सौरभ तिवारी : अपनी सबसे प्यारी चीज़ को अलविदा कहना आसान नहीं होता दोस्त
अपने करियर के आख़िरी दिन पर सौरभ ने की एक अधूरे सपने की बात
राजन राज
19-Feb-2024
अपने कोच काजल दास के साथ सौरभ•Rajan Raj/ESPNcricinfo Ltd
जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम में झारखंड और राजस्थान के बीच खेले गए मैच से पहले झारखंड और हरियाणा के बीच एक मैच खेला गया था। उस मैच के ख़त्म होने के बाद जमशेदपुर के कीनन स्टेडियन में एक छोटा सा बच्चा मैदान में घुस आया था। गार्ड ने जब उसे रोकने की कोशिश की तो वह रोने लगा और लगातार कहे जा रहा था कि मुझे सौरभ भैया के साथ सेल्फ़ी लेनी है। हालांकि सौरभ तिवारी वहां नहीं थे और उस बच्चे के साथ उनकी मुलाक़ात नहीं हो पाई। ऐसी ही एक दो घटना और हुई, जहां फ़ैंस सौरभ से मिलने के लिए मैदान में घुस जा रहे थे।
इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आज भी झारखंड में उनकी लोकप्रियता देखते ही बनती है। इसके अलावा कुछ दिन पहले से ही जमशेदपुर के आस-पास के इलाकों में यह ख़बर फैल गई थी कि सौरभ संन्यास लेने वाले हैं और 12 फ़रवरी को उन्होंने आधिकारिक घोषणा भी कर दी थी।
प्रशंसकों के साथ सेल्फ़ी लेते सौरभ•Rajan Raj/ESPNcricinfo Ltd
जब सौरभ को उस बच्चे के बारे में बताया गया तो उन्हें बहुत अफ़सोस हुआ कि वह वहां नहीं थे। झारखंड की दूसरी पारी में जब सौरभ बल्लेबाज़ी करने आए तो राजस्थान के खिलाड़ियों ने उन्हें गॉर्ड ऑफ़ ऑनर दिया था। मैच के बाद सौरभ से जब पूछा गया कि यह कैसा एहसास था तो उनके चेहरे पर भावुकता का संचार साफ़ देखा जा सकता था।
उन्होंने कहा, "अपनी सबसी प्यारी चीज़ को अलविदा कहना आसान नहीं होता है दोस्त...ड्रेसिंग रूम से से जब मैं मैदान में अंदर घुस रहा था तो मैं बहुत ही इमोशनल था। बचपन से लेकर अब तक का सफ़र मेरी आंखों के सामने दौड़ रहा था। इसी मैदान से मैंने अपना सफ़र शुरू किया और यहीं ख़त्म कर रहा हूं। मेरे कोच (काजल दास) और मुझे प्यार करने वाले कई लोग यहां मौजूद थे। ऐसी चीज़ों की व्यख्या करने के लिए कभी-कभी आपके पास शब्द नहीं होते और मैं अभी उसी स्थिति में हूं। "
जैसे ही राजस्थान और झारखंड का मैच ख़त्म हुआ तो उसके बाद सौरभ पिच की तरफ़ गए और नम आंखों के साथ उसे चूम लिया। सौरभ ने यहीं से अपने सफर की शुरुआत की थी और यहीं उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहा।
अपने करियर के अंतिम मैच को जीतने के बाद सौरभ तिवारी पिच की तरफ़ गए और नम आंखों के साथ उसे चूमते हुए क्रिकेट को अलविदा कहा #RanjiTrophy pic.twitter.com/mpeDbV4aix
— ESPNcricinfo हिंदी (@CricinfoHindi) February 19, 2024
सौरभ के कोच काजल दास झारखंड टीम के भी कोच रह चुके हैं। वह भी मैदान पर ही मौजूद थे। एक पुरानी घटना को याद करते हुए, वह भी थोड़ा भावुक हो जाते हैं। वह कहते हैं, "अंडर 15 या अंडर 16 में सौरभ को अभ्यास के दौरान सिर के पास चोट लग गई थी और उसके कारण उसे स्टिचेस भी लगे। वह हॉस्पिटल से सीधे मेरे पास आया। मैंने उससे कहा कि पैड पहनो और अभ्यास के लिए जाओ और वह लड़का बिना डरे पैड पहन कर अभ्यास करने चला गया। पांच-छह गेंद फेस करने के बाद उसे मैंने वापस बुला लिया। मैं बस उसे टेस्ट करना चाह रहा था। सौरभ जैसा डेडिकेटेड स्टुडेंट मुझे आज तक नहीं मिला। मैदान पर मौजूद रहने की और रन बनाने की उसकी जो भूख थी, वैसा मैंने अब तक के कोचिंग करियर में नहीं देखा।"
सौरभ ने भारतीय टीम का कैप पहना, उन्होंने IPL में भी अच्छा-ख़ासा नाम कमाया और 2010 में इमर्जिंग प्लेयर ऑफ़ सीज़न भी बने। झारखंड की टीम को घरेलू टूर्नामेंट में जो एकमात्र ट्रॉफ़ी मिली, वह भी सौरभ की कप्तानी में मिली। इसके बावजूद सौरभ की एक ख़्वाहिश अधूरी रह गई।
सौरभ कहते हैं, "क्रिकेट ने मुझे दो चीज़ें सिखाई हैं। एक तो आपको हर चीज़ के लिए संघर्ष करना होता है और दूसरी बात यह कि आपको जीवन में सब कुछ नहीं मिल जाएगा। कुछ चीज़ें अधूरी रहेंगी। मेरा सपना था कि हम रणजी ट्रॉफ़ी जीतेंगे लेकिन मेरे खेलेते हुए ऐसा नहीं हो पाया लेकिन फिर से वही संघर्ष करने वाली बात आ जाती है। मैं अब मैदान से बाहर अपनी टीम को रणजी ट्रॉफ़ी दिलाने का प्रयास करूंगा। ऐसा करने के लिए मुझे जितनी भी मेहनत करनी पड़े, करूंगा।"
टीम के नियमित कप्तान विराट सिंह ने सौरभ से इस मैच में कप्तानी करने का आग्रह किया था और कप्तान सौरभ ने इसे स्वीकार कर लिया था। अपने करियर के अंतिम मैच को जीतने के बाद वह पिच की तरफ़ गए और नम आंखों के साथ उसे चूमते हुए क्रिकेट को अलविदा कहा।
राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं