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आर्थिक तंगी से गुज़र रहे कांबली को काम की सख़्त ज़रूरत

कभी अपने स्‍टाइल की वजह से चर्चित रहने वाले बायें हाथ के बल्‍लेबाज़ अब केवल बीसीसीआई की पेंशन पर निर्भर

कभी अपने क्रिकेट करियर के शीर्ष पर थे विनोद कांबली  •  DIBYANGSHU SARKAR/AFP

कभी अपने क्रिकेट करियर के शीर्ष पर थे विनोद कांबली  •  DIBYANGSHU SARKAR/AFP

पूर्व भारतीय टेस्ट बल्लेबाज़ विनोद कांबली ने कहा है कि उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और उन्हें काम की सख़्त ज़रूरत है।
कांबली एक आकर्षक खब्बू बल्लेबाज़ थे जिन्होंने 1991 और 2000 के बीच भारत के लिए 17 टेस्ट और 104 वनडे मैच खेले। टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत 54.20 का रहा और 1993 में वह सर डॉन ब्रैडमन और वॉली हैमंड के बाद तीसरे पुरुष क्रिकेटर बने जिन्होंने लगातार पारियों में दोहरे शतक बनाए हो।
'मिड-डे' से बातचीत में 50-वर्षीय कांबली ने कहा, "मैं एक रिटायर्ड क्रिकेटर हूं और पूरी तरह से बीसीसीआई पेंशन पर निर्भर हूं। मैं आभारी हूं क्योंकि यह राशि [30,000 रुपये प्रति माह] मेरे परिवार का ख़्याल रखती है। मुझे काम चाहिए जहां मैं युवा खिलाड़ियों के संपर्क में रहूं।
"मुझे पता है मुंबई टीम ने अमोल मज़ूमदार को मुख्य कोच नियुक्त किया है लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि जहां मेरी ज़रूरत पड़ेगी मैं वहां हाज़िर हो जाऊंगा। हम साथ खेले थे और एक महान टीम का हिस्सा थे। मैं फिर से मुंबई को उन ऊंचाइयों पर देखना चाहता हूं।"
कांबली ने बताया कि कोरोना से पहले उन्होंने मुंबई टी20 लीग में एक टीम को कोच किया था। कांबली और उनके मित्र सचिन तेंदुलकर शारदाश्रम विद्यामंदिर से लेकर भारतीय टीम के लिए साथ खेले और नेरुल में तेंदुलकर के मिडिलसेक्स ग्लोबल अकादमी में कांबली कोचिंग करने जाते थे। कोरोना के चलते टी20 लीग का 2019 के बाद कोई संस्करण नहीं हो पाया है और कांबली को अकादमी का काम मुंबई में दूरी के चलते छोड़ना पड़ा।
उन्होंने कहा, "मुझे सुबह पांच बजे उठकर डीवाई पाटिल स्टेडियम के लिए कैब लेना पड़ता था और फिर वापस लौटकर शाम को बीकेसी (बांद्रा-कुर्ला परिसर) में भी कोचिंग करनी पड़ती थी। मैं उनसे [सचिन] कोई अपेक्षा नहीं रखता। यह अकादमी का काम भी उन्हीं का दिलवाया हुआ था। वह एक अच्छे दोस्त रहे हैं जिन्होंने हमेशा मेरी मदद की।"
अपने खेल जीवन में कांबली के बारे में अनुशानहीनता के कई क़िस्से सुनने को मिलते थे। ख़ासतौर पर उनका शराब और सिगरेट के प्रति मोह की बातें चलती थी। कांबली ने ख़ुद स्वीकारा कि वह शराब पीते थे और एक बार रणजी ट्रॉफ़ी के दौरान एक रात 10 पेग पीने के बावजूद उन्होंने अगले दिन शतक जड़ा। उन्होंने कहा, "हमारे कोच बलविंदर सिंह संधू को यह चिंता थी कि मैं सही समय पर जाग पाऊंगा कि नहीं। मैं जागा भी और मैंने शतक भी मारा। नियम और अनुशासन का पालन करना ज़रूरी है। अगर मुझे मदिरापान करने से मना किया जाए तो मैं तुरंत उसे छोड़ दूंगा।"
कांबली एक साधारण परिवार से आते थे और उन्होंने अपने जीवन के शुरुआत सालों पर कहा, "मैंने जीवन में उन्नति केवल क्रिकेट से हासिल की। बचपन में मैंने बुरे दिन क़रीब से देखे हैं। खाना नहीं होता था कभी-कभी, और मैं शारदाश्रम स्कूल जाकर टीम के साथ खाना खा लेता था। वहां सचिन ने अच्छे दोस्त की तरह सहारा दिया। मेरा परिवार काफ़ी ग़रीब था और मैं अपने माता-पिता को बहुत मिस करता हूं।"
कांबली ने कहा कि वह मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) से मदद मांग चुके हैं और पहले भी उनके क्रिकेट सुधार कमेटी (सीआईसी) का हिस्सा थे, हालांकि वह एक निःशुल्क साझेदारी थी। उन्होंने कहा, "मुझे काम की ज़रूरत है लेकिन मैं किसी और का काम नहीं छीनना चाहता। मैंने एमसीए से पहले भी कहा है कि मैं उनके उपलब्ध हूं, चाहे वह वानखेड़े में हो या बीकेसी में। मुंबई क्रिकेट ने मुझे सब कुछ दिया है जीवन में। मैं अब केवल उनसे एक नौकरी की उम्मीद रखता हूं।"

अनुवाद ESPNcricinfo में स्‍थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।