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आईपीएल 2022 : कैसा होगा पिच का मिज़ाज?

मुंबई में परिस्थितियां बल्लेबाज़ी के लिए अनुकूल तो पुणे में स्पिनर कर सकते हैं कमाल

Mahela Jayawardene and Muttiah Muralitharan inspect the pitch, Mumbai Indians v Sunrisers Hyderabad, IPL 2019, Mumbai, May 2, 2019

वानखेड़े स्टेडियम में रिस्टस्पिन ने ख़ासा प्रभाव नहीं डाला है  •  BCCI

आईपीएल 2022 में 70 में से 55 मैच मुंबई के तीन मैदानों पर होंगे जहां पिच पर लाल मिट्टी का प्रयोग होता है - वानखेड़े स्टेडियम, ब्रबोर्न स्टेडियम और नवी मुंबई में डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स अकादमी। पुणे का एमसीए स्टेडियम, जहां बाक़ी के मैच आयोजित होंगे, काली मिट्टी का इस्तेमाल करता है।
लाल और काली मिट्टी से बनी पिचों पर आचरण का कितना अंतर होता है? क्या ओस से फ़र्क़ पड़ेगा? पुणे जैसे खुले मैदान से या अरब सागर के निकट स्थित वानखेड़े और ब्रेबोर्न में गेंदबाज़ों को क्या मदद मिल सकती है? भारी गर्मी में सीमित मैदानों पर 70 मैच खेले जाने से क्या सत्र के दूसरे हिस्से में पिचों में अधिक खुरदरापन देखने को मिल सकता है?
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो इन सभी सवालों का जवाब इन मैदानों पर खेले गए क्रिकेट के आंकड़ों के आधार पर देने की कोशिश कर रहा है।

वानखेड़े स्टेडियम

अहम आंकड़े
  • पिछले 13 नाइट मैचों में से 10 मैच में विजयी टीम ने दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी की है।
  • पिछले 20 मैचों में पहली पारी का औसतन स्कोर है 175 रन।
  • इस मैदान पर रिस्टस्पिन और उंगलियों से स्पिन करने वाले गेंदबाज़ो में ख़ास फ़र्क़ नज़र आता है। जहां रिस्टस्पिनर 9.15 के इकॉनमी से हर 34 गेंद में विकेट लेते हैं, वहीं फ़िंगर स्पिनर के लिए वही आंकड़े है 6.92 प्रति ओवर और 27 गेंदें।
  • आईपीएल 2021 के दौरान पावरप्ले में तेज़ गेंदबाज़ो ने 31 विकेट लिए और स्पिनरों ने केवल एक।
  • वानखेड़े में जीतने का सबसे सरल मंत्र रहा है - टॉस जीतो, गेंदबाज़ी चुनो और ओस का भरपूर फ़ायदा उठाओ। यहां छोटे बाउंड्री और ओस का भारी असर दिख सकता है। इस मैदान पर बड़े हिटर, तेज़ गेंदबाज़ और स्विंग करवाने वाले गेंदबाज़ों की अहम भूमिका होगी। पिछले 20 मैचों में यहां तेज़ गेंदबाज़ों ने 73 प्रतिशत विकेट लिए हैं। लाल मिट्टी की सतह के बारे में पूर्व टेस्ट क्रिकेटर आशीष नेहरा और आरसीबी के हर्षल पटेल, दोनों का मानना है कि ऐसी पिच पर अच्छा उछाल रहता है। नेहरा कहते हैं कि आक्रामक तेज़ गेंदबाज़ नई गेंद से उछाल का लाभ उठाते हुए पावरप्ले में विकेट लेते हुए विपक्ष को बैकफ़ुट पर डालने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा, "नई गेंद से आप को पहले तीन ओवर में दो या तीन विकेट गिरते हुए दिख सकते हैं, और ऐसा चेन्नई और हैदराबाद जैसे मैदानों पर नहीं होता। अगर आप शुरुआत में अच्छी गेंदबाज़ी करेंगे तो इसका फ़ायदा उठा सकते हैं।"

    ब्रेबोर्न स्टेडियम

    अहम आंकड़े
    • यहां 2015 के बाद कोई टी20 मुक़ाबला नहीं खेला गया है।
    • इस मैदान पर पिछले नौ मैचों में छह मैच पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीमों ने जीते हैं।
    • पहली पारी का औसतन स्कोर है 173।
    • ब्रेबोर्न स्टेडियम में 2015 के बाद प्रतिस्पर्धीय मैचों के अभाव के चलते हम आंकड़ों के आधार पर बहुत कुछ नहीं कह सकते। हालांकि यहां भी लाल मिट्टी का उपयोग होता है और ऐसे में बल्लेबाज़ी के लिए अनुकूल परिस्थितियां मिलती हैं।
      हर्षल कहते हैं, "लाल मिट्टी के पिचों पर गेंद ज़्यादा दूर कैरी करती है और यह फ़ायदा भी पहुंचा सकती है और नुक़सान भी। मुझे लगता है टूर्नामेंट के दूसरे हिस्से में यहां ज़्यादा टर्न मिल सकता है।" ब्रेबोर्न की आउटफ़ील्ड बहुत तेज़ है और मैदान वानखेड़े से काफ़ी बड़ा है। यहां स्पिनरों की भूमिका काफ़ी अहम होगी।

      डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स अकादमी

      इस मैदान पर पिछला प्रोफ़ेशनल टी20 मुक़ाबला 2011 में खेला गया था। इस लंबे अंतराल में इस स्टेडियम का सबसे ज़्यादा उपयोग फ़ुटबॉल मैचों की मेज़बानी के लिए किया गया है। यहां पर पर्याप्त आंकड़े हालिया समय में नहीं हैं। एक बात ज़रूर है - यहां की बाउंड्री मुंबई के दूसरे मैदानों से काफ़ी बड़ी हैं।

      एमसीए स्टेडियम, पुणे

      अहम आंकड़े
      • पिछले चार सालों में यहां सिर्फ़ एक टी20 मुक़ाबला खेला गया है।
      • पिछले 14 मैचों में पहली पारी में औसतन स्कोर है 170 रन।
      • इन मैचों में नौ बार दूसरी बल्लेबाज़ी करने वाली टीम को जीत प्राप्त हुई है।
      • नाइट मैचों में जहां तेज़ गेंदबाज़ों की इकॉनमी और स्ट्राइक रेट है 9.22 और 22 गेंदें, वहीं स्पिनरों ने 8.1 रन प्रति ओवर ख़र्चते हुए हर 19 गेंदों पर विकेट झटके हैं।
      • पुणे में एक समय था जब नियमित रूप से आईपीएल के मैच खेले जाते थे। लेकिन 2018 के पश्चात यहां बस एक अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबला 2020 में खेला गया है। यहां काली मिट्टी से बनी पिच का इस्तेमाल होता है और बाउंड्री भी मुंबई के मुक़ाबले छोटी होती हैं। स्पिनर यहां पर औसतन 6.78 की इकॉनमी से हर 23 गेंद में विकेट लेते हैं। शायद इस मैदान पर स्पिनरों का प्रभाव सबसे जल्दी और सबसे महत्वपूर्ण साबित होगा।

        गौरव सुंदरारमन ESPNcricinfo में सीनियर स्टैट्स विशलेषक हैं। अनुवाद ESPNcricinfo में सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।