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खिलाड़ियों में निवेश का भरपूर लाभ उठा रही है राजस्थान रॉयल्स

पंजाब किंग्स को अभी भी अपनी प्लेइंग इलेवन की तलाश है

पंजाब किंग्स को बदलाव करना पसंद है और राजस्थान रॉयल्स को बिल्कुल भी नहीं। दोनों ख़ेमों ने बड़ी नीलामी में अपनी टीम का रूप बदल दिया। उन्होंने छक्के लगाने की क्षमता पर ध्यान केंद्रित किया था और यही कारण है कि इस सीज़न में सर्वाधिक छक्के लगाने के मामले में राजस्थान (102 छक्कों के साथ) पहले और पंजाब (82) दूसरे स्थान पर हैं।
इससे तो काफ़ी कुछ आसान हो जाना चाहिए ना? जी नहीं, यह निर्भर करता है कि आप किस टीम का हिस्सा हैं। सीज़न में 11 मैच खेलने के बाद भी पंजाब ने टीम संयोजन प्राप्त करने के चक्कर में अपना काम बिगाड़ दिया है। वहीं दूसरी तरफ़ राजस्थान अपनी इकलौती योजना पर टिकी हुई है। यह कारण है कि 2018 के बाद यह उनका सबसे सफल सीज़न साबित हो रहा है और वह एक जीत के साथ प्लेऑफ़ में जाने के बेहद क़रीब है।
पंजाब की बल्लेबाज़ी पर सवाल उठते ही रहते हैं। अगर पिछले साल के एल राहुल का स्ट्राइक रेट चिंता का विषय था, इस सीज़न में बल्लेबाज़ों के इस्तेमाल पर सवालिया निशान बनते जा रहे हैं।इस सीज़न में वह करो या मरो की रणनीति के साथ बल्लेबाज़ी कर रहे हैं। यह मंत्र जब चलता है तो बहुत प्रभावित करता है, जैसे सीज़न के पहले मैच में उन्होंने एक ओवर शेष रहते रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के विरुद्ध 206 रन का लक्ष्य हासिल कर लिया। हालांकि यह मंत्र जब काम नहीं करता तो बड़ी हार मिलती है। अब जब सीज़न अपने अंतिम पड़ाव की ओर आगे बढ़ रहा है और पंजाब इस स्थिति में जा पहुंची है जहां से प्रत्येक मुक़ाबले में जीत दर्ज करते हुए ही वह अंतिम चार में जा सकती है, शायद उनके लिए अपनी रणनीति में बदलाव करने का समय आ गया है।
सनराइज़र्स हैदराबाद के लिए डेविड वॉर्नर के साथ एक ख़तरनाक सलामी जोड़ी बनाने वाले जॉनी बेयरस्टो ने मध्य क्रम में खेलते हुए छह मैचों में केवल एक बार 30 से अधिक रन बनाए। अन्य टीमें इस आंकड़े को देखकर बदलाव कर देतीं लेकिन उनके अन्य विकल्प हरफ़नमौला ओडीन स्मिथ ने अपनी गेंदबाज़ी से निराश किया है और पंजाब को लगता है कि उन्हें एक विशेषज्ञ बल्लेबाज़ के रूप में खिलाना ख़तरे से खाली नहीं होगा। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए उन्होंने बेयरस्टो को शीर्ष क्रम में शिखर धवन के साथ ओपनिंग करने की ज़िम्मेदारी दी हैं। हालांकि ऐसा करने के लिए उन्हें अपने कप्तान मयंक अग्रवाल को मध्य क्रम में धकेलना पड़ा है। 2014 से सभी टी20 मैचों में मयंक ने केवल पांच मौक़ों पर चौथे नंबर या उससे नीचे बल्लेबाज़ी की हैं। उनका खेल पावरप्ले में तेज़ गति से रन बनाने पर आधारित है। कप्तान इतनी आसानी से अपने खेल में इतना बड़ा बदलाव नहीं करते हैं और तब तो बिल्कुल भी नहीं जब यह उनका पहला सीज़न हो।यह पंजाब का लचीलापन ज़रूर दिखाता है लेकिन साथ ही यह भी दर्शाता है कि जब ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी करने की उनकी योजना काम नहीं आई तो उन्हें जल्दबाज़ी में बहुत बड़ा परिवर्तन करना पड़ा।
वहीं राजस्थान की टीम में लोगों की भूमिकाएं स्पष्ट रूप से दिखती हैं। मिसाल के तौर पर रियान पराग जिन्हें टीम ने फ़िनिशर के रोल के लिए तैयार किया है। हालांकि ऐसे रोल में अक्सर आपको अधिक गेंदें नहीं मिलती और पराग के लिए इस सीज़न का पहला हिस्सा काफ़ी निराशाजनक था। इसके बावजूद टीम प्रबंधन ने उन्हें बैक किया और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के ख़िलाफ़ उन्होंने सीज़न के अपने सातवें मैच में विपरीत परिस्थितियों में एक मैच जिताऊ अर्धशतक दे मारा। इस पारी में उन्हें अपने प्राकृतिक आक्रामक अंदाज़ से हटकर बल्लेबाज़ी करनी पड़ी। टीम को स्थिरता देने के बाद ही बड़े शॉट लगाने का समय मिला। पराग की ही तरह उन्होंने देवदत्त पड़िक्कल को भी समझाया है कि उन्हें भी तीसरे या चौथे नंबर पर बल्लेबाज़ी करनी पड़ सकती है। हालांकि अब तक उन्हें बहुत ज़्यादा सफलता नहीं मिली है।
टीम प्रबंधन ने जॉस बटलर को स्वतंत्रता से बल्लेबाज़ी करने को कहा है और फलस्वरूप वह काफ़ी हफ़्तों से ऑरेंज कैप के हक़दार रहे हैं। संजू सैमसन नंबर तीन पर आकर आक्रामकता में कोई कमी नहीं होने देते तो वहीं शिमरॉन हेटमायर पराग की तरह आख़िर के ओवरों में टीम की नय्या पार लगाने की ज़िम्मेदारी लेते हैं। हेटमायर इस चुनौती को कितने आश्वासन से निभा रहे हैं वह शनिवार को ज़ाहिर हुआ जब उन्होंने पड़िक्कल की धीमी बल्लेबाज़ी के बावजूद एक तनावपूर्ण चेज़ को अंजाम दिया। राजस्थान ने कुछ मैचों में उन्हें दिनेश कार्तिक की तरह देर से भेजने के उद्देश्य से आर अश्विन को भी उनके आगे खिलाया है और हेटमायर ने अब तक उन्हें निराश नहीं किया।
गेंद के साथ प्रसिद्ध कृष्णा नई गेंद और मिडिल ओवर्स में बढ़िया गेंदबाज़ी कर रहे हैं। अश्विन और युज़वेंद्र चहल उनके भरोसेमंद गेंदबाज़ हैं जो मैच की परिस्थिति और मैचअप के हिसाब से अपना काम कर जाते हैं। ट्रेंट बोल्ट ज़रूर पहले चार मैचों में 7.3 की इकॉनमी से सात विकेट लेने के बाद फ़िलहाल ख़राब फ़ॉर्म से परेशान हैं। जिन 28 गेंदबाज़ों ने 15-20 ओवर के बीच इस सीज़न सात या उससे अधिक ओवर डाले हैं, उनमें बोल्ट की 13.62 की इकॉनमी सबसे ज़्यादा है। फिर भी टीम ने उनपर हर मैच में भरोसा जताया है।
ऐसा नहीं है कि राजस्थान ने कोई ग़लती नहीं की लेकिन ऐसा लगता है उन्होंने पुरानी ग़लतियों से सीख ली है। 2020 में रॉबिन उथप्पा को कई बार ऊपर नीचे किया गया था लेकिन इस बार बल्लेबाज़ों को तभी बदला जाता है जब हालात और विपक्ष को परास्त करने की यही मांग हो। जैसा कि शनिवार को करुण नायर को ड्रॉप करके यशस्वी जायसवाल को खिलाने का फ़ैसला। जायसवाल ने बटलर के साथ खेलते हुए अपनी गेम में भी कुछ प्रयोग किए और एक बेहतरीन अर्धशतक बनाया और एक नाज़ुक स्थिति में उनके आउट होंने के बाद भी राजस्थान के साथ पर्याप्त बल्लेबाज़ी बची थी।
ऐसी प्लेयर की बैकिंग पंजाब नहीं कर पाया है। सीज़न के शुरुआती दौर में ही उन्होंने अच्छी फ़ॉर्म में दिख रहे भानुका राजापक्षा को एकादश से बाहर कर दिया था। स्मिथ पर भी भरोसा जताने के बाद गाज आ गिरा। तेज़ गेंदबाज़ वैभव अरोड़ा जब लय में आ रहे थे तब जाकर ड्रॉप हो गए। उनकी जगह लेने वाले अनुभवी संदीप शर्मा को जब स्विंग नहीं मिलती तो उनकी गेंदबाज़ी उतनी कारगर नहीं दिखती। कुल मिलाकर चार मैचों के शेष रहते पंजाब को अपनी सर्वश्रेष्ठ एकादश नहीं पता। इस फ़्रैंचाइज़ की एक दुर्भाग्यपूर्ण ख्याति है कि यहां कोच को कई बार बदला जाता है और नतीजे भी टीम के हिसाब से नहीं आते। 2020 में अनिल कुंबले को कोच बनाने के बाद से कम से कम एक आदत में बदलाव आया है लेकिन अब तक टीम टाइटल के भी क़रीब नहीं पहुंची है।
उन्होंने पहले अश्विन को खोया और फिर के एल राहुल को। इस साल टीम और समर्थकों को लगा कि शायद ख़िताब जीतने लायक टीम का गठन आख़िरकार हो गया है। उन उम्मीदों पर काफ़ी हद तक पानी फेरा गया है और एक बार फिर इस टीम को प्लेऑफ़ में जगह बनाने के लिए अपने सारे मैच जीतने ही होंगे।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo के स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।