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'पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा' : मार्श, लेथम, बिन्नी और विश्व कप दलों में अन्य पिता-पुत्र जोड़ी

इंग्लैंड-नीदरलैंड्स मुक़ाबले में दो ऐसे खिलाड़ी आमने-सामने होंगे जिनके पिता भी विश्व कप खेले हैं

Roger Binny was the highest wicket taker in the 1983 World Cup picking up 18 wickets.

रॉजर बिन्नी 1983 विश्व कप में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बने  •  Getty Images

8 नवंबर को इंग्लैंड-नीदरलैंड्स के बीच विश्व कप 2023 के मुक़ाबले में एक अनोखा दृश्य देखने को मिल सकता है। इंग्लैंड के लिए सैम करन और नीदरलैंड्स के लिए बास डलीडे अगर खेले, तो दोनों अपने पिताओं के पदचिन्हों पर चलेंगे - केविन करन ज़िम्बाब्वे के लिए दो विश्व कप खेले और 1987 में भारत में मैच भी खेले थे। वहीं टिम डलीडे भी 1996 में भारत में विश्व कप खेले थे और इसके बाद 2003 और 2007 में नीदरलैंड्स के अगले दोनों अभियान में भी टीम का हिस्सा बने थे।

आइए नज़र डालते हैं विश्व कप के इतिहास में और कौन से ऐसे परिवारों ने हिस्सा लिया है।

केर्न्स परिवार (न्यूज़ीलैंड)

क्रिस केर्न्स को अधिकतर भारतीय समर्थक शायद 2000 के चैंपियंस ट्रॉफ़ी फ़ाइनल में भारत के विरुद्ध मैच-जिताऊ शतक के लिए याद रखते हों, लेकिन यह जुझारू ऑलराउंडर न्यूज़ीलैंड के लिए 1992, 1996, 1999 और 2003 विश्व कप अभियानों का हिस्सा थे। उन्होंने कुल तीन अर्धशतक लगाए और दो बार पारी में तीन विकेट निकाले, लेकिन 1992 और 1996 दोनों में सेमीफ़ाइनल तक प्रवेश करने वाली टीमों का हिस्सा बने।
क्रिस के पिता लांस भी उन्हीं की तरह आक्रामक बल्लेबाज़ और तेज़ गेंदबाज़ थे और ठीक क्रिस की तरह 1975 और 1979 दोनों विश्व कप में सेमीफ़ाइनल खेले। फ़र्क़ इतना था कि लांस दोनों मैचों में अपनी टीम के एकादश का हिस्सा रहे। उन्होंने 1983 का विश्व कप भी खेला और 1979 में भारत के ख़िलाफ़ 3/36 उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा।

ब्रॉड परिवार (इंग्लैंड)

क्रिस ब्रॉड बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज़ थे और 1987 विश्व कप में इंग्लैंड के लिए पाकिस्तान में खेले गए तीन मैचों का हिस्सा रहे। उनका सर्वाधिक योगदान रावलपिंडी में सह-मेज़बान पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 36 का रहा।

क्रिस के पुत्र स्टुअर्ट ने गेंदबाज़ी में अपना नाम कमाया और इंग्लैंड के सर्वकालिक महान टेस्ट तेज़ गेंदबाज़ों में एक हैं। उन्होंने 2007, 2011 और 2015 के विश्व कप भी खेले और साउथ अफ़्रीका के ऊपर चेन्नई में रोमांचक जीत में 4/15 लेते हुए अहम भूमिका भी निभाई।

लेथम परिवार (न्यूज़ीलैंड)

रॉड लेथम ने न्यूज़ीलैंड के लिए 33 वनडे मैच खेले, जिनमें सात 1992 विश्व कप में अपनी सरज़मीं पर खेले गए। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध पहला मैच खेला और ऑकलैंड में साउथ अफ़्रीका पर बड़ी जीत में 69 गेंदों पर 60 रन बनाते हुए मार्क ग्रेटबैच के साथ शतकीय साझेदारी निभाई।
उनके पुत्र टॉम बाएं हाथ की बल्लेबाज़ी करने के साथ ही 2019 विश्व कप से टीम के नियमित विकेटकीपर भी हैं। 2019 में उन्होंने इंग्लैंड के विरुद्ध अर्धशतक ठोका था और 2023 में भी अपनी पहली दो पारियों में 50 का स्कोर पार कर चुके थे। इसके अलावा उन्होंने केन विलियमसन की ग़ैरमौजूदगी में टीम की कप्तानी भी सहजता के साथ संभाला।

बिन्नी परिवार (भारत)

बीसीसीआई अध्यक्ष नियुक्त होने से कई साल पहले रॉजर बिन्नी एक उपयोगी स्विंग गेंदबाज़ और निचले मध्यक्रम के बल्लेबाज़ थे। उन्होंने 1983 विश्व कप में भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे टूर्नामेंट में सर्वाधिक 18 विकेट लिए। चार साल बाद भारतीय सरज़मीं पर हुए विश्व कप में वह केवल चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध उद्घाटन मैच खेले थे।

रॉजर के पुत्र स्टुअर्ट 2015 विश्व कप में भारतीय दल का हिस्सा रहे हालांकि उन्होंने कोई मैच नहीं खेला।

प्रिंगल परिवार (ईस्ट अफ़्रीका, इंग्लैंड)

1975 विश्व कप में केन्या, युगांडा, तंज़ानिया और ज़ाम्बिया से खिलाड़ियों को ईस्ट अफ़्रीका टीम के तहत खेलने का मौक़ा मिला। नई गेंद के साथ 43-वर्षीय डॉन प्रिंगल ने तीन मैचों में से दो में हिस्सा लिया, जिसमें भारत की 10 विकेट से मिली पहली विश्व कप में जीता मैच शामिल था। उसी अक्तूबर नैरोबी में एक मैच में 6/16 लेकर लौटते हुए एक सड़क दुर्घटना में उनका निधन भी हुआ।

बेटे डेरेक ने 1987 और 1992 दोनों विश्व कप अभियानों में इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व किया और दो बार उपविजेता टीम का हिस्सा बने। 1992 फ़ाइनल में उनकी 3/22 का स्पेल विश्व कप इतिहास में बेहतरीन गेंदबाज़ी के प्रदर्शनों में एक गिना जाता है।

मार्श परिवार (ऑस्ट्रेलिया)

जेफ़ मार्श 1987 में ऑस्ट्रेलिया की पहली विश्व कप जीत का अहम हिस्सा रहे थे। उन्होंने पहले मैच में भारत के ख़िलाफ़ चेन्नई में और चंडीगढ़ में न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध शतक दागे। 1992 के विश्व कप में वह केवल पांच ही मैच खेल सके, हालांकि 1999 में ऑस्ट्रेलिया की दूसरी विश्व कप सफलता में वह मुख्य कोच की भूमिका में दिखे।
उनके दोनों पुत्र शॉन और मिचेल भी विश्व कप खेल चुके हैं। पहला मौक़ा छोटे बेटे मिचेल को 2015 में मिला और विजयी अभियान में उन्होंने तीन मैच खेले, जिसमें इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 5/33 का स्पेल यादगार था। इसके बाद 2019 विश्व कप में शॉन ने दो मैच खेले और फिर चार साल बाद मिच ने भारत में मार्श परिवार का ऑस्ट्रेलिया के लिए एक और विश्व कप अभियान से नाता जोड़ दिया।

देबायन सेन ESPNcricinfo में सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड हैं @debayansen