कुलदीप ने कहा, "मेरी सर्जरी को हुए 1.5 साल हो गए हैं। अब मेरा रन-अप सीधा हो गया है और मैं गेंदबाज़ी लय में अधिक आक्रामक नज़र आता हूं। पहले गेंद फेंकते वक़्त मेरा दाहिना हाथ गिर जाता था, लेकिन अब नियंत्रण में और बल्लेबाज़ के सामने रहता है। इसके बावजूद मैं अपनी स्पिन और ड्रिफ़्ट नहीं खोता हूं और मेरी गति भी अब बढ़ी है। इन सब चीज़ों के एक साथ होने से मुझे काफ़ी मदद मिली है। अगर कोई लेग स्पिनर गुड लेंथ पर गेंदबाज़ी करता है तो उसके विकेट लेने के मौक़े बढ़ जाते हैं। अगर आप लेग स्पिनर हैं तो आप कुछ ख़राब गेंद भी फेकेंगे, लेकिन इससे आपको विकेट मिलने का भी मौक़ा बढ़ता रहेगा।"
कुलदीप ने भारत के पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 228 रन के रिकॉर्ड जीत में 25 रन देकर 5 विकेट लिए और पाकिस्तानी टीम को सिर्फ़ 128 पर ऑलआउट कर दिया। मैच के बाद कुलदीप ने कहा कि ऐक्शन में बदलाव के बावजूद भी वह अपना फ़्लाइट और ड्रिफ़्ट नहीं खोना चाहते हैं और लेग ब्रेक व गुगली को मिक्स कर बल्लेबाज़ों को परेशान करना चाहते हैं।
कुलदीप ने कहा, "सर्जरी के बाद मैं लगभग पांच महीने तक क्रिकेट से दूर रहा। उस समय बहुत लोगों ने मुझे बहुतेरे सलाह दिए, लेकिन मैं एक चीज़ पर कायम था कि मुझे अपना ड्रिफ़्ट नहीं खोना है। तीन महीने के रिहैब के बाद एनसीए में मेरे फ़िज़ियो आशीष कौशिक ने ऐक्शन में बदलाव की सलाह दी और कहा कि इससे मेरे घुटनों का भार कम होगा। मैंने फिर अपने ऐक्शन पर काम किया और अपनी गेंदबाज़ी लय को और तेज़ बनाया। इसके बाद मैंने कानपुर में अभ्यास मैच खेले और देखा कि बल्लेबाज़ों को इससे परेशानी हो रही है। फिर मैं भारतीय टीम में लौटा लेकिन वेस्टइंडीज़ के दौरे पर अपना लय नहीं प्राप्त कर पाया। आईपीएल में भी मुझे मेरा लय नहीं मिल रहा था। कुल मिलाकर नए ऐक्शन में लय पाने में मुझे छह से सात महीने लग गए।"
पांच विकेट के बाद कुलदीप ने कहा, "जब मैं संन्यास लूंगा, तब मैं याद करूंगा कि मैंने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ पांच विकेट लिया था। यह एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि वे स्पिन को अच्छा खेलते हैं। अगर आप किसी ऐसे टीम के ख़िलाफ़ अच्छा करते हैं, जो उपमहाद्वीप में स्पिन अच्छा खेलती है, तो उससे आपको प्रेरणा मिलती है।"