ज़िम्बाब्वे के टावेंग्वा मुकुलानी लड़ेंगे आईसीसी अध्यक्ष का चुनाव
उन्हें लगता है कि उनके पास एसोसिएट सदस्यों की आवाज़ बनने के लिए पर्याप्त अनुभव है
नागराज गोलापुड़ी व ट्रिस्टन लैवलेट
05-Nov-2022
मुकुलानी जून में दूसरी बार ज़िम्बाब्वे क्रिकेट के चेयरमैन चुने गए थे • Zimbabwe Cricket
अगले सप्ताहांत में ज़िम्बाब्वे क्रिकेट के अध्यक्ष टावेंग्वा मुकुलानी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के वर्तमान अध्यक्ष ग्रेग बार्कले के विरुद्ध अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को पता चला है कि मुकुलानी ज़िम्बाब्वे क्रिकेट के प्रतिनिधित्व के तौर पर लंबे समय से आईसीसी का हिस्सा रहे हैं। छोटे व एसोसिएट सदस्यों से मिल रहे समर्थन के बाद उन्होंने अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए अपनी मंशा ज़ाहिर कर दी है।
हाल ही में ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो ने बताया था कि आईसीसी के उपाध्यक्ष इमरान ख़्वाजा भी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन उन्होंने अब इस चुनाव से अपने क़दम पीछे हटा लिए हैं। ख़्वाजा को 2020 में बार्कले के हाथों करारी हार मिली थी। बार्कले को तब बीसीसीआई का समर्थन हासिल था जिसने उनके अध्यक्ष बनने का मार्ग प्रशस्त किया। दो राउंड की प्रतिस्पर्धा में उन्हें ख़्वाजा के पांच वोट के मुक़ाबले 11 वोट हासिल हुए थे।
इसी वर्ष जुलाई में आयोजित आईसीसी की वार्षिक आम बैठक में बार्कले ने दोबारा चुनाव लड़ने और फिर से दो वर्षीय कार्यकाल पाने की इच्छा ज़ाहिर कर दी। माना जाता है कि बार्कले अपनी संभावनाओं के बारे में आशावादी हैं, विशेष रूप से क्योंकि चुनाव नियमों में बदलाव किया गया है ताकि साधारण बहुमत के आधार पर विजेता तय किया जा सके। 2020 में जीतने वाले उम्मीदवार को 16 सदस्यों के बैलट से दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी। 16 वोट आईसीसी बोर्ड के 12 पूर्ण सदस्यों, एक स्वतंत्र निदेशक (इंद्रा नूई) और तीन एसोसिएट निदेशकों से हैं जिनमें ख़्वाजा भी शामिल हैं।
ख़्वाजा को दो साल पहले प्रथम दौर में छह वोट मिले थे लेकिन दूसरे दौर में क्रिकेट साउथ अफ़्रीका के वोट ने बार्कले की दिशा में मुक़ाबले को मोड़ दिया। एक बार हारने के बाद बोर्ड के सबसे अनुभवी निदेशकों में से एक ख़्वाजा ने अपने विकल्पों को तोला और अंततः नामांकित होने के लिए अनिवार्य एक वोट प्राप्त करने के बावजूद, इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया।
20 अक्टूबर को इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी लेकिन नामांकन की समय सीमा के दिन मुकुलानी को भी आईसीसी के एक निदेशक द्वारा प्रस्तावित किया गया था। और अब उनके पास दूसरा वोट है, जो नामांकन का समर्थन करने के लिए पर्याप्त है। जबकि वह चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, मुकुलानी को अगले सप्ताह में अंतिम निर्णय लेने की संभावना है।
मुकुलानी आईसीसी की ऑडिट कमेटी का हिस्सा हैं और सदस्यता समिति के अध्यक्ष हैं। वह वैश्विक निकाय के ओलिंपिक कार्य समूह का भी हिस्सा हैं, जिसे ग्रीष्मकालीन खेलों में क्रिकेट के प्रवेश पर ज़ोर देने का काम सौंपा गया है। आईसीसी के सदस्यों में 'डॉक' के रूप में लोकप्रिय मुकुलानी का मानना है कि उनके पास नेतृत्व संभालने और छोटे सदस्यों और एसोसिएट देशों की आवाज़ बनने का अनुभव है। वह मुख्य रूप से बीसीसीआई को छोड़कर अधिकांश एशियाई देशों से समर्थन प्राप्त करने के अपने अवसरों पर काम कर रहे हैं। फ़िलहाल माना जा रहा है कि बीसीसीआई का वोट बार्कले की तरफ़ है लेकिन चुनाव की तारीख़ तक विकल्प खुले हैं। मेलबर्न में 12-13 नवंबर को होने वाली आईसीसी की बैठकों के दौरान चुनाव कराने की योजना है।
मुकुलानी का घोषणापत्र सदस्यों के बीच समानता के लिए प्रयास करने और शासन परिवर्तन की वकालत करने के इर्द-गिर्द घूमता है। यह ख़्वाजा के कई वर्षों के दृष्टिकोण के साथ मेल खाता है जो चार वर्षों के शशांक मनोहर के आईसीसी के अध्यक्ष (2016-20) के कार्यकाल के दौरान इसे लागू करने में एक हद तक सक्षम था। दोनों लोगों ने बिग थ्री (भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड) के दबदबे को समाप्त करने के लिए मिलकर काम किया और एक नया वित्तीय मॉडल तैयार किया जहां छोटे देशों को आईसीसी राजस्व पूल से एक बढ़ा हुआ हिस्सा मिला।
डिज़नी स्टार द्वारा 2024-27 के चक्र के लिए पुरुषों और महिलाओं के आईसीसी टूर्नामेंटों के प्रसारण अधिकार ख़रीदे जाने के बाद यह घड़ा अब बहुत बड़ा हो गया है। केवल भारतीय बाज़ार का यह सौदा कथित तौर पर 24584 करोड़ रुपये (तीन बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक का है जो आईसीसी के पिछले (आठ वर्षों के) अधिकार चक्र से काफ़ी अधिक है। बार्कले भी समर्थन जुटा रहे हैं और माना जाता है कि उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए वित्तीय वितरण मॉडल पर फिर से विचार और साथ ही अपनी रणनीतिक योजना में सबसे आगे शासन मॉडल को संशोधित करने पर काम किया। अलग-अलग देशों की हिस्सेदारी बढ़ाने के अलावा, बार्कले रणनीतिक फ़ंडों में पैसा निवेश करना चाहते हैं और साथ ही महिला क्रिकेट को बढ़ावा देना चाहते हैं।