारी के बाद से अब तक फिर विहारी को भारत की ओर से खेलने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ है, टेस्ट में 32.84 की औसत रखने वाले विहारी पहले टेस्ट में जगह बना पाएंगे या नहीं, इस पर कुछ भी साफ़-साफ़ नहीं कहा जा सकता।
आप भले ही बहस कर सकते हैं कि हमेशा ही विहारी एक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भारत के लिए खेलते हैं और इसके बावजूद भारत के बाहर जिन 11 टेस्ट में उन्होंने खेला है उसमें उनकी औसत (34.11) चेतेश्वर पुजारा (34.00) और विराट कोहली (32.11) से ज़्यादा है। लेकिन फिर भी अगर अय्यर बॉक्सिंग डे टेस्ट में उनसे बाज़ी मारते हुए नज़र आए तो हैरान होने वाली बात नहीं होगी।
लिहाज़ा अंत में बात फिर वहीं आकर रुक जाती है कि सेंचुरियन में भारत के मध्य क्रम में कौन खेलेगा - अय्यर या विहारी या फिर दोनों? ये एक ऐसा मुश्किल सवाल है जिसका न तो कोई सही जवाब हो सकता है और न ही ग़लत।

कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब-एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट सैयद हुसैन ने किया है।