विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फ़ाइनल में जगह बनाने के लिए भारत अपने सबसे कठिन सफ़र पर निकल चुका है। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ ऑस्ट्रेलिया में होने वाली
पांच मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी (BGT) में रोहित एंड कंपनी के आगे कई मुश्किल चुनौतियां होंगी। ऐसी ही कुछ चुनौतियों पर चर्चा करते हैं।
सीरीज़ के पहले मैच में रोहित शर्मा पारिवारिक कारणों से नहीं खेल रहे हैं। ऐसे में पहले कम से कम पहले टेस्ट में
यशस्वी जायसवाल के ओपनिंग साझेदार के दावेदार
केएल राहुल और
अभिमन्यु ईश्वरन हैं। ऑस्ट्रेलिया की उछाल लेती पिचें भारतीय ओपनरों को कड़ी चुनौती दे सकती हैं। इंडिया ए बनाम ऑस्ट्रेलिया ए दूसरे अनाधिकृत मैच में राहुल को अभ्यास का मौक़ा मिला था, लेकिन दोनों ही पारियों में उनके विफल होने से चयनकर्ताओं और टीम प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राहुल पहली पारी में चार और दूसरी पारी में 10 ही रन बना सके। दूसरी ओर ईश्वरन को इंडिया ए के लिए यहां पर दो मैच खेलने को मिले लेकिन चारों ही पारियों में वह भी विफल रहे। ईश्वरन ने पहले मैच में सात और 12 रन बनाए तो दूसरे मैच में वह पहली पारी में ख़ाता भी नहीं खोल सके और दूसरी पारी में केवल 17 रन ही बना सके। रोहित के आने के बाद जायसवाल टीम के पहले पसंदीदा ओपनर होंगे, लेकिन जायसवाल का भी यह पहला बड़ा विदेशी दौरा है। उन्होंने अब तक वेस्टइंडीज़ के अपने पहले विदेशी दौरे पर शतक लगाया था, लेकिन इसके बाद अधिकतर टेस्ट उन्होंने भारतीय सरज़मीं पर ही खेले। जायसवाल ने 14 में से 10 टेस्ट घर पर ही खेले हैं।
कोहली-रोहित की ख़राब फ़ॉर्म
विराट कोहली की फ़ॉर्म इस समय सही नहीं चल रही है। वह सेट ज़रूर दिखते हैं लेकिन बड़ी पारी नहीं खेल पाते हैं। उन्होंने टेस्ट में पिछला शतक जुलाई 2023 में
वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ पोर्ट ऑफ़ स्पेन में लगाया था, जहां पहली पारी में उन्होंने 121 रन बनाए थे। इसके बाद सेंचुरियन में दिसंबर 2023 में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ दूसरी पारी में उन्होंने 76 रनों की पारी खेली थी। इसके बाद खेली 12 टेस्ट पारियों में उनके नाम केवल एक ही अर्धशतक है, जो उन्होंने हाल ही में बेंगलुरु में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ पहले टेस्ट की दूसरी पारी में लगाया था। हालांकि कोहली को हाल के सालों में स्पिन के ख़िलाफ़ अधिक दिक्कत महसूस हुई है लेकिन ऑस्ट्रेलिया में अहम रोल तेज़ गेंदबाज़ों का रहेगा और यहां की उछाल कोहली की बल्लेबाज़ी को सूट करती है। ऐसे में कहना ग़लत नहीं होगा कि कोहली यहां पर लय में लौटते हुए भारतीय टीम की मुश्किलों का हल निकाल सकते हैं।
कोहली ने अब तक ऑस्ट्रेलिया का चार बार दौरा किया है, जहां 2020/21 के पिछले दौरे पर उन्होंने एक ही टेस्ट खेला था। 2014/15 दौरा कोहली का सबसे सफल दौरा रहा था, जहां पर उन्होंने चार मैचों में 86.50 की औसत से 692 रन बनाए थे जिसमें चार शतक शामिल थे।
दूसरी ओर रोहित के पास ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट खेलने का अधिक अनुभव नहीं है। रोहित ने यहां पर केवल सात ही टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें से ओपन उन्होंने पिछली सीरीज़ के दो टेस्ट मैच खेलकर ही किया था। उन्होंने यहां पर सात टेस्ट में 38.31 की औसत से 408 रन ही बनाए हैं, जिसमें तीन अर्धशतक शामिल हैं। रोहित की भी हालिया फ़ॉर्म अच्छी नहीं रही है, जिसकी वजह से उन पर भी सभी की निगाहें होंगी।
नीतीश कुमार रेड्डी यहां पर तेज़ गेंदबाज़ी ऑलराउंडर के तौर पर पहुंचे हैं। ऑस्ट्रेलिया की उछाल भरी पिचों को देखते हुए पलड़ा रेड्डी का भारी लग रहा है, लेकिन ऐसे में भारत को अपने प्रमुख स्पिनर
आर अश्विन या
रवींद्र जाडेजा में से किसी एक को चुनना होगा। मंगलवार को मोर्ने मोर्कल भी रेड्डी के साथ अधिक समय बिताते दिखे, जहां पर उनको ऑफ़ स्टंप के क़रीब गेंदबाज़ी करने की हिदायत दी गई। भारत नंबर आठ पर अपनी गहराई मज़बूत करने के लिए रेड्डी को देखना चाहेगी, वही रोल जो पिछले दौरों पर शार्दुल ठाकुर ने निभाया है। अगर रेड्डी छह से 10 ओवर बिना अधिक रन ख़र्च किए निकाल लेते हैं तो मुख्य तेज़ गेंदबाज़ों को तेज़ी से बदलने का मौक़ा मिल जाएगा।
लेकिन अगर टीम रेड्डी के साथ जाती है तो उनको अश्विन या जाडेजा में से किसी एक को बैठाना होगा, ख़ासकर अश्विन जो ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों उस्मान ख़्वाजा, ट्रेविस हेड और ऐलेक्स कैरी के लिए समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में उछाल हमेशा से बल्लेबाज़ों की परीक्षा लेती है। ऐसे में कोई दो राय नहीं कि ऑस्ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ इस बार भी उछाल और गति से भारतीय बल्लेबाज़ों की कड़ी परीक्षा लेने को तैयार हैं। मौजूदा टीम में अगर देखा जाए तो ऑस्ट्रेलिया में सबसे अधिक 22 पारियों में कैच या एलबीडब्ल्यू ऑस्ट्रेलिया में कोहली हुए हैं। इसके बाद नंबर रोहित का आता है जो 12 बार ऐसे आउट हुए हैं। इसके बाद गिल पांच बार, राहुल सात बार इस तरह से आउट हुए हैं।