भूख और मौक़ा -- खेल की दुनिया में अपनी प्रतिभा को साबित करने के लिए यह दो चीज़ें काफ़ी मायने रखती हैं। जब कोई खिलाड़ी किसी सफल टीम का हिस्सा होते हुए भी व्यक्तिगत संघर्ष से जूझ रहा होता है, तो उसकी भूख एक अलग ही स्तर पर पहुंच जाती है। वह हर गेंद, हर पल को आख़िरी उम्मीद की तरह देखता है। लेकिन सिर्फ़ भूख से ट्रॉफ़ी नहीं मिलती। असली कसौटी तब होती है जब मौक़ा मिले। क्योंकि मौक़े के साथ जोख़िम भी आता है और जब लड़ाई आर-पार की हो, तो जोख़िम लेना ही पड़ता है और रास्ता वहीं से बनता है।
राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ कोलकाता नाइट राइडर्स ने कुछ ऐसा ही किया।
IPL 2025 के प्लेऑफ़ की दौड़ में बने रहने के लिए KKR अब हर मुक़ाबले को नॉकआउट की तरह ले रही है। अगर टीम यहां से हर मैच जीतती है, तो वह 17 अंकों तक पहुंच सकती है और प्लेऑफ़ की उम्मीद बनी रह सकती है।
RR के ख़िलाफ़ अहम मुक़ाबले में KKR ने अपनी बैटिंग ऑर्डर में बड़ा बदलाव करते हुए
आंद्रे रसल को प्रमोट किया। उन्हें चौथे नंबर पर और 13वें ओवर में ही मैदान पर भेजा गया। यह फ़ैसला चौंकाने वाला था, ख़ासतौर पर तब जब वेंकटेश अय्यर और रिंकू सिंह जैसे विकल्प मौजूद थे। आमतौर पर ऐसे मौक़ों पर रसल को इतनी जल्दी भेजे जाने की उम्मीद नहीं होती।
हालांकि KKR के लिए यह जोख़िम तार्किक भी था। इस सीज़न KKR के मिडिल ऑर्डर का औसत सिर्फ़ 21.3 है, जो किसी भी टीम की तुलना में सबसे कम है। साथ ही मिडिल ओवरों (7-16) के दौरान KKR की टीम ने कुल 27 विकेट गंवाए हैं, जो संयुक्त रूप से तीसरा सबसे अधिक है। ऐसे में KKR ने एक ऐसा बदलाव किया, जो उनके पक्ष में चला गया।
रसल पहले भी कई बार प्रेस कांफ़्रेंस में यह कह चुके हैं कि अगर उन्हें पहले बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा मिले तो वह शायद मैच पर ज़्यादा प्रभाव छोड़ सकते हैं और इस मैच में उन्होंने इसी मानसिकता के साथ टीम के फ़ैसले को सही साबित किया।
रसल ने चौथे नंबर पर मिली नई जिम्मेदारी को बख़ूबी संभाला। उन्होंने शुरुआत में महीश तीक्षणा और वानिंदु हसरंगा के ख़िलाफ़ संभलकर खेला। पहली आठ गेंदों पर सिर्फ़ दो रन बनाए, लेकिन वह बिल्कुल भी घबराए नहीं और जब उन्होंने अपने हाथ खोले, तो फिर KKR एक अच्छे स्कोर तक पहुंच गई। अगली 17 गेंदों पर 55 रन जोड़ दिए। यह उस पिच पर बेहद अहम पारी थी, जहां धीरे-धीरे बल्लेबाज़ी थोड़ी आसान हो रही थी।
पहली पारी के बाद रसल ने इस मौक़े को लेकर कहा, "हम सभी जानते हैं कि यह मुक़ाबला कितना अहम है। मुझे कुछ डॉट गेंदों की कभी चिंता नहीं होती। मैंने शुरू में तीक्षणा के ख़िलाफ़ जोख़िम नहीं लिया। हसरंगा भी अच्छी लेंथ पर गेंद डाल रहे थे। हालांकि मुझे यह पता था कि जितने ज़्यादा ओवर मुझे मिलते हैं, मैं मैच में उतना ज़्यादा प्रभाव डाल सकता हूं। विकेट थोड़ी धीमी थी, लेकिन पकड़ रही थी। मुझे इस भूमिका में मज़ा आता है, जितने ज़्यादा ओवर मुझे मिलते हैं, मैं उतना ही प्रभाव डाल सकता हूं।"
इस दौरान रसल ने यही भी कहा कि वह कभी नहीं सोचते कि उनकी उम्र 37 वर्ष की हो गई है। वह अभी भी ख़ुद को 27 का महसूस करते हैं और उसी तरह से अपने खेल को आगे बढ़ाते हैं।
इस सीज़न के शुरुआती मैचों में उनका बल्ला ख़ामोश था। पिछली सात पारियों में उन्होंने सिर्फ़ 72 रन बनाए थे और उनकी औसत महज़ 10.3 की थी। ऐसे में उनके फ़ॉर्म, उम्र और KKR में उनकी भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे थे। लेकिन पिछले कुछ मैचों में गेंद से उनका प्रदर्शन और अब इस मैच में बल्लेबाज़ी ने साफ़ कर दिया कि रसल की भूख अभी मद्धम नहीं पड़ी है। यह बात प्रेस कांफ़्रेंस के दौरान वरुण चक्रवर्ती ने भी दोहराई।
वरुण ने मैच के बाद कहा, "जब भी मैं रसल से IPL में उनके भविष्य के बारे में बात करता हूं, तो वह हमेशा कहते हैं कि 'मैं शारीरिक और मानसिक रूप से दो-तीन सीज़न आराम से खेल सकता हूं।' वह सकारात्मकता से भरे हुए इंसान हैं और हमेशा आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं। मुझे भी लगता है कि वह अभी और काफी लंबा खेल सकते हैं।"
मैच के बाद जब रसल को प्लेयर ऑफ़ द मैच का ख़िताब दिया गया तो उन्होंने एक बहुत ही अहम बात कही, "मैं जब देखता हूं कि 30 गेंद बचे हुए हैं, तो यह सोचता हूं कि अगर मुझे इसमें से 15 गेंद भी मिले तो मैं 40 रन बना सकता हूं।"
KKR की टीम रसल की इस पारी के बाद निश्चित रूप से यही सोच रही होगी, आगे आने वाले मैचों में रसल इसी लय और मानसिकता के साथ आगे बढ़े। बाक़ी अगली तीन-चार सालों का तो उन्होंने सोच ही लिया है, जैसा कि वरुण ने बताया।
राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं