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चोटों से जंग और मानसिक पीड़ा: श्रेयंका पाटिल की वापसी की हिम्मत भरी दास्तान

श्रेयंका पिछले 11 महीने चोटों से परेशान रहीं लेकिन इस दौरान सूर्यकुमार यादव ने उनकी बहुत मदद की

आशीष पंत
11-Sep-2025 • 2 hrs ago
Shreyanka Patil is one of the three Indians at the WCPL 2025, Trinbago Knight Riders vs Barbados Royals, Women's Caribbean Premier League, Guyana, September 10, 2025

पाटिल WCPL 2025 में खेलने वाली तीन भारतीयों में से एक हैं  •  CPL T20 via Getty Images

रविवार को महिला कैरेबियन प्रीमियर लीग 2025 (WCPL 2025) का पहला मैच खेलने से पहले श्रेयंका पाटिल की आंखों में आंसू थे। ये राहत और ख़ुशी के आंसू थे। श्रेयंका 11 महीने चोटों से परेशान रही हैं। यह एक अंतहीन सिलसिले के जैसा था, जो थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। हालांकि 23 वर्षीय खिलाड़ी अब फिर से मैदान पर वापस आ चुकी हैं।
श्रेयंका ने गयाना ऐमेज़ॉन वॉरियर्स के ख़िलाफ़ अपने तीन ओवरों में 33 रन ख़र्च कर दिए लेकिन वह जिस दौर से गुजरने के बाद वापसी कर रही हैं, उसके कारण इन आंकड़ों के कुछ मायने नहीं हैं। वह मैदान पर वापस आ चुकी हैं, प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेल रही हैं और वह इसके लिए काफ़ी ख़ुश और शुक्रगुज़ार हैं।
पाटिल के लिए पिछला डेढ़ साल काफ़ी मुश्किल रहा है। उनका संदेह इस हद तक पहुंच चुका था कि उन्हें ख़ुद से सवाल पूछना पड़ रहा था कि क्या आगे उनका करियर बना रहेगा या यह ख़त्म हो गया है। कुछ समय तो ऐसा भी आया जब उन्होंने एक लंबा ब्रेक लेने और बाद में यह फ़ैसला करने के बारे में सोचा कि वह वापस आना चाहती हैं या नहीं।
चोटों का यह सिलसिला पिछले साल जुलाई में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ महिला एशिया कप के मैच के दौरान शुरू हुआ था। तब उनकी बाईं कलाई की चौथी उंगली में फ्रै़क्चर हो गया था। वह ठीक हो गईं और अक्तूबर में भारत की T20 विश्व कप टीम का हिस्सा थीं।
पाटिल ने पूरा टूर्नामेंट खेला, लेकिन उसके तुरंत बाद उनके दोनों पैरों में ग्रेड 3 शिन स्प्लिंट्स हो गए। इससे वह तीन से चार महीनों तक खेल से दूर रहीं। जब उन्होंने सभी बाधाओं को पार कर लिया और ट्रेनिंग शुरू करने की मंज़ूरी मिल गई, तो वही समस्या फिर से शुरू हो गई, जिससे उनकी वापसी और भी कठिन हो गई।
WCPL के आधिकारिक ब्रॉडकास्टर फ़ैनकोड द्वारा आयोजित एक बातचीत में पाटिल ने कहा, "शुरुआत में मैं ठीक थी। ऐसा लगा कि मैं बेहतर हो रही हूं। मैं जल्द ही मैदान पर वापस कर लूंगी।' लेकिन जब मुझे बार-बार चोट लगने लगी, तो मैं सोचने लगी, ' यह सब क्या हो रहा है?'"
"मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अपने माता-पिता, ख़ासकर अपने पापा का सामना कैसे करूं। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अपने क़रीबी लोगों से कैसे बात करूं। उस समय मैं पूरी तरह से ख़ाली हो गई थी।"
हालांकि, यह पाटिल के दर्द का अंत नहीं था। शिन स्प्लिंट्स के बाद उनकी कलाई में एक स्ट्रेस रिएक्शन हो गया। वह ठीक हो गईं और इस साल की शुरुआत में भारतीय टीम के साथ एक गेंदबाज़ी कैंप का हिस्सा थीं। पहले दिन अपने सभी टेस्ट पूरे करने के बाद फ़ील्डिंग सेशन के दौरान उनका अंगूठा टूट गया। इस साल जुलाई में, ऑस्ट्रेलिया में तीन मैचों की सीरीज़ के लिए उन्हें शुरू में भारत ए T20 टीम में शामिल किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें चोट के कारण ही बाहर होना पड़ा
इतने दिनों तक मैदान से बाहर रहने के बाद वह टूट चुकी थीं।
पाटिल ने कहा, "मुझे नहीं पता था कि मैं कितने समय तक क्रिकेट से दूर रहूंगी। मुझे लगा था कि चार से पांच महीने का समय लगेगा। इसके बाद मैंने कुछ टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया। इसके बाद एक लंबा दौर चला, जहां मुझे कहा जाता था कि थोड़ा और समय लगेगा। जब मैं ऐसा सुनती थी, मैं टूट जाती थी क्योंकि मुझे क्रिकेट से दूर रहना बिल्कुल भी पसंद नहीं है।"
"मैं अपने कमरे में वापस जाती थी, रोती थी, अपना ग़ुस्सा निकालती थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करूं क्योंकि यह मेरे लिए पहली बार था, जब मैं इतने लंबे समय तक क्रिकेट नहीं खेल रही थी। मैं मानसिक रूप से काफ़ी परेशान थीं।"
चोटों के सिलसिले से पहले पाटिल का करियर ग्राफ़ ऊपर की ओर बढ़ रहा था। उन्होंने WPL 2023 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के लिए अपना डेब्यू किया, तब वह 20 साल की थीं। उसी साल वह WCPL में खेलने वाली पहली भारतीय बनीं और उसके तुरंत बाद उन्होंने दिसंबर में T20 और वनडे में भारत के लिए अपना डेब्यू किया। WPL 2024 में पाटिल ने सीज़न में सबसे ज़्यादा विकेट लेकर पर्पल कैप जीती और RCB चैंपियन भी बनी।
इसके बाद सब कुछ रुक गया, और इसने पाटिल को तोड़ दिया। उन्होंने कहा, "WPL से बाहर होना मेरे लिए एक बड़ा झटका था। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी।" "दिन-ब-दिन एक या दो टूर्नामेंट मिस करने के बाद मैंने सोचा कि WPL ही वह मंच है, जहां मुझे अच्छा करना है और वह ट्रॉफ़ी वापस जीतनी है। और फिर जब फ़िज़ियो ने मुझे बताया कि मैं इस साल का WPL नहीं खेल पाऊंगी, तो मैंने सोचा कि ऐसा कैसे हो सकता है।
"मुंबई में एक अवार्ड फ़ंक्शन में मैंने यह ख़बर सुनी। उसके बाद मुझे बैंगलोर से मुंबई जाना था। मैं जेमी (जेमिमाह रोड्रिग्स) के घर गई और पूरी तरह से टूट गई। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे रिएक्ट करूं।"
पाटिल कहती हैं कि नकारात्मक मानसिकता से बाहर आने में उन्हें थोड़ा समय लगा। उन्हें अपनी भारतीय टीम के साथियों, अपने कोच और परिवार का समर्थन मिला। मन बदलने के लिए उन्होंने अलग-अलग खेलों में हाथ आज़माया। पेंटिंग करना शुरू किया, गिटार बजाना सीखा, विंबलडन की यात्रा की। उन्होंने एक डायरी भी रखनी शुरू की, जिसमें वह अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी रिकॉर्ड करती थीं।
पाटिल ने कहा, "मैं रोज़ कुछ बातें लिखती थी। चाहे मैं परेशान हूं, ख़ुश हूं, घबराई हुई हूं या उत्साहित हूं, छोटी से छोटी चीज़ों को भी मैं डायरी में लिखती थी। तभी मैं उस दौर से बाहर आने लगी। और फिर मैंने सोचा कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से जितना हो सके उतना फ़िट होना है, और फिर मैदान पर वापस जाकर दहाड़ लगानी है।"
अपने रिहैब के दौरान पाटिल ने नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) में भी बहुत समय बिताया। NCA में बार-बार आना-जाना शुरुआत में उनके लिए मुश्किल था। वह अंदर जाती थीं, ठीक होती थीं, फिर चोटिल होती थीं और फिर वापस अंदर जाती थीं। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी इस यात्रा को स्वीकार कर लिया। उन्होंने वहां बहुत से दोस्त बनाए, ख़ासकर भारत के T20 कप्तान सूर्यकुमार यादव, जो स्पोर्ट्स हर्निया की सर्ज़री के बाद NCA में ठीक हो रहे थे।
पाटिल ने कहा, "शुरुआत में, यह मुश्किल था। फिर जब मैंने NCA में सभी दोस्तों के साथ बहुत समय बिताना शुरू किया, तो मैं उनके साथ सहज हो गई। मैंने अपनी चोट की कहानी उनके साथ साझा करना शुरू कर दिया और उन्होंने भी ऐसा ही किया। SKY (सूर्यकुमार) एक बहुत ही प्यारे इंसान हैं। वह लगभग एक महीने तक वहां थे।"
"हमारी बातचीत अद्भुत थी। हमने क्रिकेट के बारे में बात नहीं की। सब कुछ जीवन के बारे में था कि उन्होंने कितने चोटों का सामना किया। उन्होंने बस मुझसे धैर्य रखने के लिए कहा। उन्होंने हमेशा कहा, 'तुम बस अपना काम करती रहो और सब कुछ तुम्हारे पास वापस आ जाएगा।' "
"वह मुझे प्रेरित करते रहे। जब मैं अभ्यास करती थी, तो वह मुझे प्रोत्साहित करते थे, जिम में मेरी मदद करते थे। यक़ीनन, SKY जैसे किसी व्यक्ति का आकर हमसे बात करना बहुत फ़र्क़ डालता है।"
"वहां बहुत से लोग थे। रियान (पराग), जो बहुत कुछ झेल चुके थे। मयंक (यादव) जिन्हें कई चोटों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने भी काफ़ी क्रिकेट मिस किया है। इन सभी लोगों से बात करके मुझे बहुत शांत महसूस हुआ क्योंकि मुझे लगा कि मैं इस सब में अकेली नहीं थी। यह एक परिवार जैसा बन गया।"
"शुरुआत में मैंने सोचा था कि मैं इस जगह को कब छोड़ूंगी। लेकिन मुझे अपने रिहैब के दौरान मज़ा आने लगा। मुझे हर सेशन के बाद अच्छा लगने लगा। वहां हर कोई एक-दूसरे को प्रोत्साहित कर रहा था और यह एक बहुत ही प्यारा माहौल था।"
पाटिल अब चोट-मुक्त हैं और खोए हुए समय की भरपाई करने के लिए तैयार हैं। वह भारत की वनडे विश्व कप टीम में जगह नहीं बना पाईं, जो इस महीने के अंत में शुरू हो रहा है, जिसके लिए वह मानसिक रूप से तैयार थीं।
पाटिल ने कहा, "जब बारबेडोस रॉयल्स ने मुझे चुना और मैं 11 महीनों से नहीं खेली थी, तो मैंने बस अपनी आंखें बंद कीं और पहले साल के बारे में सोचा जब मैंने खेला था और मुझे लगा, शायद ऐसा होना ही था। मैं फिर से WCPL के साथ शुरुआत कर रही हूं और फिर WPL और भारत के साथ आगे बढ़ रही हूं।"
11 महीनों तक क्रिकेट से दूर रहने के बाद, पाटिल कहती हैं कि अब उन्हें अपने शरीर की बेहतर समझ है कि कब रुकना है और कब ज़ोर लगाना है। वह काफ़ी देर तक उदास रह चुकी हैं और अब बस मैदान पर जाकर, प्रदर्शन करना और मैच जीतना चाहती हैं।

आशीष पंत ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं