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पीढ़ी दर पीढ़ी प्रेरणास्रोत होना है मिताली राज की सबसे बड़ी उपलब्धि

उन्हें भारत में महिला क्रिकेट को मेनस्ट्रीम में लाने के लिए ज़रूर याद किया जाएगा

Mithali Raj poses for a photo, England v India, Women's World Cup, Final, London, July 23, 2017

मिताली राज ने महिला क्रिकेट को गरिमा और सम्मान दिलाया  •  Harry Trump/ICC/Getty Images

मिताली राज ने एक बार मुझसे कहा था, "स्पोर्ट्स पेज के एक कोने में महिला क्रिकेट को कवर होते देख-देख मैं थक चुकी हूं। हमें इसे फ़्रंट पेज पर लाना है।"
2012 में श्रीलंका में खेले जा रहे महिला टी20 विश्व कप के दौरान मैंने पहली बार उनकी भावनाओं को उमड़ते देखा था। भारत टूर्नामेंट के ग्रुप स्टेज़ से ही बाहर हो गया था। उस समय निराश मिताली राज को और शर्मिंदगी झेलनी पड़ी जब उन्हें प्रेस कॉन्फ़्रेंस रूम में दाएं-बाएं देखने को कहा गया, और उन्हें लगा जैसे कि वो चारों ओर से आ रहे सवालों का जवाब दे रही हों, पर वास्तव में वहां एक पत्रकार जो इस स्टोरी की लेखक है और एक कैमरापर्सन मौजूद थे। गॉल के उस प्रेंस कॉन्फ़्रेंस से जाते वक़्त मिताली ने कहा, "उम्मीद है आने वाले वर्षों में महिला क्रिकेट के प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भी भारी संख्या में लोग मैजूद रहेंगे, और उस समय भी मैं खेल रही होऊंगी।"
ठीक इससे तीन सप्ताह पहले बैंगलोर में प्री-वर्ल्ड कप प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान अकेले ही दस मिनट तक इंतज़ार करना पड़ा। तब जाकर टीम मैनेजर ने उन्हें बताया कि प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एक भी पत्रकार के नहीं आने के कारण इसे कैंसिल कर दिया गया है। थोड़ी देर बाद जब भारतीय पुरुष टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने प्री-वर्ल्ड कप प्रेस कॉन्फ़्रेंस किया तो भीड़ के कारण इवेंट की व्यवस्था चरमरा गई थी।
मिताली राज द्वारा कैंसिल किए गए प्रेस कॉन्फ़्रेंस की घटना से पता चलता है कि भारत में महिला क्रिकेट के साथ किस तरह भेदभाव का व्यवहार किया जाता है, और इसी तरह के व्यवहार का सामना उन्हें अपने पूरे करियर के दौरान करना पड़ा।
मिताली राज ने इसके बाद भी तीन वनडे और टी20 विश्व कप खेला (कुल 12)। यह दिखता है कि वह महिला क्रिकेट को मेनस्ट्रीम में जगह दिलाने को लेकर कितनी प्रतिबद्ध और बेताब थीं। 2012 विश्व कप के पांच साल बाद, उनका सपना सच हो गया जब भारत, इंग्लैंड में 2017 विश्व कप का उपविजेता बना।
2017 विश्व कप के बाद, जब टीम वापस भारत आई तो मुंबई एयरपोर्ट पर उन्हें देखने के लिए फ़ैंस और पत्रकारों का तांता लग गया था। इस अप्रत्याशित भीड़ के कारण पूरी टीम को सुरक्षा घेरा बनाकर बाहर निकाला गया। मिताली राज को आख़िरकार अब बिना मांगे ही पहचान मिलने लगी थीॉ। वह अपनी टीम के साथ मज़बूती से अख़बारों के फ़्रंट पेज पर मौजूद थीं। अब वे गुमनामी के जीवन से निकलकर सार्वजनिक चकाचौंध में पहुंच चुके थे। इसके बाद उनका भव्य स्वागत हुआ, उन्हें टीवी कैंपेन, विज्ञापनों, और जाने-माने हस्तियों के बीच पहचाना जाने लगा। जिसके कारण उनकी आर्थिक बदहाली भी बदली।
मिताली ने लोगों को याद दिलाया कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम विश्व कप के फ़ाइनल में पहली बार नहीं पहुंची है, इसके पहले भी 2005 में हम फ़ाइनल में पहुंचे थे। हालांकि हमें उस समय दर्शकों का इतना प्यार नहीं मिला था।
अगर 2017 में भी मिताली संन्यास ले चुकी होतीं तब भी वह महिला क्रिकेट के अगुआ के रूप में जानी जातीं। उस समय तक वह पहले ही 18 साल तक खेल चुकी थीं। वह एक समय पर महिला वनडे क्रिकेट में सबसे कम उम्र में शतक लगाने वाली खिलाड़ी थीं, और वह इसी फ़ॉर्मैट में सबसे ज़्यादा मैच खेलने वाली खिलाड़ी थीं। उन्हें प्रतिष्ठीत अर्जुन अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को चार एशिया कप ख़िताब (तीन वनडे और एक टी20) जीताया था। इनके कारनामों की लिस्ट काफ़ी लंबी है। लेकिन 2017 में मिलने वाला समर्थन इसमें से किसी भी जीत से सबसे ज़्यादा संतोषजनक था। जब फ़ैंस उनको समर्थन में झूम रहे थे, इससे वे रातों-रात सितारा बन चुके थे। यह बताता है कि चीज़ें कैसे बदल जाती है।
2016 में जब मैं उनका प्रोफ़ाइल लिखने के लिए हैदराबाद में उनके घर गया, तो हमने अन्य बातों के अलावा सोशल मीडिया के बारे में बात की। तब उनके कुछ सौ ट्विटर फ़ॉलोअर्स थे। मैंने मज़ाक किया, "आपको लाइमलाइट क्यों पसंद नहीं है? क्या यह जानने के लिए लोग लाइन लगाए खड़े नहीं हैं कि आप क्या खा रही हैं और क्या कर रही हैं।" इस पर वे हंस पड़ी।
बुधवार को जब मिताली ने सोशल मीडिया पर अपने संन्यास की घोषणा की तो ट्विटर और इंस्टाग्राम पर उनके 25 लाख से अधिक फ़ॉलोअर्स थे, और वह ट्विटर पर ट्रेंडिंग टॉपिक के बीच, फिर से स्पोर्ट्स पेजों पर देश की सबसे चर्चित महिला थीं। उस वक़्त मैं दस साल पहले गॉल के खाली प्रेस कॉन्फ़्रेंस की घटना को याद करने से ख़ुद का ना रोक सका।
उनके खाते में विश्व कप ख़िताब की कमी उनकी विरासत को परिभाषित नहीं कर सकती। उनके रन, घंटों की मेहनत, जिस तरह से उन्होंने लड़कियों की एक पीढ़ी को क्रिकेट को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया। यही उनकी विरासत को परिभाषित करता है।
आपको लग सकता है कि क्या मिताली राज ने अपने संन्यास में कुछ वर्षों की देरी कर दी, लेकिन यह भारतीय क्रिकेट में उनके अमूर्त योगदान को चाहकर भी कोई झुठला नहीं सकता । रनों और विकेटों, ट्राफ़ीयों के परे, उन्होंने महिला क्रिकेट को गरिमा और सम्मान दिया। मांधना, रॉड्रिग्स और शेफ़ाली के लिए हर मायने में उनके लिए एक आदर्श थीं।
हरमनप्रीत कौर, जो मिताली के बाद भारत की कमान संभालेंगी, उन्होंने मिताली के बारे में कहा, "क्रिकेट मेरे लिए एक सपना था, और जब मैंने अपने करियर की शुरुआत की तो मुझे नहीं पता था कि महिला क्रिकेट का कोई वजूद है, लेकिन बस हमने केवल एक ही नाम सुना और जाना, और वह हैं मिताली दी। आपने सभी युवा लड़कियों के सिए बड़े सपने के बीज बोए और उन्हें इस खेल को अपना करियर बनाने के लिए प्रेरणा दिया।"
39 साल की उम्र में मिताली राज के करियर की दूसरी शुरुआत के भी संकेत मिल रहे हैं। उनके पास कई सारे विकल्प मौजूद हैं। वह क्रिकेट कोचिंग, प्रशासनिक ज़िम्मेवारी और कॉमेंट्री में से कोई भी एक करियर चुन सकती हैं। वह जो कुछ भी चुनती हैं, वह केवल एक प्रेरणस्रोत के रूप में उनकी विरासत को और आगे बढ़ाएगी जिसने एक बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के एडिटोरियल फ़्रीलांसर कुणाल किशोर ने किया है।