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कई दिनों के बाद राहुल ने अपने नाम के अनुरूप दर्शन भी दिखाए

भारत के इस विकेटकीपर बल्लेबाज़ के फ़ॉर्म पर काफ़ी चर्चा हुई है

के एल राहुल के बारे में एक उनके कथन को कई बार प्रयोग किया जाता है - उन्होंने आईपीएल के एक सीज़न में कहा था कि 'स्ट्राइक रेट को बहुत ज़्यादा महत्व मिलता है' - हालांकि कोई इसके संदर्भ पर विस्तार से बात नहीं करता।

अगर इस बात की पुष्टि के लिए आपको कोई उदाहरण देनी हो, तो ज़रूर आप शुक्रवार को मुंबई में राहुल के ही मैच-जिताऊ 75 नाबाद की पारी को नामांकित कर सकते हैं। राहुल जब वानखेड़े स्टेडियम में बल्लेबाज़ी करने उतरे थे तो मिचेल स्टार्क नामक एक तूफ़ान ने भारतीय शीर्ष क्रम को तहस-नहस कर दिया था। पांचवे ओवर में 16 पर तीन विकेट गिरने के बाद, पिच पर स्विंग और उछाल के ख़िलाफ़ भारत को एक स्थिर और मज़बूत पारी की ज़रूरत थी।

वैसे राहुल वनडे में नंबर 5 की भूमिका में बढ़िया खेल दिखाते आ रहे हैं, लेकिन शुक्रवार की पारी से पहले उनकी मानसिक स्थिति आदर्श नहीं रही होगी। उनके टेस्ट फ़ॉर्म पर राष्ट्रीय स्तर के विवाद चलते आएं हैं, जिसके चलते उन्होंने आख़िरी दो टेस्ट मैचों में अपना स्थान शुभमन गिल को दे दिया था। हालांकि एकादश में इशान किशन की मौजूदगी के बावजूद राहुल से कीपिंग करवाना टीम प्रबंधन के भरोसे का एक बड़ा प्रदर्शन था। याद रखिए इस बार ग्लव्स उन्हें केवल ऋषभ पंत के ना होने की वजह से नहीं मिले थे।

दिन की शुरुआत में उन्होंने अपने दाईं ओर स्टीवन स्मिथ का बेहतरीन कैच लपका। जब बल्लेबाज़ी में उन्होंने अपनी पहली गेंद खेली तो स्टार्क आग उगल रहे थे और हैट-ट्रिक करने की कगार पर थे। लेकिन इसका सामना उन्होंने ज़बरदस्त कवर ड्राइव के साथ किया। दूसरे छोर पर शॉन ऐबट ने जब शॉर्ट गेंद डाली, तो राहुल कट करने के लिए तैयार थे। ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो की गेंद-दर-गेंद लॉग्स के हिसाब से यह शॉट उनके लिए 91 गेंदों की पारी में 80 प्रतिशत कंट्रोल के साथ सबसे लाभदायक रहा।

मैच के बाद 'स्टार स्पोर्ट्स' से राहुल ने कहा, "मैंने तीन विकेट जल्दी गिरते देखे। जब स्टार्क गेंद को अंदर स्विंग करवाने लगते हैं तो और ख़ौफ़नाक गेंदबाज़ बन जाते हैं। मैं शुरुआत में केवल 15-20 गेंदों तक क्रीज़ पर टिकना चाहता था। उस दौरान मैंने रन के बारे में कुछ सोचा ही नहीं। लक्ष्य बड़ा नहीं था इसीलिए मैं केवल ख़ुद को समय देना चाहता था और लंबा खेलना चाहता था। शुरुआत में ही दो-तीन बाउंड्री लगने से मैं और सहज महसूस करने लगा।"

राहुल एक छोर पर स्थिर दिखने लगे ही थे कि गिल ने दूसरी तरफ़ अपने विकेट को गंवाया। 39 पर चार आउट होने पर भारत को साझेदारियों की सख़्त ज़रूरत थी। राहुल ने पहले कप्तान हार्दिक पंड्या के साथ 44 और फिर आठ महीनों में पहला वनडे खेल रहे रवींद्र जाडेजा के साथ अविजित 108 रनों की साझेदारियां निभाई और भारत को आख़िरकार बड़े अंतर से जीत दिलाई। भाग्य ने 41 पर उनका सहारा दिया, जब एक मोटा बाहरी किनारा स्लिप पर खड़े स्मिथ के पास से गुज़री, लेकिन इसके अलावा उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों को कोई मौक़ा नहीं दिया।

राहुल ने बताया, "मैंने जिसके साथ भी बल्लेबाज़ी की, हमारे ज़हन में यही बात थी कि विकेट में मदद मौजूद है और हम किसी भी गेंदबाज़ को ख़ुद पर हावी होने नहीं दे सकते। हमें सकारात्मक सोच रखनी थी और गेंद मिलने पर सही क्रिकेट शॉट लगाकर रन बनाने ही थे। गेंदबाज़ों पर दबाव ऐसे ही बनता। हम तेज़ रनिंग करना चाहते थे और हमने यही बात की कि इस पिच पर क्या शॉट कारगर होते। थोड़ी विड्थ मिलने पर कट करने की बात हुई। हार्दिक और जाडेजा के साथ बल्लेबाज़ी करने में बहुत मज़ा आया।"

जाडेजा के आने से लेगस्पिनर ऐडम ज़ैम्पा को भी लेफ़्ट-राइट जोड़ी से जूझना पड़ा और उन्होंने अपने छह ओवर में 37 रन दिए। राहुल ने कहा, "बाएं हाथ के बल्लेबाज़ के आते ही मुझे भी ख़राब गेंदें मिलने लगी। वह ख़ुद ज़बरदस्त फ़ॉर्म में हैं और उन्होंने बढ़िया बल्लेबाज़ी की। वह तेज़ दौड़ते हैं और लगातार फ़ील्डरों पर दबाव बनाते हैं। ऐसे में उनके साथ खेलने में बहुत मज़ा आता है।"

अपने विकेटकीपिंग पर राहुल मुस्कुराते हुए बोले, "जब विकेट पर उछाल हो तो मुझे बहुत मज़ा आता है। वानखेड़े में हमेशा मज़ा आता है क्योंकि विकेट पर तेज़ गेंदबाज़ के लिए कुछ रहता है और कीपर हमेशा गेम में होता है। कुछ बाहरी किनारे भी आए और कुछ गेंदें लेग साइड पर भी निकली। ऐसे विकेट पर तेज़ गेंदबाज़ कुछ अतिरिक्त प्रयास करते हैं और ऐसे में आपको सतर्क रहना होता है। मैंने अपनी कीपिंग कौशल को दिखाने के इस अवसर को काफ़ी एंजॉय किया।"

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के प्रमुख देबायन सेन ने किया है