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मोहम्मद शमी के कोच : मुश्किल समय में टूटे नहीं और मजबूत बने शमी

भारतीय तेज़ गेंदबाज़ की शानदार गेंदबाज़ी के पीछे छुपी है उनकी कड़ी मेहनत

Mohammed Shami took the first four wickets of New Zealand's innings, India vs New Zealand, ICC Men's World Cup 2023, 1st semi-final, Mumbai, November 15, 2023

शमी फ़िलहाल विश्व कप 2023 में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं  •  ICC/Getty Images

कोई गेंदबाज़ जब गेंदबाज़ी की शुरुआत करता है तो उसको तेज़ गेंदबाज़ी के ए, बी, सी के बारे में बताया जाता है। ए से एक्‍यूरेसी, बी से बैलेंस और सी से कॉरिडोर। जिस किसी गेंदबाज़ में यह तीनों क्‍वालिटी मौजूद होती हैं तो वह बनता है एक बेहतरीन गेंदबाज़। मोहम्‍मद शमी के पास यह तीनों चीज़ बेहद ही शानदार हैं, जिसकी वजह से वह वनडे विश्‍व कप में आज दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ गेंदबाज़ बनकर उभरे हैं। हालां‍कि क़ामयाबी को पाने के पीछे छुपी है उनकी सालों की कड़ी मेहनत।
एक बार मोहम्‍मद शमी ने अपने बारे में सुना कि वह केवल टेस्‍ट के गेंदबाज़ हैं। वह खु़द को साबित करना चाहते थे और लग गए कड़ी मेहनत पर। अपने फ़ॉर्म हाउस में उन्‍होंने सफ़ेद गेंद को गिली करके फ्लड लाइट में रात में गेंदबाज़ी करना शुरू किया। वह अक्‍सर एक स्‍टंप को लगाकर गेंदबाज़ी करते और सीम बेहतरीन होने के साथ उन्‍हें एक ही स्‍थान पर गेंद करने में महारथ हासिल हो गई।
उनके बचपन के कोच बदरूद्दीन ने कहा, "वह बचपन से ही मेहतनी रहा है। उसके लिए खाली समय भी केवल क्रिकेट को समर्पित है। वह एक ही स्‍थान पर गेंद डालने के लिए मेहनत कर रहा है, सिंगल विकेट लगाकर उस पर गेंदबाज़ी करता, सीम के बहुत ड्रिल उसने किए। मैंने उससे बस यही कहा था कि अगर तुम लाल गेंद से अच्‍छा कर सकते हो तो सफ़ेद गेंद से भी कर सकते हो। बस अंतर यही तो होता है कि यह अधिक देर तक शाइन नहीं रहती है, रात में गेंद डालनी होती है, ओस रहती है, तो उसने इस पर मेहनत की और कंट्रोल लाया।"
शमी की गेंदबाज़ी लॉकडाउन में निखरकर आई, क्‍योंकि उनके पास अपना फ़ॉर्म हाउस था तो वह गेंदबाज़ी से दूर नहीं रह पाए। अपने भाई को बल्‍लेबाज़ी करके उन्‍होंने कड़ा अभ्‍यास किया। आज भी जब वह घर पर होते हैं तो दोपहर के दो बजे से शाम 10 बजे तक लगातार गेंदबाज़ी का अभ्‍यास करते हैं।
शमी अब तक छह विश्‍व कप मैचों में 9.13 की बेहतरीन औसत से 23 विकेट लेकर शीर्ष पर बने हुए हैं।
लॉकडाउन से पहले उनको चोट लगी और इसके बाद वह पारिवारिक समस्‍या से घिर गए। चाहते तो वह टूट सकते थे लेकिन उन्‍होंने लॉकडाउन में अपनी गेंदबाज़ी को ही अपना सबसे बड़ा हथ‍ियार बना लिया।
बदरूद्दीन ने कहा, "लॉकडाउन एक ऐसा फेज़ था जिसमें शमी को वह सब कुछ करने का मौक़ा मिला जो वह क्रिकेट खेलने के समय नहीं कर पाता था। उसके साथी सुरेश रैना, पीयूष चावला और मुरादाबाद के लोकल लड़के भी फ़ॉर्म पर आते थे और उन्‍होंने कई दिनों तक साथ में क्रिकेट खेला। मैंने उससे बस यही कहा था कि हर खिलाड़ी की ज़‍िंंदगी में कभी भी कुछ भी किसी भी तरह का बुरा समय आ सकता है लेकिन कितनी जल्‍दी उभर रहे हैं और कैसे उभर रहे हैं यह आप पर है।"
आज हर किसी की जुंबा पर शमी का नाम है, वह टीम इंडिया के सबसे देशी खिलाड़‍ियों में से हैं, जिन्‍हें मैदान पर गेंद लहराना और मैदान से बाहर बिरयानी खाना पसंद है। उन्‍हें बाहर के शोर शराबे से कोई लेना देना नहीं है। वह कितने परेशान हैं, इस बात को शायद ही उन्होंने कभी उजागर किया। अगर सच कहें तो उनकी गेंदबाज़ी को देख कर ऐसा लगता है कि वह कोई बोलिंग मशीन हैं - बिल्कुल सही टप्पे और सही निशाने पर।

निखिल शर्मा ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर हैं। @nikss26