शेफ़ाली वर्मा का ये तीसरा इंग्लैंड दौरा होगा, लेकिन पहले से अब काफ़ी कुछ बदल चुका है।
जब शेफ़ाली ने पहली बार 2021 में मल्टी-फ़ॉर्मैट सीरीज़ के लिए इंग्लैंड का दौरा किया था, तब वह बस एक T20I क्रिकेटर थीं। और फिर उसी दौरे पर शेफ़ाली ने वनडे और टेस्ट में भी डेब्यू किया था। उस इंग्लैंड दौरे के बाद 2022 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी वह भरतीय टीम के साथ थीं। हालांकि उनमें निरंतरता की कमी थी लेकिन फिर भी
टीम इंडिया में उनकी जगह थी क्योंकि भारत और शेफ़ाली दोनों के लिए जोखिम के साथ-साथ उसका फल भी मिल रहा था।
अब चलते हैं 2025 के मध्य में, जब शेफ़ाली की
T20I टीम में वापसी हुई लेकिन वह तब भी वनडे टीम का हिस्सा नहीं थीं। T20 विश्व कप 2024 में लीग दौर में भारत के बाहर होने के बाद से शेफ़ाली की जगह टीम में स्थायी नहीं रह गई थी। हालांकि भारतीय टीम में तब भी कोई ऐसी बल्लेबाज़ नहीं थीं जो उनकी तरह आक्रामक क्रिकेट खेल सकें, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपना स्थान टीम से खो दिया था।
शेफ़ाली का टीम से बाहर होना शायद उनके लिए कुछ हद तक फ़ायदेमंद भी रहा, क्योंकि इससे उन्हें 50-ओवर के घरेलू क्रिकेट में खेलने का पर्याप्त मौक़ा मिला। उन्होंने अपनी कप्तानी में हरियाणा को सीनियर विमेंस वनडे ट्रॉफ़ी के क्वार्टर-फ़ाइनल में पहुंचाया और इस दौरान वह प्रतियोगिता में रन बनाने वाली शीर्ष बल्लेबाज़ रहीं थीं। शेफ़ाली ने 75 से ज़्यादा की औसत से 527 रन बनाए थे, उनका स्ट्राइक रेट 152.31 का रहा था। शेफ़ाली से ज़्यादा स्ट्राइक रेट सिर्फ़ एक ही बल्लेबाज़ का था, और वह थीं किरण नावगिरे लेकिन किरण ने सिर्फ़ 116 रन ही बनाए थे।
शेफ़ाली ने इसके बाद
सीनियर विमेंस वनडे चैलेंजर ट्रॉफ़ी भी खेली थी, एक ऐसी प्रतियोगिता जिसमें राष्ट्रीय चयनकर्ता वनडे में अच्छा करने वाली खिलाड़ियों का चयन करते हैं। उन्होंने इस प्रतियोगिता में भी अपना लोहा मनवाया और टीम ए की कप्तान रहते हुए शेफ़ाली ने 82.80 की औसत और 145.26 के स्ट्राइक रेट से 414 रन बनाए। इतना ही नहीं शेफ़ाली के बाद जो दूसरी सर्वाधिक रन बनाने वाली बल्लेबाज़ थीं उनसे उन्होंने 200 से भी ज़्यादा रन बनाए थे। शेफ़ाली से ज़्यादा स्ट्राइक रेट प्रतियोगिता में किसी और बल्लेबाज़ का नहीं था।
WPL 2025 में भी शेफ़ाली अपनी रनर अप टीम दिल्ली कैपिटल्स की
शीर्ष स्कोरर रहीं थीं जबकि प्रतियोगिता में वह चौथे स्थान पर थीं। जिसके बाद उनका भारतीय T20I टीम में लौटना तय था, हालांकि टीम से बाहर रहने के दौरान भारत ने सिर्फ़ एक T20I मैच खेला था। भारत की आक्रामक सलामी बल्लेबाज़ अब एक बार फिर T20 विश्व कप 2026 के लिए तैयार हैं।
लेकिन इस बीच शेफ़ाली के खेल में क्या बदलाव आया है? वह कैसे इतनी नियमितता से रन बना रही है, जो वह पहले नहीं बना पाती थी?
" उसका पावर गेम स्वाभाविक है, महिलाओं के खेल में कोई भी उसकी तरह अपनी मर्ज़ी से छक्के नहीं मार सकता। मैंने उससे कहा कि वह उन गुणों को पीछे न छोड़े जो उसे यहां तक लाए हैं। वह एक अलग क्रिकेटर है, मैंने उसे पहली बार इसी आधार पर चुना था।"
हेमलता काला, DC की सहायक कोच और पूर्व भारतीय चयनकर्ता
DC की सहायक कोच हेमलता काला ने ESPNcricinfo से बातचीत में कहा कि, "वह अपने को शांत रखने पर काम कर रहीं हैं। WPL में वह लंबी पारियां खेलने की फ़िराक़ में रहती थीं और पावरप्ले में आउट नहीं हो रहीं थीं।"
"सभी कहते थे कि वह [वनडे क्रिकेट में] केवल 10-15 ओवर हीं खेलती हैं। लेकिन उसने [घरेलू] वनडे में लंबे समय तक बल्लेबाज़ी की, लगातार दो शतक लगाए। यहां तक कि मल्टी-डे (सीनियर महिला मल्टी-डे चैलेंजर ट्रॉफ़ी) में भी उसने अच्छा प्रदर्शन किया। अब वह लगातार लंबी पारियां खेलने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि उसने पहले ऐसा नहीं किया - उसने अंडर-23 क्रिकेट में 130-140 रन बनाए हैं। उसके पास क्षमता है, लेकिन T20 में वह पावरप्ले का सबसे अच्छा उपयोग करने की कोशिश करती हैं।"
जब 15 साल की शेफ़ाली ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था, तब पूर्व भारतीय अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी काला मुख्य चयनकर्ता थीं। DC के अलावा, काला एकदिवसीय और बहु-दिवसीय चैलेंजर ट्रॉफ़ी में टीमों के कोचिंग स्टाफ का भी हिस्सा थीं और उन्होंने देखा कि शेफ़ाली विपक्षी खिलाड़ी के रूप में कितना नुक़सान पहुंचा सकती हैं।
काला ने कहा, "मैं उसे हमेशा कहती रहती हूं, सभी की मानसिकता एक जैसी नहीं होती - हर कोई पहली गेंद से छक्का नहीं मार सकता। जब भी मैं उससे बात करती हूं, तो मैं उससे कहती हूं, 'अपना खेल मत छोड़ो'। उसका पावर गेम स्वाभाविक है, महिलाओं के खेल में कोई भी उसकी तरह अपनी मर्ज़ी से छक्का नहीं मार सकता। मैंने उससे कहा कि वह उन गुणों को न छोड़े जो उसे यहां तक लाए हैं। वह एक अलग क्रिकेटर है, मैंने उसे पहली बार इसी आधार पर चुना था।"
हालांकि, काला ने शेफ़ाली को स्ट्राइक रोटेट करने और बड़े हिट के लिए आगे बढ़ते समय फंसने से बचने का महत्व भी सिखाया। उन्होंने कहा कि जब फ़ील्ड फैलती है तो गैप खोजने पर किया करना चाहिए शेफ़ाली ने उसपर भी काम किया है।
शेफ़ाली ने
इस साल की शुरुआत में कहा था, "जैसा कि आप जानते हैं, मैं शुरुआत तो अच्छा करती हूं लेकिन पारी को कैसे बनाना होता है, वह मेरी समस्या है। लेकिन अब मैं इस बात पर ध्यान दे रही हूं कि सिंगल्स और डबल्स कैसे चुराए जाए। कैसे पारी को बनाया जाए ताकि टीम को इसका फ़ायदा हो सके।"
ये चीज़ें WPL में भी देखने को मिली थीं, जहां वह हर गेंद को मारने की कोशिश में नहीं थीं। वह पावरप्ले में भी संयम दिखा रहीं थीं। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने स्ट्राइक रेट (2024 में 156.85 vs 2025 में 152.76) पर इसका ज़्यादा असर नहीं पड़ने दिया।
इंग्लैंड में पांच मैचों की टी20 सीरीज शेफ़ाली के लिए वनडे टीम में वापसी का दरवाज़ा खोल सकती है। इंग्लैंड में तीन मैचों के बाद, भारत के पास विश्व कप से पहले एक और सीरीज़ है - ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ घरेलू मैदान पर तीन वनडे मैचों की सीरीज़। देखना दिलचस्प होगा कि क्या शेफ़ाली वापसी कर पाती हैं ? और अगर ऐसा होता है तो शीर्ष क्रम की अन्य बल्लेबाज़ों पर इसका क्या असर होगा - प्रतीक रावल वनडे में ओपन करती आ रही हैं और हरलीन देओल का नंबर-3 पर खेलना लगभग तय ही है।
हो सकता है तीसरी बार एक बार फिर शेफ़ाली टीम इंडिया की नई उम्मीद बनें।