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मध्य ओवरों में धीमी बल्लेबाज़ी की प्रथा को बदल रहा है पंजाब

हालांकि इसके अपने जोखिम भी हैं

शुक्रवार को पंजाब किंग्स और गुजरात टाइटंस के बीच हुए मैच में पंजाब किंग्स की पारी के दौरान अंतिम गेंद पर ग़ज़ब का ड्रामा हुआ। पैरों पर आती एक गेंद को अर्शदीप सिंह ने लेग साइड में हटकर डीप मिडविकेट की ओर खेला और दो रन के लिए दौड़ पड़े। अंत में मौक़ा देखकर उन्होंने तीन रन चुराने की कोशिश की, जबकि वहां पर तीसरा रन कहीं से भी नहीं था और रन आउट होने की संभावना 90% तक थी। चूंकि पारी की अंतिम गेंद थी तो उन्हें जोखिम लेना ही था। उन्होंने जोखिम लिया और सफल भी हुए, क्योंकि नॉन स्ट्राइक पर खड़े गेंदबाज़ हार्दिक पंड्या गेंद को स्टंप पर लगाने से पहले ख़ुद ही स्टंप से टकरा बैठे और रन आउट का मौक़ा हाथ से निकल गया।
इस सीज़न में पंजाब की बल्लेबाज़ी का यही टेम्पलेट रहा है। वह मैच के किसी भी मोड़ पर अधिक से अधिक रन बनाना चाह रहे हैं और इस दौरान उनका विकेट भी गिर जाए, तो भी उन्हें इसकी कोई चिंता नहीं है। कुल मिलाकर वह विकेट दांव पर लगाकर ही रन बना रहे हैं।
पारी के 15वें ओवर तक पंजाब के पांच विकेट गिर गए थे और अंतिम विशेषज्ञ बल्लेबाज़ी जोड़ी के रूप में लियम लिविंगस्टन और शाहरुख़ ख़ान क्रीज़ पर थे। 16वां ओवर राशिद ख़ान का था। अगर ये दोनों बल्लेबाज़ चाहते तो राशिद का यह अंतिम ओवर बिना जोखिम लिए खेलकर अंतिम चार ओवरों में आक्रमण पर जाते। ख़ासकर तब, जब दोनों बल्लेबाज़ों का स्पिन के ख़िलाफ़ रिकॉर्ड उतना अच्छा नहीं रहा है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्होंने राशिद पर भी आक्रमण किया। इस दौरान दोनों बल्लेबाज़ों को उसी ओवर में अपना विकेट गंवाना पड़ा, लेकिन वे इसी के लिए ही खेल रहे थे- 'या तो आर, या तो पार।'
कुल मिलाकर इस पारी में सात से 16 ओवर के मध्य ओवरों के दौरान 112 रन बने, जो कि मध्य ओवरों में इस सीज़न का तीसरा सर्वाधिक स्कोर है। इससे पहले पंजाब ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के ख़िलाफ़ सीज़न के पहले मैच में मध्य ओवरों के दौरान 99 रन बनाए थे और सफलतापूर्वक लक्ष्य का पीछा किया था। इस दौरान दोनों पारियों में उन्होंने मध्य ओवरों के दौरान कम से कम पांच विकेट गंवाए, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने रणनीति को नहीं बदला।
पंरपरागत रूप से देखा जाए तो टी20 में मध्य ओवर, पावरप्ले और डेथ ओवर की तुलना में धीमे होते हैं। लेकिन पंजाब किंग्स ने इस सीज़न में इसके उलट ही अप्रोच दिखाया है। हालांकि ऐसा वह टी20 में क्रांति लाने के लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनका मतलब सिर्फ़ अधिक से अधिक रन बनाने को है। वह ऐसा करके अधिक से अधिक मैच जीतना चाहते हैं। कहा जा सकता है कि उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है क्योंकि पंजाब की बल्लेबाज़ी क्रम में अधिकतर आक्रामक बल्लेबाज़ हैं, वहीं गेंदबाज़ी में उनके पास कोई बड़ा नाम नहीं है। इसलिए वे अधिक से अधिक रन बनाकर अपने युवा गेंदबाज़ों को अधिक रनों का कुशन देना चाहते हैं।
हालांकि इसमें जोखिम भी है। अब शुक्रवार के ही मैच को ले लिया जाए। जब तक लिविंगस्टन बल्लेबाज़ी कर रहे थे और अन्य बल्लेबाज़ो के साथ मिलकर छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण साझेदारियां कर रहे थे, तब तक पंजाब के लिए 200 का स्कोर असंभव नहीं लग रहा था। लेकिन फिर आक्रामक रुख़ के कारण उनके विकेट नियमित अंतराल पर गिरते रहे और वे अंत में सिर्फ़ 189 रन ही बना पाए। अंत में राहुल तेवतिया ने दो गेंदों पर दो छक्के लगाकर उनके इस मेहनत पर भी पानी फेर दिया।

कार्तिक कृष्णस्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं