लीग चरण में लखनऊ सुपर जायंट्स और राजस्थान रॉयल्स दोनों के 18-18 अंक थे लेकिन रन रेट के आधार पर लखनऊ को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। एलिमिनेटर में लखनऊ को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के हाथों हार का सामना करना पड़ा और वह प्रतियोगिता से बाहर हो गई।
पहला आईपीएल खेल रही किसी भी आईपीएल टीम के लिए प्ले ऑफ़ में जगह बनाना बहुत बड़ी बात है। नीलामी के दौरान उन्होंने कई सारे ऑलराउंडर्स ख़रीदे थे, इसलिए उनके पास गेंदबाज़ी विकल्पों की कभी कमी नहीं हुई। हालांकि उनकी बल्लेबाज़ी केएल राहुल, क्विंटन डिकॉक और दीपक हुड्डा के ईर्द-गिर्द ही घूमती दिखी, जो शीर्ष तीन में बल्लेबाज़ी कर रहे थे। मध्य क्रम में भरोसेमंद बल्लेबाज़ो की कमी अंत में इस टीम को भारी पड़ी। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि टीम मैनेजमेंट एविन लुईस और मार्कस स्टॉयनिस का बेहतर उपयोग नहीं कर सकी।
पहले बल्लेबाज़ी करते हुए इस टीम ने आठ में से सात मुक़ाबले जीते, वहीं लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम को सात में से सिर्फ़ दो में ही जीत मिली। इसी तरह प्ले ऑफ़ में नहीं पहुंचने वाली टीमों के ख़िलाफ़ लखनऊ ने नौ के नौ मुक़ाबले जीते, वहीं प्ले ऑफ़ में पहुंचने वाली अन्य तीन टीमों के ख़िलाफ़ लखनऊ एक भी मैच नहीं जीत सकी।
सवालिया निशान?
कप्तान केएल राहुल इस सीज़न में लखनऊ की तरफ़ से सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों में से एक रहे, लेकिन जिस तरह से उन्होंने एलिमिनेटर में बल्लेबाज़ी की, उससे उनके अप्रोच पर सवाल भी खड़ा हो रहा है। करो या मरो के मुक़ाबले में 208 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए उन्होंने 58 गेंदों पर 79 रन बनाए और उनकी टीम लक्ष्य से 14 रन पीछे रह गई।
हुड्डा के लिए यह सर्वश्रेष्ठ आईपीएल सीज़न रहा और उन्होंने 32.21 के औसत और 136.66 के स्ट्राइक रेट से 451 रन बनाए। उन्होंने नंबर तीन से लेकर नंबर छह तक हर जगह बल्लेबाज़ी की और सब जगह पर क़ामयाब रहे।
वहीं पिछले सीज़न में अपनी गेंदबाज़ी से सबको प्रभावित करने वाले आवेश ख़ान का जलवा इस सीज़न में भी कायम रहा। चोट के कारण दो मैचों में भाग नहीं लेने के बावज़ूद 18 विकेट के साथ वह टूर्नामेंट के सफलतम गेंदबाज़ों में से एक हैं।