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उन्मुक्त चंद ने भारतीय क्रिकेट से लिया संन्यास

अब वह दुनिया भर में क्रिकेट खेलने के लिए और बेहतर मौक़ों की तलाश में है

BCCI secretary Anurag Thakur hands Unmukt Chand the series trophy, India A v Bangladesh A, 3rd unofficial ODI, Bangalore, September 20, 2015

उन्मुक्त चंद लंबे समय तक इंडिया ए टीम का हिस्सा रह चुके हैं  •  PTI

भारत को 2012 में अंडर-19 विश्व कप जिताने वाले कप्तान उन्मुक्त चंद ने 28 साल की उम्र में भारतीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। चंद ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि वो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को छोड़कर दुनिया में और बेहतर मौक़े ढूंढना चाहते हैं।
चंद ने 2012 के फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ नाबाद 111 रन बनाए थे और प्लेयर ऑफ़ द मैच भी घोषित हुए थे। इसके बावजूद वो कभी भारत के सीनियर टीम तक का फ़ासला नहीं तय कर पाए।
"मुझे पता नहीं मुझे कैसा महसूस करना चाहिए क्योंकि मैं भी यह बात अब तक समझ ही रहा हूं," चंद ने लिखा। "भारत के लिए फिर से ना खेल पाने का ख़्याल दिल की धड़कन रोकने लायक है।"
चंद ने कुल 67 प्रथम श्रेणी मैचों में 31.57 की औसत से 3379 रन बनाए। 120 लिस्ट ए मैचों में उन्होंने 4505 रन (औसत 41.33) बनाए और टी20 में 116.09 की स्ट्राइक रेट से उनके 1565 रन बने।
चंद ने स्कूल में पढ़ते हुए रणजी ट्रॉफ़ी में दिल्ली के लिए डेब्यू किया और केवल चौथे मुक़ाबले में उन्होंने 151 बनाकर अपना पहला शतक जड़ा। चंद ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में 18 साल की उम्र में पदार्पण किया और उनकी तुलना 2008 के अंडर-19 कप्तान विराट कोहली से होने लगी।
हालांकि चंद आईपीएल में कभी अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए, वो इंडिया ए के लिए कई बार खेले और 2013 में न्यूज़ीलैंड ए और 2015 में बांग्लादेश ए के ख़िलाफ़ जीत में कप्तान भी रहे। लेकिन ख़राब फ़ॉर्म के चलते उन्हें 2016 में विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी की वनडे टीम में जगह नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने मुंबई इंडियंस से भी अपना नाता तोड़ा और अगले ऑक्शन में उन्हें किसी टीम ने नहीं ख़रीदा। 2019-20 में उन्होंने उत्तराखंड से खेलने का फ़ैसला किया लेकिन सिर्फ़ 13.92 की औसत से 195 रन ही बना पाए। इसके बावजूद चंद अभी भी क्रिकेट खेलने की उम्मीद रखते हैं।
"पिछले कुछ सालों में चीज़ें आसान नहीं रहीं हैं और मौक़े भी कम मिलें हैं," उन्होंने लिखा। "इन वर्षों में जो कुछ हुआ है उसे भुलाकर मैं बीसीसीआई को अलविदा कह कर दुनिया में और बेहतर मौक़े ढूंढना चाहता हूं। क्रिकेट का विश्व काफ़ी बड़ा है और मेरा सपना अब भी यही रहेगा कि मैं सर्वोच्च लेवेल पर क्रिकेट खेलूं।"

हेमंत बराड़ ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड देबायन सेन (@debayansen) ने किया है।