मैच (23)
MLC (1)
ENG v WI (1)
IRE vs ZIM (1)
Men's Hundred (2)
एशिया कप (2)
विश्व कप लीग 2 (1)
Canada T20 (4)
Women's Hundred (2)
TNPL (3)
One-Day Cup (5)
SL vs IND (1)
फ़ीचर्स

'कभी-कभी मुझे लगता है: अगर मुझे भारत के लिए चुना जाता है, तो क्या मैं अच्छा प्रदर्शन कर पाऊंगा ?'

जयदेव उनादकट, अभिमन्यु ईश्वरन और फ़ैज़ फ़ज़ल ने इस बारे में बात की कि उनके लिए लगातार दो रणजी सत्र नहीं खेलने के क्या मायने रहे हैं।

Jaydev Unadkat picked up 6 for 51 to stifle Himachal Pradesh, Himachal Pradesh v Saurashtra, Ranji Trophy, Dharamsala, December 10, 2019

पिछले दो रणजी सीज़न में उनादकट ने 106 विकेट लिए हैं।  •  Shailesh Bhatnagar

साउथ अफ़्रीका में टेस्ट सीरीज़ खत्म हुई तो भारत के कोच राहुल द्रविड़ ने कहा कि अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद हनुमा विहारी और श्रेयस अय्यर को टीम का एक स्थायी सदस्य बनने के लिए इंतज़ार करना होगा। हालांकि उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब भी उन्हें मौक़ा मिला है, उन्होंने अपने प्रभावशाली प्रदर्शन के साथ ख़ुद को योग्य साबित किया है। लेकिन उन क्रिकेटरों के बारे में भी सोचना चाहिए जो राष्ट्रीय टीम के हाशिये पर हैं, जो चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए घरेलू क्रिकेट पर निर्भर हैं।
पिछला रणजी ट्रॉफ़ी सीज़न महामारी के कारण रद्द कर दिया गया था और इस सीज़न को स्थगित कर दिया गया है, बीसीसीआई ने इसे दो चरणों में आयोजित कराने का विचार किया है।
हमने तीन घरेलू क्रिकेटरों से बात की कि महामारी और लॉकडाउन का का घरेलू क्रिकेटरों पर क्या प्रबाव पड़ा है
सौराष्ट्र के 30 वर्षीय तेज़ गेंदबाज़ जयदेव उनादकट आईपीएल की नीलामी में सबसे अधिक कमाई करने वाले और घरेलू क्रिकेट में लगातार विकेट लेने वाले गेंदबाज़ रहे हैं, लेकिन उन्हें भारत ए की टीम में भी जगह नहीं मिली है। उन्होंने 18 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं लेकिन उस बात को भी चार साल हो गए। बंगाल के 26 वर्षीय बल्लेबाज़ अभिमन्यु ईश्वरन भारत ए के नियमित खिलाड़ी हैं और पिछले साल एक रिज़र्व खिलाड़ी के रूप में टेस्ट टीम में शामिल किए गए थे। विदर्भ के कप्तान 36 वर्षीय फ़ैज़ फ़ज़ल को 2016 में ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ वनडे मैच के बाद भारतीय टीम में कोई मौक़ा नहीं मिला है।
पिछले दो रणजी सत्र: 18 मैचों में 14.68 की औसत से 106 विकेट
"मेरे प्यारे लाल गेंद, प्लीज़ मुझे एक और मौक़ा दो। मैं तुम्हें गौरवान्वित करूंगा, वादा रहा।" इस ट्वीट को मैंने 4 जनवरी को पोस्ट किया था। मैंने 2010 में भारतीय टीम के लिए अपना अंतिम टेस्ट खेला था और इस ट्वीट को उससे जोड़ा जा सकता था। कई लोग सोच सकते थे कि मैं फिर से अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करना चाहता हूं। हालांकि यह ट्वीट रणजी ट्रॉफ़ी को याद करने के बारे में था।
एक बल्लेबाज़ को आउट करने के लिए जिस तरह का सेट-अप हम बनाते थे, उसे मैं बहुत मिस करता हूं। मुझे लाल गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराना और बल्लेबाज़ को संघर्ष करते हुए देखने का एहसास याद आता है। जब मैंने जनवरी में अभ्यास सत्र में गेंदबाज़ी की, तो गेंद जिस तरह से हिल रही थी और हाथ से निकल रही थी, वह उतनी ही अच्छी थी जितनी कि कुछ साल पहले हुआ करती थी, जब मैं अपने करियर के सबसे अच्छे समय से गुजर रहा था। इसलिए मैं इस रणजी सीज़न (2021-22) के लिए बहुत उत्साहित था। इसलिए मैंने वह ट्वीट किया था। इस बात की उम्मीद करते हुए कि इस बार रणजी सीज़न आयोजित होगा।
मैंने आख़िरी बार 2019-20 के रणजी फ़ाइनल में लाल गेंद से गेंदबाजी की थी, जिस तरह से हम उस दौरान ख़िताब जीतने में सफल हुए थे, साथ ही मैंने जिस तरीक़े से उस सीज़न में गेंदबाज़ी (67 विकेट) की थी, उस पर मुझे गर्व है। उस सीज़न ने मुझे फिर से भारत के लिए खेलने की नई उम्मीदें दी थी।
उन पलों में मेरी पत्नी रिनी, जो पेशे से एक वकील है, वह एक थेरेपिस्ट बन जाती है और मुझे शांत करने का प्रयास करती है। वह कहती है "हमारा समय आएगा, आप इसके लिए तैयार रहें।"
उनादकट
अपने खेल और लक्ष्य निर्धारण के मामले में मैंने अपने करियर में दो चरणों का सामना किया है। जब मैंने 2010 में अपना पहला टेस्ट खेला तो मेरा लक्ष्य 100 टेस्ट खेलने का था। मैं 2014-15 तक उस लक्ष्य पर टिका रहा। मैं अब ऐसा नहीं करता और अब सीज़न दर सीज़न अपने सफर को आगे बढ़ाता हूं। यह सोचकर कि अगर मैं घरेलू सीज़न में दिल लगा कर खेलता हूं, तो मुझे जल्द ही या बाद में भारतीय टीम के लिए एक बार फिर से खेलने का मौक़ा मिलेगा।
चोट से वापसी के बाद से मैंने महसूस किया कि हर घरेलू सत्र में खेलना एक वरदान है और मुझे जो भी मौक़ा मिले उसका पूरा फ़ायदा उठाना चाहिए। हर वह दिन जब मैं वहां होता हूं तो मुझे उस खेल का पूरी तरह से आनंद लेना चाहिए।
मेरा लक्ष्य अभी भी भारत के लिए खेलना है, लेकिन मैं इससे उतना प्रभावित नहीं हुआ जितना कि मैं अपने करियर की शुरुआत में था। मुझे उस समय रणजी मैच जीतने में बहुत मजा नहीं आता था, जैसा कि अब आता है। जबसे मैंने अपनी हर मैच का आनंद लेना शुरू कर दिया, वह टर्निंग प्वाइंट था। मैंने ज़्यादा से ज़्यादा तात्कालिक लक्ष्य निर्धारित करने की कोशिश की, जिससे यह थोड़ा और यथार्थवादी हो गया और मैं स्थिति पर नियंत्रण कर सकता था।
मेरे लिए सबसे कठिन समय टेस्ट क्रिकेट में तेज़ गेंदबाज़ को अच्छे स्पेल करते देखना है। मैं न्यूलैंड्स टेस्ट में जसप्रीत बुमराह के स्पेल को देख कर काफ़ी उत्साहित था, और जिस तरह से पैट कमिंस, जॉश हेज़लवुड और मिचेल स्टार्क ने पहले ऐशेज़ टेस्ट में गेंदबाज़ी की थी, वहा काफ़ी शानदार था। इसे देखते हुए या देखने के बाद मैं टीवी के पास घूमता रहता हूं और जो भी मिले उसके साथ उन गेंदबाज़ी स्पेल के बारे में बात करना शुरू कर देता हूं।
मेरी इच्छा है कि मैं भी मैदान पर कुछ ऐसी चीज़ें कर सकूं। क्योंकि आप इन्हीं इच्छाओं को पूरा करने के लिए खेलते हैं, आप इन्हीं लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अभ्यास करते हैं।
उन पलों में मेरी पत्नी रिनी, जो पेशे से एक वकील है, वह एक थेरेपिस्ट बन जाती है और मुझे शांत करने का प्रयास करती है। वह कहती है "हमारा समय आएगा, आप इसके लिए तैयार रहें।" यह सिर्फ़ आपके सपने और इच्छाएं नहीं है। आपके चाहने वाले भी इसमें शामिल रहते हैं।
पिछले साल मैं एनसीए में फ़िटनेस शिविर में भाग लेने के लिए बीसीसीआई द्वारा चुने गए खिलाड़ियों के समूह का हिस्सा था। इस तरह की बातें स्पष्ट रूप से आपको प्रेरित करती हैं। और जब आप वहां जाते हैं और कोच या चयनकर्ता आपके साथ आप से कहते हैं कि वे आपकी ओर देख रहे हैं या जो भी हो, तो यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। कई बार मुझसे कहा गया कि वे मुझे नेट गेंदबाज़ के रूप में नहीं चाहते क्योंकि मैं एक सीनियर खिलाड़ी हूं और वे युवा गेंदबाज़ो को नेट गेंदबाज़ के रूप में एक्सपोजर देना चाहते हैं।
पिछले दो रणजी सीज़न:16 मैचों में 46.62 की औसत से 1119 रन
पिछले साल 2 जनवरी को अश्विन भाई (आर अश्विन) ने पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान मुझे मैसेज किया था, जहां रिज़र्व गेंदबाज़ सहित टीम के लगभग हर सदस्य को चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला ( अन्य खिलाड़ियों के चोटों के कारण) खेलने का मौक़ा मिला था। उन्होंने कहा: "मैं आपके लिए दुखी हूं और जिस तरह से आपने पिछले (रणजी) सत्र में प्रदर्शन किया है वह काफ़ी सराहनीय है। लेकिन आप अपने खेल और मानसिकता के मामले में जहां हैं वहीं रहें। आपका समय आएगा।"
आख़िरी बार मैं भारतीय ड्रेसिंग रूम में 2018 के निडहास ट्रॉफ़ी के दौरान था। मैं कहीं से भी भारतीय टीम में शामिल होने के लिए हतोत्साहित नहीं हो रहा हूं। हालांकि मैं लाल गेंद से क्रिकेट खेलने के लिए अपनी सांसे रोक कर खड़ा हूं। प्लीज़ इसे ज़रूर आयोजित करें।
पिछले साल 30 मई को मुझे पहली बार भारतीय टीम की सफेद जर्सी मिली। उस समय टेस्ट टीम मुंबई में क्वारेंटीन में थी। मैंने उसे दोपहर के भोजन समय पर पहना और रात के खाने के समय उतार दिया। भारतीय टीम में शामिल होने वाले खिलाड़ियों की सूची में मैं भी शामिल था और उस मूड के साथ ख़ुद को संतुलित करने का प्रयास कर रहा था।
अगले तीन महीनों तक मैंने दुनिया के कुछ सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों के साथ रहने का आनंद लिया। मैंने कोई मैच नहीं खेला लेकिन बहुत कुछ सीखा। विराट कोहली को नेट्स पर बल्लेबाज़ी करते देखना एक शानदार अनुभव था। चाहे स्पिनर हो या तेज़ गेंदबाज़ हो या वह अंडरआर्म डिलीवरी का सामना कर रहे हों, मुझे नहीं लगता कि एक भी ऐसा पल था जब वह 100% नहीं दे रहे थे।
वह एक ऐसा अप्रोच और दृष्टिकोण जिसे उन्होंने वर्षों में बनाया है। मैं भी उसी तरह के अप्रोच और मानसिकता के साथ आगे बढ़ना चाहता था। जिस तरह से वह बॉल के ऊपर आकर खेलते हैं या जिस तरह की बॉडी पॉज़िशन के साथ वह गेंदों पर प्रहार करते हैं, उससे काफ़ी कुछ सीखने को मिलता है। खेल के बेसिक नियमों का पालन करते हुए हर एक गेंद को खेलना, एक ऐसी चीज़ है जो मैंने उस दौरान सीखा। अगर आप अभ्यास के दौरान ऐसा करते हैं तो इसमें कोई शक नहीं है कि इसका असर आपके प्रदर्शन पर देखने को मिलेगा।
अगर मैं फिर से अनसोल्ड रह जाता हूं, तो यह मेरे ऊपर है कि मैं ख़ुद पर भरोसा करूं। हालांकि ऐसा करने के लिए हमें घरेलू क्रिकेट की ज़रूरत है। 2020 में जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो यह समझना मुश्किल था कि क्रिकेट कब तक बाधित रहेगा। शुरू में लगा कि कुछ हफ़्ते होंगे, जो एक महीना बन गया, और फिर कई महीने बीत गए।
अभिमन्यु ईश्वरन
उस अनुभव ने मुझे भारत के लिए खेलने के लिए और अधिक लालची बना दिया है। यह एक ऐसी इच्छा थी जिसके बारे में मैंने पहली बार अपने दूसरे रणजी सत्र के बाद 2014-15 में सोचना शुरू किया था। उस साल बंगाल क्रिकेट संघ ने मुझे सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर का ख़िताब दिया था। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 2017-18 में भारतीय ए टीम के साथ खेलते हुए यह विश्वास और मज़बूत हुआ, जहां मैं वनडे सीरीज़ में भारत का सबसे अधिक रन बनाने वाला खिलाड़ी था। मैंने एक बढ़िया गेंदबाज़ी आक्रमण के ख़िलाफ़ दो जीते हुए मैच में 83 और 49 रनों की पारी खेली थी।
इस महामारी ने सब कुछ बदल दिया है। अब मैं 26 साल का हूं और पिछले दो सीज़न से घरेलू क्रिकेट का ना होना मेरे लिए काफ़ी असहज़ करने वाली परिस्थिति रही है। यह सिर्फ़ मेरे साथ नहीं है। मेरे जैसे 100 और खिलाड़ी हैं जिनको इस तरह के माहौल का सामना करना पड़ा रहा है।
2014 से मैंने आईपीएल ऑक्शन में अपना नाम डाला है लेकिन वहां मुझे किसी भी टीम ने मौक़ा नहीं दिया। इस साल मेरा नौवां प्रयास है। मैं अपने आप को बार-बार नीलामी के लिए क्यों प्रस्तुत करता रहता हूं? क्योंकि मुझे विश्वास है कि मैं काफ़ी अच्छा टी20 खिलाड़ी हूं और मेरे पास इस बात समर्थन करने के लिए आंकड़े हैं।
अगर मैं फिर से अनसोल्ड रह जाता हूं, तो यह मेरे ऊपर है कि मैं ख़ुद पर भरोसा करूं। हालांकि ऐसा करने के लिए हमें घरेलू क्रिकेट की ज़रूरत है। 2020 में जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो यह समझना मुश्किल था कि क्रिकेट कब तक बाधित रहेगा। शुरू में लगा कि कुछ हफ़्ते होंगे, जो एक महीना बन गया, और फिर कई महीने बीत गए। अचानक मेरे दिमाग में विचार आया: क्या होगा अगर मुझे कोई घरेलू क्रिकेट खेलने का मौक़ा नहीं मिला? मैं किस लिए तैयारी कर रहा हूं? मैं सप्ताह में छह दिन मैदान पर जा रहा था, कड़ी मेहनत कर रहा था, अपने खेल के विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहा था, हर दिन ख़ुद को चुनौती देने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन फिर कुछ दिन ऐसे होते हैं जब मुझे लगता है: एक दिन यह ख़त्म हो जाएगा, और अगर मुझे भारतीय टीम के लिए चुना जाता है, तो क्या मैं अच्छा प्रदर्शन कर पाऊंगा? यही विचार मुझे प्रेरित करता रहा। और अब, जब से मैं भारतीय टीम का हिस्सा रहा हूं, मुझे पता है कि मौक़ा आने वाला है। मैं हर दिन मैदान पर जाता हूं, मुझे लगता है: अगर मुझे वह मौक़ा मिले, तो क्या मैं इसके लिए बेहतर तरीक़े से तैयार हो सकता हूं? क्या मैं और भी ज़्यादा फिट रह सकता हूँ? क्या मैं अपने खेल में कोई और सुधार कर सकता हूं? यह सिर्फ़ वहां रहने और प्रदर्शन करने के बारे में है और फिर एक दिन आपको अपनी (भारत) डेब्यू कैप मिल जाएगी। उस पल के बारे में सोचकर मैं सचमुच आगे बढ़ जाता हूं।
पिछले दो रणजी सीज़न: 46.96 की औसत से 19 मैचों में 1268 रन
एक टीम के रूप में, हम इस सीज़न की रणजी ट्रॉफ़ी के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे, जब तक हमें 4 जनवरी को यह नहीं बताया गया कि टूर्नामेंट अनिश्चित काल के लिए स्थगित किया जा रहा है। तब से मैंने अपने बल्ले को छुआ तक नहीं है। हम सब कंफ्यूज हैं। ऐसा लगता है कि भविष्य के लिए हमारे पास कोई प्लान नहीं है। मेरी टीम के कई साथी और अन्य टीमों के खिलाड़ी मुझसे पूछते रहे हैं: "क्या आप जानते हैं कि हम कब फिर से क्रिकेट खेल पाएंगे? अगर हमें खेलने का मौक़ा मिलता है, तो क्या हमें गेंद छोड़ देनी चाहिए या छक्के लगाना चाहिए? हम कैसे तैयारी करें?" ईमानदारी से कहूं तो मेरे पास कोई जवाब नहीं है। अब भी अगर बीसीसीआई फ़ैसला करता है कि हम किसी प्रकार का प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलेंगे, तो यह बहुत मुश्किल है क्योंकि हममें से कई लोगों ने तीन हफ़्तों से बल्ले या गेंद को नहीं छुआ है।
व्यक्तिगत स्तर पर वर्तमान परिदृश्य बहुत निराशाजनक है। हां, मैं समझ सकता हूं कि बीसीसीआई अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन हम जैसे खिलाड़ियों के लिए यह पूरे साल पढ़ाई करने और फिर परीक्षा न देने जैसा है।
ऐसे समय में आप नकारात्मकता में फिसल सकते हैं, लेकिन मेरा परिवार मेरी रीढ़ रहा है। मैं बहुत धार्मिक हूं। मुझे भगवान में विश्वास है। इन चीज़ों ने मुझे मज़बूत रखा है। यह जीवन एक उपहार की तरह है, जिसे हमें खु़शी से जीना चाहिए। इस कोविड समय में मैंने दोस्तों को मरते देखा है। इसने हम सभी को एक सबक सिखाया है: जीवन बहुत अप्रत्याशित है, इसका आनंद लें।
फ़ैज़ फ़ज़ल
युवा क्रिकेटरों के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण समय है और वह इसे खो रहे हैं। हमारे जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी, जिनके पास जॉब नहीं है, वह भी इससे पीड़ित हैं। यही हमारी आजीविका का एकमात्र साधन है। हम इन पांच-छह महीनों की क्रिकेट खेलने के लिए पूरे साल कड़ी मेहनत करते हैं और इससे कुछ पैसे कमाते हैं। मैं जानता हूं कि बीसीसीआई हमें हर्जाना देता है, लेकिन मैदान पर खेलने और इससे कमाई करने से आपको जो आनंद मिलता है, वह बहुत अलग है। यह नौ से पांच की नौकरी की तरह नहीं है। यह कौशल आधारित है और हम अपने कौशल का उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं। वह सबसे निराशाजनक हिस्सा है।
जब महामारी फैली तो पहली प्राथमिकता सुरक्षित रहना था। हालांकि मौजूदा स्थिति मुझे निराश करती है, क्योंकि हम प्रथम श्रेणी क्रिकेट में वापसी के लिए काफ़ी उत्सुक थे। हम सभी खिलाड़ियो ने कोरोना के दोनों टीके लगवा लिए हैं। इसलिए यह कल्पना करना कठिन हो जाता है कि हम क्रिकेट नहीं खेलेंगे । जाहिर है ये शेड्यूलिंग के मुद्दे हैं। आईपीएल के लिए अभी एक महीने से थोड़ा अधिक समय है और यह बीसीसीआई के लिए काफ़ी मुश्किल काम है क्योंकि 30 से अधिक रणजी टीमें हैं, जिन्हें एक बायो बबल में प्रबंधित किया जाना है। लेकिन हां, हम कम से कम एक महीने तक लाल गेंद से क्रिकेट खेलने की उम्मीद ज़रूर जता सकते हैं। मैं घर से बाहर निकलने और मैदान पर समय बिताने के तरीक़े ढूंढ रहा था। मैं उस वाइब का अनुभव करने के लिए अपने क्लब जाता हूं।
इतने लंबे समय तक नहीं खेलना बहुत ही अलग अनुभव होता है। मुझे पता नहीं है कि मैं आख़िरी बार इतने लंबे समय तक घर पर कब रहा। मैं यूके में भी खेलता हूं, इसलिए मैं आम तौर पर पिछले आठ या नौ वर्षों से साल के नौ से दस महीनों के लिए घर से बाहर रहता हूं।
आप मुझसे पूछ सकते हैं कि ऐसा क्या है जो मुझे खेलने के लिए प्रेरित करता रहता है। 36 साल की उम्र में, मुझे लगता है कि मैं 25 साल की उम्र के खिलाड़ियों से कहीं ज्यादा फिट हूं। हां, मैंने 2011 से आईपीएल नहीं खेला है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था जिसका मैंने पीछा किया। जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, तब बात देश के लिए खेलने की थी। यह मेरे साथ हुई सबसे खु़शी की बात है, भले ही यह 2016 में बहुत कम अवधि के लिए मुझे मौक़ा मिला। यह खेल मुझे बहुत पसंद है, यह मुझे बहुत प्रेरित करता है। इसलिए मैं यूके जाता हूं और हर गर्मियों में प्रीमियर लीग मैचों में खेलता हूं।
2017-18 में जब विदर्भ ने रणजी ट्रॉफ़ी जीती तो मैंने 912 रन बनाए। अगले साल जब हमने अपने ख़िताब का बचाव किया तो मैंने 752 रन बनाए। मैंने सोचा था कि एक मुझे राष्ट्रीय टीम में शामिल करने के लिए कॉल आएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हालांकि यह खेल ही मेरे लिए एक प्रेरणा है, और मेरे प्रतियोगी भी बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हैं - मयंक अग्रवाल, अभिमन्यु ईश्वरन, केएल राहुल, प्रियंक पांचाल इन सभी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन मुझे अभी भी विश्वास है कि मैं टेस्ट क्रिकेट खेल सकता हूं। अब मेरा लक्ष्य विदर्भ को अधिक से अधिक ट्राफ़ियां जीतते देखना है क्योंकि उन्होंने मुझे बहुत कुछ दिया है।
ऐसे समय में आप नकारात्मकता में फिसल सकते हैं, लेकिन मेरा परिवार मेरी रीढ़ रहा है। मैं बहुत धार्मिक हूं। मुझे भगवान में विश्वास है। इन चीज़ों ने मुझे मज़बूत रखा है। यह जीवन एक उपहार की तरह है, जिसे हमें खु़शी से जीना चाहिए। इस कोविड समय में मैंने दोस्तों को मरते देखा है। इसने हम सभी को एक सबक सिखाया है: जीवन बहुत अप्रत्याशित है, इसका आनंद लें।

नागराज गोलापुडी ESPNcricinfo के न्यूज एडिटर हैं और शंशांक किशोर सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद Espncricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।