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मैच को समाप्त करने की ज़िम्मेदारी बहुत बड़ी है और हर कोई इसे नहीं निभा सकता : जितेश शर्मा

अपने दूसरे आईपीएल सीज़न में विदर्भ का यह खिलाड़ी आख़िरकार अपनी छाप छोड़ने में क़ामयाब हुआ है

Jitesh Sharma smashed 38* off 18 balls to help Kings close the innings on a high, Punjab Kings vs Rajasthan Royals, IPL 2022, Wankhede Stadium, Mumbai, May 7, 2022

किस स्थिति में कौन सा शॉट खेलना है, यह अनुभव के साथ समझ आता है : जितेश शर्मा  •  BCCI

पंजाब किंग्स और विदर्भ के विकेटकीपर बल्लेबाज़ जितेश शर्मा बड़े शॉट लगाने की क्षमता और डेथ ओवरों में टीम की नैय्या पार लगाने के कारण सुर्ख़ियां बटोर रहे हैं। विकेटों के पीछे उनकी फुर्ती ने उन्हें अपनी टीम में विकेटकीपर का स्थान पक्का करने में मदद की है।

हालांकि यह जितेश का पहला आईपीएल नहीं है। वह 2017 में ख़िताब जीतने वाली मुंबई इंडियंस टीम का हिस्सा थे जहां उन्हें मैच खेलने का मौक़ा नहीं मिला। यहां पर उन्होंने अपने करियर और क्रिकेट में अपने सफ़र के बारे में बात की है।

आप आईपीएल 2022 के एक चमकते सितारे बनकर उभरे हैं, लेकिन आप 2017 में चैंपियन टीम मुंबई इंडियंस का हिस्सा रह चुके हैं। पिछले पांच वर्षों में आप कहां थे?

मेरा करियर उतार-चढ़ाव से भरा हुआ रहा है। 2017 में मैं मुंबई इंडियंस के साथ था जब वह 10वें संस्करण की चैंपियन बनी थी। जॉस बटलर, निकोलस पूरन और पार्थिव पटेल के टीम में होने के कारण मुझे मौक़ा नहीं मिला। हालांकि मुंबई ने मुझे बताया था कि मैं बैकअप भारतीय विकेटकीपर हूं। मैं समझ गया क्योंकि हर टीम जीतने के लिए ही खेलती है। वह मेरे लिए सीखने का मौक़ा था। मैं तब सलामी बल्लेबाज़ था और मैं बटलर को देखता, उनकी बल्लेबाज़ी से सीखता। मैं आज भी उनका बड़ा प्रशंसक हूं।

फिर मैं घरेलू क्रिकेट में आया जहां अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद मुझे आईपीएल में खेलने का मौक़ा नहीं मिला। हर टीम की अपनी ज़रूरत होती है, जहां मेरी जगह नहीं बन रही थी या शायद यह ईश्वर का फ़ैसला था।

आपको उस टीम ने 20 लाख रुपयों में ख़रीदा जिसके पास विकेटकीपर के रूप में जॉनी बेयरस्टो और भानुका राजापक्षा मौजूद थे। क्या आपको लगा कि यह सीज़न पर भी पानी फिर गया?

वह शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ हैं और मैं मध्य क्रम का। इसलिए हम कोई एक स्थान के लिए मुक़ाबला नहीं कर रहे हैं। पंजाब को मध्य क्रम में एक भारतीय बल्लेबाज़ चाहिए था।

मैं फ़ील्डिंग भी कर सकता हूं लेकिन चेन्नई सुपर किंग्स के विरुद्ध मैच के दौरान मुझे हैमस्ट्रिंग में चोट लगी और उन्होंने मुझे विकेटकीपिंग करने को कहा। टीम मेरी विकेटकीपिंग से प्रसन्न हुई और फिर बेयरस्टो ने मुझसे विकेटकीपिंग जारी रखने को कहा। टीमें हमेशा बैकअप की तलाश में रहती है। अब वह मुझे एक मध्य क्रम के बल्लेबाज़ और विकेटकीपर के तौर पर देखती है।

क्या पिछले एक-दो वर्ष में आपने ऐसा कुछ किया जिससे सभी की नज़रें आपकी तरफ़ मुड़ गई?

मेरे निरंतर प्रदर्शन से मैं हमेशा चर्चा में रहता था। मैं कॉर्पोरेट टूर्नामेंट और विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में रन बनाते आ रहा हूं, लेकिन इस साल मैंने मध्य क्रम में खेलते हुए अपनी छाप छोड़ी। मैंने 235 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाज़ी करते हुए सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में सर्वाधिक 18 छक्के लगाए थे।

आप यहां पर भी वही भूमिका निभा रहे हैं। सात मैचों में 97 गेंदों का सामना करते हुए आपने 167 के स्ट्राइक रेट से रन बनाते हुए टीम को मुश्किल से बाहर निकाला है। क्या आप फिर से शीर्ष क्रम में लौटना चाहते हैं?

जैसा कि आपने कहा, मैं मैच विनर हूं। 60 रन बनाने की बजाय अगर मैं 20 रन बनाकर टीम को जीत दिलाता हूं तो मुझे ज़्यादा ख़ुशी होती है। वह इसलिए क्योंकि मैच को समाप्त करने की ज़िम्मेदारी बहुत बड़ी है और हर कोई इसे नहीं निभा सकता है।

आपकी बल्लेबाज़ी का मूल-मंत्र क्या है?

मेरा बल्लेबाज़ी का स्थान मैच की स्थिति पर निर्भर करता है। मध्य क्रम में जाकर पहली गेंद से बाउंड्री लगाना आसान काम नहीं है। अगर मैं 19वें ओवर में जाता हूं तो मेरा काम पहली गेंद से शॉट लगाने का है, वहीं अगर मैं 10वें ओवर में जाता हूं तो मुझे लंबी पारी खेलनी होती है।

आप किसके साथ क्रिकेट की सबसे ज़्यादा बातें करते हैं?

सच कहूं तो किसी से नहीं। अन्य खिलाड़ियों की तरह मेरे पास कोई निजी कोच नहीं है। मैं अपने दोस्तों से बातें करता हूं। हालांकि मैंने हमेशा अंबाती रायुडू की बल्लेबाज़ी को पसंद किया है। वह एक वर्ष विदर्भ के लिए खेलने आए थे और उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया और मेरी तकनीक में भी थोड़ा बदलाव किया। वह जिस तरह खेल को देखते हैं और अपने खेल को आगे बढ़ाते हैं, वह देखने योग्य है। मैंने यह सारी चीज़ें उनसे सीखी हैं।

इस सीज़न के ज़्यादातर चमकते सितारे काफ़ी युवा है और आप 28 साल की उम्र में अपना नाम रोशन कर रहे हैं। इस बारे में आपका क्या कहना है?

फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट एक व्यापार की तरह है। बात यहां फ़ायदे की है, फिर चाहे वह 20 साल के बच्चे से आए या 28 वर्षीय पुरुष से। अगर 20 साल का बच्चा या 40 वर्षीय खिलाड़ी टीम को जिता रहा है, तो उन्हें आयु से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।

आप किस तरह अपने खेल को आगे बढ़ाते हैं?

सात साल के अनुभव के बाद मैं काफ़ी शांत रहता हूं। 20 साल के युवाओं में वह बात नहीं है। भले ही वह निडर होंगे, किस स्थिति में कौन सा शॉट खेलना है, यह अनुभव के साथ समझ आता है। मैं जानता हूं कि खेल को किस तरह चलाया जाता है। साथ ही मैं अपने खेल को विकसित करने का काम करता रहता हूं। जब मैं पहली बार यहां कैंप में आया तब अनिंल कुंबले सर ने मुझसे बात की और बताया कि एकादश में मेरे खेलने की संभावना है। मैंने अपनी फ़िटनेस, खान-पान और नींद पर ध्यान दिया। मैं प्रत्येक अभ्यास सत्र में अपना 100 प्रतिशत देने का प्रयास करता हूं।

और फिर छह साल के इंतज़ार के बाद आपको अपना डेब्यू करने का अवसर मिला। क्या आपको याद है कि सब कुछ कैसे हुआ?

हमारे कैंप में कुछ सत्रों के बाद अनिल सर ने बताया कि वह मेरी नेट प्रैक्टिस से प्रसन्न हुए थे। उन्होंने बताया था कि मेरी भूमिका पांचवें और छठे स्थान पर होगी और मुझे तैयार रहने को कहा। अभ्यास मैचों में मुझे दोनों तरह (आक्रामक और रक्षात्मक) खेलने का मौक़ा दिया गया और मैंने अपनी मानसिकता का परिचय दिया। इसके बाद जब राज बावा ने शुरुआती मैचों में अच्छा नहीं किया, अनिल सर ने आकर कहा, "जितेश, तुम्हारा इंतज़ार ख़त्म हुआ। मैं जानता हूं कि लंबे समय से तुम अपने मौक़े का इंतज़ार कर रहे हो और वह मौक़ा आख़िरकार आ गया है।"

मैं अपने पहले मैच के लिए उत्साहित था और मैंने तैयारी की थी। मैच वाले दिन सभी ने मुझे शुभकामनाएं दी। उन्होंने मुझे कहा कि मेरे आउट होने के अंदाज़ से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता और यह कि हमेशा मेरा समर्थन किया जाएगा।

क्रिकेट खेलने के पीछे आपका एक अनोखा किस्सा है। क्या आप वह बताना चाहेंगे?

मैं सशस्त्र बलों में जाना चाहता था। महाराष्ट्र के स्कूल क्रिकेट में अगर आप राष्ट्रीय टीम के लिए खेलते हैं तो आर्मी की परीक्षा में आपके चार प्रतिशत अंक माफ़ किए जाते है। मैंने ट्रायल देने का फ़ैसला किया और इस प्रकार मैं क्रिकेट खेलने लगा। मेरे पिताजी ने कभी मुझे रोका नहीं और मज़ेदार बात तो यह है कि मेरी माताजी यह नहीं जानती कि मैं आईपीएल जैसे स्तर पर क्रिकेट खेल रहा हूं। क्रिकेट के मेरे सभी दोस्तों ने खेलना छोड़ दिया और अब वह साधारण नौकरियां करते हैं।

किसी ना किसी तरह क्रिकेट मेरे पीछे चलता रहा। बीसीसीआई के अंडर-16 टूर्नामेंट के लिए राज्य के ट्रायल थे जहां मैंने रन बनाए। तब भी सेना ही मेरी पहली पसंद थी। मेरे पिताजी ने मेरी बात में हामी भरी और उन्होंने मुझे अपनी फ़िटनेस को बरक़रार रखने के लिए क्रिकेट खेलते रहने की सलाह दी। अगले साल मैं खेलते रहना चाहता था और इसलिए मैंने अंडर-19 के ट्रायल दिए और वहां भी मेरा चयन हुआ। तब जाकर मैंने सोचा, "मैं क्रिकेट में कुछ कर सकता हूं।"

श्रेष्ठ शाह (@sreshthx) ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।

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