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भारतीय खिलाड़ियों के विदेशी लीग में खेलने की कोई ज़रूरत नहीं : ज़हीर और शास्त्री

दोनों दिग्गजों का मानना है कि खिलाड़ियों को आईपीएल, घरेलू क्रिकेट और इंडिया-ए टूर से अनुभव बंटोरना चाहिए

Virat Kohli and Rohit Sharma celebrate after Wessly Madhevere's wicket, India vs Zimbabwe, ICC Men's T20 World Cup 2022, Melbourne, November 6, 2022

"भारत की घरेलू क्रिकेट संरचना बहुत मजबूत है"  •  Associated Press

राहुल द्रविड़ की तरह ज़हीर ख़ान और रवि शास्त्री का भी मानना है कि भारतीय क्रिकेटरों को विदेशी टी20 लीग्स में खेलने की ज़रूरत नहीं है। उनका कहना है कि भारत की घरेलू क्रिकेट की संरचना बहुत मज़बूत है और भारतीय खिलाड़ियों को विदेश की ओर देखने की बजाय घरेलू क्रिकेट खेलना चाहिए।
टी20 विश्व कप में भारत के बाहर होने के बाद कई क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भारतीय क्रिकेटरों को बिग बैश और हंड्रेड जैसे विदेशी लीग्स में खेलने की अनुमति नहीं मिलती है और वे अन्य टी20 खिलाड़ियों से पीछे रह जाते हैं। ऐसे लोगों में पूर्व भारतीय कोच और कप्तान अनिल कुंबले, स्टीवन फ़्लेमिंग और टॉम मूडी शामिल थे।
हालांकि पूर्व तेज़ गेंदबाज़ ज़हीर ख़ान इससे सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि भारत अपने विस्तृत संसाधनों के तहत ऐसे खिलाड़ियों का निर्माण कर सकता है, जो किसी भी परिस्थिति में अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम हों।
उन्होंने कहा, "इसके पीछे बहुत सी प्रक्रिया है। यह सिर्फ़ फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट खेलने के बारे में नहीं है। अगर किसी खिलाड़ी को दूसरे देश की परिस्थितियों को समझना है तो ए-टूर हैं। बीसीसीआई इन सभी बातों का ध्यान रखता है। इसलिए मुझे भारतीय खिलाड़ियों के विदेशी लीग्स में खेलने का कोई कारण नहीं दिखता।"
उन्होंने आगे कहा, "भारत के पास एक मज़बूत घरेलू क्रिकेट संरचना है, तो दूसरे पर निर्भर क्यों रहना? अच्छे खिलाड़ियों के निर्माण के लिए हमारे पास बहुत संसाधन हैं। आप भारत के बेंच स्ट्रेंथ को ही देखें, आप किसी भी स्तर पर तीन टीमें एक साथ खिला सकते हो।"
वहीं पूर्व कोच शास्त्री का मानना है कि घरेलू क्रिकेट, आईपीएल और ए-टूर में खेलने से युवा खिलाड़ियों को बेहतर एक्स्पोज़र और अनुभव मिलता है। प्राइम वीडियो के एक क्रिकेटिंग टाक शो में वह कहते हैं, "भारत में ढेर सारा घरेलू क्रिकेट है। इसके अलावा पिछले कुछ सालों में इंडिया-ए टूर की संख्या भी बढ़ गई है। आप निकट भविष्य में एक साथ दो भारतीय टीमों को खेलता हुआ देख सकते हैं। खिलाड़ियों के पास अनुभव बंटोरने के बहुत सारे मौक़े हैं। इसलिए विदेशी लीग्स में खेलने की कोई ज़रूरत नहीं है।"