जब इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अंडर-19 विश्व कप के फ़ाइनल में चमकने की बारी आई, तो राज बावा चमक उठे। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का चयन करने के बाद, 25वें ओवर में इंग्लैंड का स्कोर था सात विकेट पर 91 रन। और इनमें से चार शिकार ख़ुद बावा ने किए थे और इस मैच में उनके आंकड़े रहे - 31 रन देकर पांच विकेट। चार विकेट से मिली इस जीत के स्टार बावा के बारे में कप्तान यश ढुल ने कहा, "वह मानसिक रूप से बहुत मज़बूत है, वह जानता है कि संकटपूर्ण परिस्थितियों में क्या करना है, और वह अपने खेल के बारे में बहुत आश्वस्त है।" अपने इन पांच विकेट और बल्ले के साथ 35 रनों की महत्वपूर्ण पारी के लिए बावा को प्लेयर ऑफ़ द मैच चुना गया।
साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ भारत के पहले मैच पर अगर आप ग़ौर करेंगे तो स्कोरबोर्ड आपको बावा के नाम के आगे चार विकेट दिखाएगा। लेकिन इस मैच में उनके पहले ओवर में 17 रन बने थे। ढुल ने कहा, "वह थोड़ा अलग है। जब हम सब आनंद ले रहे थे, वह अपनी गेंदबाज़ी पर बड़े पैमाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा था, प्रशिक्षण में अधिक समय बिता रहा था, कोचों से बात कर रहा था और वीवीएस (लक्ष्मण) सर से बात कर रहा था। इसलिए हमें सुधार देखने को मिला।" विशेष रूप से शॉर्ट गेंद के उपयोग के साथ, जिसे ढुल ने कहा कि बावा ने "बल्लेबाज़ों को आश्चर्यचकित करने" के लिए किफ़ायत से इस्तेमाल किया। उनमें से एक रेहान अहमद के बल्ले का किनारा लेकर उनके हेलमेट पर जा लगी, और दूसरी जॉर्ज बेल का विकेट दिला गई जब वह बाउंसर गेंद को नियंत्रण में नहीं रख पाए।
इंग्लैंड के कप्तान टॉम प्रेस्ट ने कहा, "उन्होंने जॉर्ज बेल को जो गेंद फेंकी, पहली गेंद, मैं नहीं जानता कि वह कैसे उसे खेल सकता था।" उन्होंने स्पष्ट रूप से अच्छी गेंदबाज़ी की, इसलिए उन्हें श्रेय दिया जाना चाहिए। हमारे पास आज उनके लिए कोई जवाब नहीं था।"
भारत द्वारा रिकॉर्ड पांचवां अंडर-19 विश्व कप ख़िताब जीतने के बाद बावा चर्चा में थे, लेकिन बात सिर्फ़ उनके अकेले की नहीं हो रही थी। रवि कुमार ने चार विकेट झटके। स्पिनरों ने किफ़ायती गेंदबाज़ी की। और फिर जब 190 रनों का पीछा करते हुए भारत दो विकट के नुक़सान पर 49 और चार विकेट खो कर 97 रन के स्कोर पर था, तो बल्लेबाज़ बड़े मंच पर खरे उतरे। शेख़ रशीद (50) और ढुल (17) ने तीसरी विकेट के लिए 46 रन जोड़े और निशांत सिंधु (50*) और बावा ने पांचवीं विकेट के लिए 67 रनों की साझेदारी की।
ढुल ने कहा, "मध्यम तेज़ गेंदबाज़ एशिया कप से ही अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे हमें गेंद से अच्छी शुरुआत मिली है और इससे स्पिनरों के लिए मध्य क्रम को गेंदबाज़ी करना आसान हो गया है। रवि और बावा ने आज हमें अच्छी शुरुआत दी और (राजवर्धन) हंगारगेकर हमेशा अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। कुल मिलाकर यह एक अच्छा प्रदर्शन था।"
उन्होंने आगे कहा, "जब उनकी (इंग्लैंड की) एक साझेदारी हुई, एक दाएं हाथ और एक बाएं हाथ के बल्लेबाज़ [95 रन बनाने वाले जेम्स रू और नाबाद 34 रन बनाने वाले जेम्स सेल्स] के बीच, पिच बेहतर हो चुकी थी। उस समय वह अच्छी बल्लेबाज़ी कर रहे थे इसलिए हमने डॉट गेंदों पर ध्यान दिया। हम जानते थे कि कभी ना कभी एक साझेदारी ज़रूर होगी। वह एक अच्छी टीम है लेकिन हमें ज़रा सा भी दबाव महसूस नहीं हुआ क्योंकि हमने सभी परिस्थितियों के लिए तैयारी की थी।"
फिर लक्ष्य का पीछा करते हुए वह कठिन मोड़ आया। ढुल ने कहा, "हम सामान्य थे। हमें पता था कि हमारे पास बहुत सारे बल्लेबाज़ हैं। यहां तक कि रवि भी बल्लेबाज़ी कर सकता है और हमारे पास ऐसे कई ऑलराउंडर हैं। इसलिए हम आश्वस्त थे। हमें लगा कि चीज़ें सामान्य है और हमारे नियंत्रण में हैं। बल्लेबाज़ी करते समय, पिच में सुधार आया था। इसलिए हमें पता था कि अगर हम गहरी बल्लेबाज़ी करते हैं, तो हम लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे। हमें बस अंत तक बल्लेबाज़ी करने की ज़रूरत थी।"
जब कप्तान और उपकप्तान एक साथ बल्लेबाज़ी कर रहे थे, भारतीय टीम का आत्मविश्वास काफ़ी ऊंचा था। "हम अच्छे दोस्त हैं, एक साथ बहुत समय बिताते हैं और खाना भी साथ मिलकर खाते हैं। इसलिए ... बल्लेबाजी करते समय, हमने सोचा कि हम अंत तक बल्लेबाज़ी करेंगे और इसे खत्म कर देंगे। लेकिन मैं दुर्भाग्य से आउट हो गया, और फिर सिंधु आया और अच्छी बल्लेबाजी की। फिर बावा और बाना ने मैच ख़त्म किया।"
चुनौतियों से भरा विश्व कप
इस टूर्नामेंट की तैयारी आसान बिल्कुल भी नहीं थी। न केवल भारत बल्कि कई टीमों को महामारी के चलते मैच खेलने का मौक़ा नहीं मिला। भारत के लिए तो प्रतियोगिता के शुरू होने के बाद स्थिति और बिगड़ गई जब कप्तान और उपकप्तान समेत कई खिलाड़ी कोरोना संक्रमित हो गए और टीम को 11 खिलाड़ियों को मैदान पर उतारने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
"यह एक अच्छी टीम की निशानी है कि वह अपने खिलाड़ियों का समर्थन करती है और उन्हें यह महसूस होने नहीं देती कि वह बाहर हैं", ढुल ने कहा। "जब हम वापस आए, तो लगा ही नहीं कि कुछ बदला था, हम सकारात्मकता के साथ खेलते रहें और हमें नतीजे मिलें।"
"(विश्व कप जीतना) मेरे, हमारी टीम और पूरे देश के लिए गर्व की बात है। कई सारी चुनौतियों के बाद भी हम डटकर खड़े रहें और हमें पूरा आत्मविश्वास था। इसी के वजह से हम यह (ट्रॉफ़ी) हासिल कर पाए।"
ढुल अब मोहम्मद कैफ़, विराट कोहली, उन्मुक्त चंद और पृथ्वी शॉ के बाद भारत को अंडर-19 विश्व कप जिताने वाले पांचवें कप्तान बन गए। भारत का टूर्नामेंट में इतना अच्छा रिकॉर्ड है कि प्रशंसक उनसे हर बार इस प्रतियोगिता को जीतने की उम्मीद करते हैं।
इस सूची में शामिल होना अक्सर दबाव साथ लेकर आता है। लेकिन ढुल दबाव लेने वालों में से नहीं है।
उन्होंने कहा, "हमने एशिया कप का फ़ाइनल भी जीता था क्योंकि हम सकारात्मक थे और एक समय पर एक ही मैच के बारे में सोच रहे थे। यह भी वैसा ही एक मैच था। और हमने वैसे ही इसे खेला जैसे हम कोई अन्य मैच में खेलते हैं। हमने परिणाम के बारे में नहीं सोचा, बस सकारात्मक खेल खेला, और हमें वह परिणाम मिला जो हम चाहते थे।"
भविष्य इतना उज्जवल है कि...
अब, हालांकि, जीवन बदल जाता है। आख़िरकार, अंडर-19 विश्व कप बड़ी मंज़िल की तरफ़ केवल एक क़दम है।
ढुल ने कहा, "मैं भविष्य में भी क्रिकेट खेलूंगा। लक्ष्मण सर और बाक़ी सभी के साथ बातचीत यही थी कि ध्यान हमेशा क्रिकेट पर होना चाहिए। बाक़ी चीज़ें अपने आप होती चली जाएगी। मानसिकता सबसे महत्वपूर्ण है, अगर मैं मज़बूत रहता हूं तो मैं अपना ध्यान केंद्रित करूंगा और मैच-दर मैच मुझे जो अवसर मिलेंगे उनमें अच्छा खेलूंगा। आईपीएल नीलामी होने वाली है और संभवतः घरेलू सीज़न में दिल्ली के लिए थोड़ा क्रिकेट और शायद रणजी ट्रॉफ़ी भी खेलने मिल सकती है।"
वह आगे कहते हैं, "मैं उत्साहित रहूंग क्योंकि यह मेरे लिए पहली बार है। लेकिन इसका यह भी अर्थ है कि मुझे अपने खेल पर और ध्यान देना होगा ताकि मैं उच्च स्तर पर खेल सकूं। मेरा अभ्यास भी दुगना हो जाएगा।"
लेकिन इसमें थोड़ा विलंब होगा क्योंकि अभी इस जीत का आनंद लेने का समय है। ढुल ने हंसते हुए बताया कि ट्रॉफ़ी उन्हीं के कमरे में रहेगी। और जश्न? उसकी शुरुआत आइसक्रीम के साथ हुई। याद रखिए यह अभी भी बच्चे ही हैं। "आइसक्रीम हमारे कमरों में पहुंच गई है तो हम उसका आनंद लेंगे। लंबे समय से हम उससे दूर रहे थे तो अब आनंद लेने का समय है।"