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अश्विन : अगर कुछ निश्चित और सीमित टेस्ट सेंटर्स हों तो खिलाड़ियों को फ़ायदा होता है

हालांकि भारतीय ऑफ़ स्पिनर ने यह भी कहा कि भारत जैसे देश में अधिक टेस्ट सेंटर्स होने का अपना लाभ भी है

भारत और बांग्लादेश के बीच कानपुर में खेले गए टेस्ट मैच के दूसरे और तीसरे जब दिन बारिश और गीले मैदान के कारण एक भी गेंद का खेल नहीं हो पाया, तो एक तबके की तरफ़ से यह मांग उठने लगी थी कि भारत में भी ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की तरह कुछ निश्चित और सीमित टेस्ट सेंटर होने चाहिए।
भारत के ऑफ़ स्पिनर आर अश्विन इस पर एक मिला-जुला विचार रखते हैं। दो टेस्ट मैचों में 114 रन और 11 विकेट लेकर प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ बने अश्विन ने मैच के बाद कहा कि निश्चित और सीमित टेस्ट सेंटर होने का अपना फ़ायदा है, लेकिन उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत जैसे बड़े देश में यह व्यवहारिक नहीं है।
अश्विन ने कहा, "सोशल मीडिया के इस दौर में सबके पास अपने विचार हैं, लेकिन ज़रूरी नहीं कि सब विचार सही भी हों। अगर भारत में इतने अधिक टेस्ट सेंटर्स हैं तो इसका अपना फ़ायदा है कि आपको देश के हर एक कोने से ऐसे क्रिकेटर मिलते हैं और जो टेस्ट खेलना चाहते हैं। भारत एक बहुत बड़ा देश है और यहां हर तरह और हर जगह के लोग अपने देश के लिए क्रिकेट खेलना चाहते हैं। इसलिए जब अगर अलग-अलग सेंटर्स पर टेस्ट मैच आयोजित होते हैं, तो वहां के खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट के प्रति उत्साहित भी होते हैं। यह इसकी सबसे सकारात्मक बात है।"
"हालांकि इसका दूसरा पहलू यह है कि किसी टेस्ट मैच के आयोजन के लिए कुछ निश्चित मानकों की ज़रूरत होती है। जैसे- हमें ड्रेनेज जैसी चीज़ों पर निवेश करने की ज़रूरत है और यह कोई मुश्किल काम भी नहीं है," अश्विन ने आगे कहा।
ग़ौरतलब है कि कानपुर टेस्ट के पहले दिन सिर्फ़ 35 ओवर का खेल हो पाया था, हालांकि उस दिन बारिश भी हुई थी। लेकिन दूसरे दिन बहुत छिट-पुट बारिश हुई, जबकि तीसरे दिन तो बिना बारिश के ही खेल को रद्द कर दिया गया।
उस समय ग्रीन पार्क स्टेडियम के प्रशासकों ने कहा कि वे बारिश को नियंत्रित नहीं कर सकते और दावा किया कि स्टेडियम की ड्रेनेज और अन्य सुविधाएं फ़ुल प्रूफ़ हैं।
वहीं BCCI उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने मैच के चौथे दिन स्टेडियम के ड्रेनेज सिस्टम के आधुनिक ना होने और पुराने होने की बात स्वीकारी थी और कहा था कि इसका आधुनिक तकनीक के आधार पर नवीनीकरण की ज़रूरत है। हालांकि वह भी स्टेडियम की ड्रेनेज सुविधाओं का बचाव करते हुए नज़र आए थे।
उन्होंने कहा था, "यह स्टेडियम देश के पांच सबसे पुरानी स्थायी टेस्ट सेंटर में से एक और 80 साल पुराना है। लेकिन यह इस स्टेडियम के इतिहास में पहली बार हुआ है कि लगातार दो दिन का खेल बर्बाद हुआ हो, वहीं आज तक यहां पर कोई टेस्ट मैच रद्द नहीं हुआ। विश्व के कई स्टेडियम ऐसे हैं, जहां बारिश के कारण पूरा मैच ही रद्द हो जाता है। तो अगर यहां दो दिन का मैच रद्द हुआ है, तो उस पर अधिक हो-हल्ला नहीं होना चाहिए।"
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि टियर-टू शहरों में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट होने से खेल का रोमांच भी बना रहता है और वहां अंतर्राष्ट्रीय सितारों को देखने टियर वन से अधिक दर्शक पहुंचते हैं। यह खेल के विकास के लिए बहुत अच्छा है।
उन्होंने कहा था, "कई बार ऐसा भी होता है कि बड़े शहरों में IPL मैच भी हो रहे हैं, WPL हो रहे हैं, विश्व कप भी हुआ और फिर अंतर्राष्ट्रीय मैच हो रहे हैं। इससे वहां के दर्शकों का रूझान खेल के प्रति घटने लगता है। इसलिए भी BCCI का प्रयास है कि जहां भी संभव हो सकता है, टियर-टू शहरों में भी टेस्ट क्रिकेट आयोजित करें। जिससे अधिक से अधिक लोग मैच देखने आए। आप कानपुर में भी देख सकते हैं कि दो दिन का खेल पूरी तरह रद्द होने के बाद भी लोग शाम तक डटे रहे थे। इसके अलावा जब खेल हुआ तो स्टेडियम पूरा भर गया। यह दिखाता है कि ऐसे शहरों के लोगों में क्रिकेट के प्रति भूख है और वे क्रिकेट देखना चाहते हैं। BCCI इन सब पहलुओं का भी ध्यान रखती है।"
वहीं अश्विन का मानना है कि टेस्ट सेंटर्स अगर कम होते हैं तो इससे खिलाड़ियों को मदद बहुत मिलती है। उन्होंने कहा, "जब हम ऑस्ट्रेलिया जाते हैं तो सिर्फ़ पांच सेंटर्स पर टेस्ट मैच होते हैं, मानुका ओवल या कैनबेरा में टेस्ट मैच नहीं होता। इसी तरह इंग्लैंड में भी होता है, जहां कुछ निश्चित टेस्ट सेंटर्स हैं। इससे उनके खिलाड़ियों को वहां की पिच और परिस्थितियों के बारे में सब कुछ पता रहता है और वे उसके अभ्यस्त रहते हैं। लेकिन क्या हम अपने यहां ऐसा कर सकते हैं, यह मेरे अधिकार क्षेत्र का विषय नहीं है, इसलिए मैं इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं कर सकता हूं।"

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं. @dayasagar95