मिन्नू को ऐश्ली गार्डनर के रूप में WPL का पहला विकेट मिला • BCCI
केरला की 24 साल की ऑफ़ स्पिन ऑलराउंडर मिन्नू मनी बचपन में जब अपने चचेरे भाईयों और चाचा-मामा के साथ पास के धान के खेत में क्रिकेट खेलती थीं, तो उनके घरवाले उन्हें खेलने से रोकते थे। वह कुरीचिया आदिवासी समुदाय से आती हैं, जहां पर लड़कियों को घर से बाहर निकलने, खेलने और लड़कों से बातचीत करने में ढेर सारा कड़ा प्रतिबंध होता है। वे लड़के भले ही मिन्नू के पारिवारिक सदस्य हों, लेकिन फिर भी यह उनके माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों को पसंद नहीं था कि उनकी बेटी लड़कों के साथ क्रिकेट खेले।
वहीं मिन्नू को बल्ले और गेंद का यह खेल पसंद आने लगा था। वह अब एक्स्ट्रा क्लास का बहाना बनाकर ना सिर्फ़ धान के खेतों में बल्कि स्कूल में भी लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने लगी थीं। मिन्नू के लिए अच्छी बात यह थी कि उनके माता-पिता भी उनके 'एक्स्ट्रा क्लास' के इस झूठे बहाने को सही मान लेते थे, भले ही वह रविवार का दिन ही क्यों ना हो।
जब मिन्नू आठवीं कक्षा में थीं, तो उनके स्कूल की फ़िज़िकल एडुकेशन टीचर एल्सअम्मा बेबी ने उन्हें लड़कों के साथ क्रिकेट खेलते हुए देख लिया और उनसे बहुत प्रभावित हुईं। मैच के बाद वह मिन्नू के पास आईं और उनसे पूछा कि क्या वह क्रिकेट खेलने को लेकर गंभीर हैं। मिन्नू के 'हां' बोलते ही एल्सअम्मा उन्हें वायनाड जिला क्रिकेट एसोसिएशन के ट्रायल में ले गईं, जहां पर सफल होने के बाद मिन्नू ने अपने माता-पिता से 'एक्स्ट्रा क्लास' वाली झूठ का पर्दाफ़ाश किया।
तब से अब तक मिन्नू के लिए बहुत कुछ बदल चुका है। अब मिन्नू के नाम इंडिया कैप है। उनके नाम बांग्लादेश में सीरीज़ जीत, एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक और WPL उपविजेता टीम के सदस्य होने की उपलब्धि है। इसके अलावा वह इंडिया ए टीम की कप्तानी भी कर चुकी हैं, उनके नाम पर मलयाली में गाने भी बन चुके हैं और उनके नज़दीकी क़स्बे मानंतावाड़ी के एक प्रमुख चौराहे का नाम 'मिन्नू मनी जक्शन' रख दिया गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात अब मिन्नू के परिवार के पास फिर से अपना घर है, जो कि केरला के 2018 के भीषण बाढ़ में पूरी तरह से बह गया था और वे कर्ज़ के बोझ तले दब चुके थे।
वह कहती हैं, "पिछले साल दिल्ली कैपिटल्स ने मुझे 30 लाख रूपये में ख़रीदा। यह एक बहुत बड़ा अमाउंट है और हम सपने में भी इस बारे में सोच नहीं सकते थे। उस पैसे से हमारे सभी कर्ज़ निपट गए। हालांकि तब तक मैं घरेलू क्रिकेट खेलने लगी थी और मुझे मैच फ़ी मिलने लगा था। लेकिन तब भी घर में पैसे की समस्या बनी रहती थी। WPL के बाद ही यह समस्या दूर हो पाई।"
This junction in Wayanad, Kerala, will always act as a reminder to follow your dreams
मिन्नू के लिए वायनाड के एक छोटे से गांव चोईमूला से WPL और भारतीय टीम तक का यह सफ़र कतई भी आसान नहीं था। जिला क्रिकेट एसोसिएशन की टीम में चयनित होने के बाद उन्हें अभ्यास के लिए अपने गांव से कृष्णागिरी स्टेडियम तक 35 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी, जिसके लिए उन्हें हर रोज़ तीन से चार बस बदलने पड़ते थे। कभी-कभी इन बसों का किराया भरने के लिए भी मिन्नू के पास पैसे नहीं होते थे।
मिन्नू बताती हैं, "मेरा गांव जंगल क्षेत्र में आता है, जहां पर प्रैक्टिस के लिए कोई बड़ा मैदान या स्टेडियम नहीं है। मुझे हर रोज़ प्रैक्टिस के लिए कृष्णागिरी जाने में लगभग एक-डेढ़ घंटे बस यात्रा करनी पड़ती थी और इस दौरान चार बस बदलने पड़ते थे। कभी-कभी बस का किराया देना भी मुश्किल होता था क्योंकि मेरे पिताजी एक किसान हैं, जो खेती से समय मिलने के बाद मजदूरी भी किया करते थे।
"लेकिन वायनाड जिला क्रिकेट एसोसिएशन के कोच और एसोसिएशन के अधिकारियों को मेरा खेल पसंद था। वे मुझसे कहते थे कि मेरे अंदर प्रतिभा है और उसे ख़राब नहीं जाने देना चाहिए। उनके ही सहयोग से मुझे केरला क्रिकेट एकेडमी कार्यक्रम के तहत हॉस्टल मिल गया, जिसके कारण अब मुझे रोज घर आने-जाने से मुक्ति मिल गई। अब मैं दिन में पढ़ाई करती थी, जबकि सुबह-शाम प्रैक्टिस किया करती थी।"
केरला क्रिकेट एकेडमी में प्रवेश के बाद मिन्नू को सीनियर लेवल की क्रिकेट खेलने के लिए पर्याप्त अभ्यास मिलने लगा। इसके अलावा उनके खेल में आड़े आ रहीं आर्थिक समस्याएं भी दूर हो गईं, क्योंकि केरला क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा जारी इस कार्यक्रम के तहत चयनित सभी खिलाड़ियों को मुफ़्त शिक्षा, भोजन, क्रिकेट किट और कोचिंग दिया जाता था।
शुरुआत में मिन्नू एक बललेबाज़ बनना चाहती थीं। वह ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ी करती तो थीं, लेकिन उनका पूरा ज़ोर बल्लेबाज़ी पर ही था। लेकिन लेकिन अंडर-19 क्रिकेट और फिर केरला व साउथ ज़ोन की तरफ़ से सीनियर क्रिकेट खेलने के बाद उन्हें धीरे-धीरे पता चला कि किसी भी टीम में ऑलराउंडर का अधिक महत्व है। इसके बाद से वह अपनी गेंदबाज़ी पर और अधिक मेहनत करने लगीं।
अब मिन्नू को एक गेंदबाज़ के तौर पर अधिक जाना जाता है। घरेलू क्रिकेट और WPL के पहले सीज़न में प्रभावित करने के बाद उन्हें भारतीय टीम में मौक़ा मिला। बांग्लादेश के ख़िलाफ़ दो मैचों में उन्होंने चार विकेट हासिल किए और उन्हें एशियाई खेलों का भी हिस्सा बनाया गया।
इसके बाद नवंबर-दिसंबर में जब इंग्लैंड ए की टीम भारत आई तो मिन्नू को इंडिया ए टीम का कप्तान बनाया गया। तीन टी20 मैचों की इस सीरीज़ में मिन्नू ने सिर्फ़ 16 की औसत से पांच विकेट लिए। अब मिन्नू WPL फ़ाइनल के लिए उत्साहित हैं। दिल्ली की धीमी होती पिचों पर बेंगलुरू के ख़िलाफ़ वह दिल्ली की कप्तान मेग लानिंग के लिए भी अहम हथियार साबित हो सकती हैं।
मिन्नू बताती हैं, "पिछले मैच से पहले तक अभी तक जितने भी WPL मैचों में मुझे गेंदबाज़ी का मौक़ा मिला था, मैंने उसी तरह गेंदबाज़ी की, जिस तरह मैं घरेलू मैचों में किया करती हूं। लेकिन घरेलू क्रिकेट और WPL के लेवल में बहुत अंतर है। इस सीज़न मैंने अपनी गेंदबाज़ी में कुछ छोटे-छोटे बदलाव किए हैं और उसको मैं मैच के दौरान भी आज़मा रही हूं। इसके कारण मुझे पिछले मैच में दो विकेट भी मिले। मैंने अपनी लेंथ में बदलाव किया है, जिसका श्रेय केरला टीम की कोच सुमन शर्मा, दिल्ली कैपिटल्स की सहायक कोच लीसा काइटली और टीम की कप्तान मेग लानिंग को जाता है।
"सुमन के साथ मैंने साल भर अपनी लेंथ पर अभ्यास किया है। वहीं WPL के दौरान जब मैं प्रैक्टिस करती हूं तो लानिंग अपनी टोपी पिच पर रख देती हैं और कहती हैं कि उन्हें इसी लेंथ पर गेंदबाज़ी चाहिए। ये छोटे-छोटे बदलाव ही हैं, लेकिन बड़ा अंतर पैदा करते हैं।"
मिन्नू को ख़ुशी है कि जो परिवार बचपन में उन्हें क्रिकेट खेलने से रोकता था, वह परिवार ही अब उनको टीवी में खेलता देख सबसे अधिक ख़ुश होता है।