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शादाब 2.0 की बात ही कुछ अलग है

एशिया कप के फ़ाइनल में पाकिस्‍तान को पहुंचाने में इस ऑलराउंडर की अहम भूमिका

शादाब ख़ान के लिए चीजे़ं अब इतनी मुश्किल नहीं रही। उन्‍होंने सुपर 4 में भारत के ख़‍िलाफ़ खेले गए मुक़ाबले में ख़ुद को साबित कर दिया है। वह एक गेंदबाज़ के तौर पर बहुत सी चीज़ों को आज़माने की वजह से परेशान हुए। एक कला के तौर पर लेग स्पिन की मांग एक अहम समय पर हो सकती है, इसमें आप ज्‍़यादा ग़लतियां नहीं कर सकते हैं और अगर आप बहुत सारी चीज़ें करना चाहोगे तो शादाब के मुताबिक यह आपको अनिरतंरता की ओर धकेल देगा।
यह कुछ ऐसा था जिस पर शादाब इस साल की शुरुआत से काम कर रहे थे। वह चीज़ों को सही दिशा में ले गए। जैसे वह एक ही जगह पर लगातार गेंद डालने लगे, गति में बदलाव करते रहे। जब उनको महसूस हुआ कि टप्‍पा सही जगह पर गिर रहा है तो उन्‍होंने गूगली और फ़्लिपर की शुरुआत की। .
यह वैसा नहीं था जब उन्‍होंने छह साल पहले गेंदबाज़ी करते हुए सफलता पाई थी। प्रतिस्‍पर्धी माहौल में जहां समय किसी का इंतज़ार नहीं करता है, उस वक्‍़त शादाब ख़ुद को दोबारा बनाने में लग गए थे, जो एक उदाहरण था कि वह अपने खेल से किस तरह से जुड़े हैं।
शादाब को उनकी गेंदबाज़ी का श्रेय मिलेगा लेकिन उसी समय वह अपनी बल्‍लेबाज़ी की दिशा से नहीं भटके। यह ऐसा कुछ था जिस पर वह गर्व करते हैं। अगर आप में अपनी काबिलियत पर विश्‍वास नहीं होता तो आप अपने कोच को बातचीत से ग़लत साबित नहीं कर सकते हैं। लेकिन शादाब ने दो साल पहले मिकी ऑर्थर को यह करके दिखाया, जब उन्‍होंने आयरलैंड और इंग्‍लैंड के ख़‍िलाफ़ तीन टेस्‍ट में तीन अर्धशतक लगा दिए थे।
यह वह कौशल था जो शादाब को टी20 सेटअप में जगह ही नहीं दिलाया, उनके सेटअप में एक लचीलापन लेकर आया। ख़ासतौर पर जब फ़हीम अशरफ़ सफे़द गेंद ऑलरउंडर की रेस से बाहर हो चुके हैं।
इस्‍लामाबाद ने शादाब के कमाल को इस साल की शुरुआत में पहचान लिया था, जहां वह आठ पारियों में 19 विकेट ले चुके थे, जिसमें दो बार पारियों में चार विकेट और एक बार पारी में पांच विकेट में शामिल था। उन्‍होंने 162.42 के स्‍ट्राइक रेट से 268 रन भी बनाए। किसी ने भी पीएसएल में 250 रन और 15 विकेट नहीं लिए हैं। जब बात इस्‍लामाबाद यूनाइटेड के नेतृत्‍व की आए तो वह उस पर ख़रे उतरे।
पिछले दो सप्‍ताह में हमने शादाब की काबिलियत को अलग अलग समय पर एशिया कप में देखा गया। भारत के ख़िलाफ़ खेले गए मैच को उन्‍होंने अकेले दम पर पारी को बदल दिया। उन्‍होंने चार ओवर में 31 रन देकर दो विकेट लिए और जहां भारत का स्‍कोर 200 से ज्‍़यादा जाता दिख रहा था, भारत 181 रनों तक रह गया। शादाब अपनी विविधताओं में उस दिन स्‍टॉक बॉल और रॉन्‍ग वन पर ही सीमित नहीं थे, लेकिन उन्‍होंने अपनी लेंथ में बदलाव किए, गेंद को गति दी और क्रीज़ का इस्‍तेमाल किया।
उन्‍होंने अपने ओवर की पहली ही गेंद पर केएल राहुल को लांग ऑन पर कैच करा दिया था। यह बिल्‍कुल शादाब का विकेट था। उन्‍होंने गेंद में गति नहीं देकर बल्‍लेबाज़ को बड़े शॉट के लिए ललचाया, केवल इसी वजह से कि वह डीप में लपके जाएं। इसके बाद अंत में ऋषभ पंत बडे़ शॉट की ओर देख रहे थे, वह रिवर्स स्‍वीप की ओर गए लेकिन उन्‍होंने लेग स्‍टंप के बाहर गेंद डालकर उनको टाइम नहीं करने दिया और वह प्‍वाइंट की दिशा में लपके गए।
शादाब का योगदान अभी तक ख़त्‍म नहीं हुआ था। यह उनका सहज ज्ञान था, जो मैचअप और डाटा की गहरी समझ से उपजा था, जहां दुनिया भर में आधुनिक टी20 टीम इसकी ओर जा रही हैं। जैसे दो लेग स्पिनरों को मुश्किल में डालने के लिए पाकिस्‍तान ने मोहम्मद नवाज़ को बल्‍लेबाज़ी क्रम में प्रमोट करने का निर्णय लिया था और इसने उनकी जीत में अहम भूमिका निभाई। उस पारी में नवाज़ ने भारत के ख़‍िलाफ़ 20 गेंद में 42 रन की अहम पारी खेली थी।
अफ़ग़ानिस्‍तान के ख़‍िलाफ़ नजीबुल्‍लाह ज़दरान ने उन पर छक्‍काालगा दिया, लेकिन उन्‍होंने उसी तरह की गेंद डाली लेकिन यह हवा में फ़्लाइट थी थी और स्‍लॉग लगाने के चक्‍कर में वह आउट हो गए। पड़ोसी देश के ख़‍िलाफ़ मिली इस जीत में फ़ाइनल ओवर में नसीम शाह द्वारा लगाए गए दो लगातार छक्‍के अहम रहे लेकिन नंबर पांच पर आकर शादाब की 26 गेंद में 36 रनों की पारी बेहद ही महत्‍वपूर्ण थी, जब शीर्ष क्रम फ़ेल हो गया था।
मैच जिस तरह से ख़त्‍म हुआ उसने शादाब को श्रेय नहीं दिया लेकिन उन्‍होंने जिस तरह से राशिद को संभाला वह काबिल ए तारीफ़ था। इस मैच से पहले हॉन्‍ग कॉन्‍ग के ख़‍िलाफ़ भी उन्‍होंने आठ रन देकर चार विकेट लिए थे।
गेंदबाज़ के तौर पर शादाब को राशिद ख़ान की तरह अधिक टर्न या बाउंस नहीं मिलती है लेकिन जिस तरह से वह अपने साइड स्पिन कराते हैं और विरोधी बल्‍लेबाज़ों के ख़‍िलाफ़ खेलते हैं वह उनको अलग बनाता है। बल्‍ले से वह शांत रहते हैं, परखते हैं और गेंदबाज़ों या परिस्‍थतियों के अनुसार लाइन अप करते हैं और रन बनाने के मौके़ देखते हैं।
शादाब अपने खेल में एक्‍स फ़ैक्‍टर को साबित कर चुके हैं। वह अवस्‍यक लड़का अब जुदा अंदाज़ में वापसी कर चुका है और यह संकेत एक बार दोबार बेहतरीन लगते हैं।

शशांक किशोर ESPNcricinfo के सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।