लखनऊ के रहने वाले 30 साल के सॉफ़्टवेयर इंजीनियर और एक बहुत बड़े क्रिकेट फ़ैन उपेंद्र के लिए शनिवार का दिन बहुत ख़ास बन गया। वह अपने छोटे भाई शिवेंद्र (25 वर्ष) के साथ उस पल का गवाह बनने जा रहे थे, जिसका इंतज़ार उन्होंने 2008 के आईपीएल के पहले सीज़न से ही किया था।
आईपीएल के 16वें सीज़न का
तीसरा मुक़ाबला लखनऊ सुपर जायंट्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच हुआ, जिसमें मेज़बान लखनऊ ने दिल्ली को 50 रन के बड़े अंतर से हराकर जीत दर्ज की। यह देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी
लखनऊ में आईपीएल का पहला मुक़ाबला था।
इस ऐतिहासिक पहले मुक़ाबले की तैयारी लखनऊ में हफ़्तों पहले से बड़े ज़ोरों-शोरों से चल रही थी। शहर के हर चौराहों को लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाड़ियों के बड़े-बड़े होर्डिंग्स से पाट दिया गया था, जिसमें टीम के कप्तान
केएल राहुल और
क्रुणाल पंड्या प्रमुख चेहरे थे।
सप्ताह भर पहले जब लखनऊ टीम के सभी प्रमुख खिलाड़ी सीज़न-पूर्व अभ्यास के लिए इकट्ठा हुए, तब शहर के प्रमुख हिस्सों में उनके लिए बाइक जुलूस (रोड शो) निकाला गया। इसमें बाइक सवार आम लोगों के बीच खिलाड़ियों और टीम के कोचों ने भी भाग लिया और उन्हें खुली विंटेज़ कारों में घुमाकर नफ़ासत व अदब के इस शहर से परिचय कराया गया। इसके अलावा क्रिकेट और लखनऊ की थीम पर आधारित लाइट शो और ड्रोन शो का भी आयोजन किया गया। इस दौरान टीम के कप्तान राहुल अपनी नई टीम के लिए स्थानीय लोगों से समर्थन भी मांगते नज़र आए क्योंकि वे पहली बार घरेलू दर्शकों के सामने अपने घरेलू मैदान पर खेलने जा रहे थे।
लखनऊ की टीम के पास राहुल के अलावा कोई बड़ा भारतीय नाम नहीं है, इसलिए स्टेडियम में जो भी लखनऊ की गहरी नीली जर्सी पहने मिला, सबमें राहुल का नाम ही लिखा था। वाराणसी के 17 साल के शुभम हों या फिर बलरामपुर के 28 साल के विवेक पाल, सबने अपना फ़ेवरिट क्रिकेटर राहुल को ही बताया। उपेंद्र को तो राहुल सिर्फ़ इसलिए पसंद हैं क्योंकि वह लखनऊ की पहचान 'नज़ाकत' और 'नफ़ासत' की तरह ही कलाइयों के सहारे बड़े 'अदब' से गेंद को बाउंड्री पार पहुंचाते हैं। लखीमपुर ज़िले से आए बंगाली समुदाय के लोगों ने तो अपने बैनर पर राहुल के लिए 'आमी तोमाके भालोबाशी' यानी 'हम आपसे प्यार करते हैं' और 'आपको ही देखने आए हैं' लिखवा के लाया था। ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के तराई ज़िलों में विभाजन के बाद आए पंजाबी और बंगाली समुदाय की एक अच्छी-ख़ासी जनसंख्या बसती है।
ख़ैर, टॉस हारने के बाद जब लखनऊ को पहले बल्लेबाज़ी का न्यौता मिला तो लगा कि दर्शकों की मुराद एक झटके में पूरी हो गई क्योंकि लखनऊ के इतिहास की पहली आईपीएल गेंद को राहुल खेलने जा रहे थे। उन्होंने पहले ही गेंद को जब थर्डमैन पर एक रन के लिए भेज ख़ाता खोला, तो तालियों की गड़गड़ाहट से लगा कि उन्होंने शतक पूरा कर लिया हो।
लेकिन इसके बाद वह संघर्ष करते नज़र आए। मुकेश कुमार की बाहर निकलती गेंद पर वह बाहरी किनारे पर बीट हुए तो अंदर आती गेंद उनके पैड पर लगी। चेतन साकरिया की एक गेंद को पेट पर खाने के बाद जब राहुल ने अगली गेंद को वाइड लांग ऑन के ऊपर से आधा दर्जन रनों के लिए उड़ाया तो दर्शकों को ऐसा लगा कि राहुल अपने स्वभाव के अनुसार धीमी शुरुआत के बाद एक लंबी आईपीएल पारी खेलेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। साकरिया ने उन्हें उसी ओवर में धीमी गेंद के जाल में फंसाया और राहुल अपना प्रिय शॉट 'फ़्लिक' खेलकर पवेलियन में थे। डीजे और गाजे-बाजे से तड़क-भड़क रहे स्टेडियम में अचानक से सन्नाटा छाया हुआ था।
हालांकि इस सन्नाटे को थोड़ी देर बाद ही राहुल के साथी सलामी बल्लेबाज़
काइल मेयर्स ने तोड़ा। 14 के निजी स्कोर पर जीवनदान मिलने के बाद वह रुके ही नहीं और कैरेबियन स्टाइल में कुछ बेहतरीन छक्के लगाए। मेयर्स को उनके एक और कैरेबियाई साथी निकोलस पूरन ने भी बख़ूबी साथ दिया। दोनों के इस अंदाज़ को देखने के बाद स्टेडियम के डीजे ने भी एकबारगी कैरेबियन कैलिप्सो ही लगाना उचित समझा होगा, इससे पहले डीजे पर लगातार बॉलीवुड, भोजपुरी और पंजाबी गाने ही बज रहे थे।
रही-सही कसर
मार्क वुड ने दूसरी पारी में पूरी कर दी, जिनकी रफ़्तार का जवाब दिल्ली की सितारों से भरी बल्लेबाज़ी क्रम के पास नहीं था। दर्शक अब 'आह' से उबरकर अपने नफ़ासत भरे शब्द 'वाह' की तरफ़ बढ़ चुके थे।
लखनऊ की जीत के बाद जब यह रिपोर्टर स्टेडियम से बाहर निकला तो एक होर्डिंग पर राहुल, क्रुणाल और
दीपक हुड्डा के साथ मुस्कुरा रहे थे, जिस पर लिखा था 'अदब से हराएंगे'। हालांकि लखनऊ की यह 50 रनों की बड़ी जीत 'अदब' से अधिक 'भौकाली' लग रही थी