मुंबई के ख़िलाफ़ पिछले सीज़न के मैच के दौरान बिहार की टीम (फ़ाइल फ़ोटो) • PTI
भारत की सबसे प्रतिष्ठित घरेलू प्रतियोगिता रणजी ट्रॉफ़ी 2024-25 के आग़ाज़ में अब एक हफ़्ते से भी कम का समय बचा है, जिसके लिए क्रिकेट खिलाड़ी और राज्य संघ तैयारियों में जुटे हैं। लेकिन इसके उलट बिहार क्रिकेट संघ (BCA) के अध्यक्ष राकेश तिवारी और BCA के सचिव अमित कुमार के बीच वर्चस्व की लड़ाई जारी है।
अध्यक्ष और सचिव की लड़ाई का ख़ामियाज़ा बिहार के खिलाड़ियों और क्रिकेट को भुगतना पड़ रहा है। बिहार का पहला मुक़ाबला 11 अक्तूबर को हरियाणा के ख़िलाफ़ रोहतक में है, लेकिन इतना कम समय होने के बावजूद अब तक दल का ऐलान नहीं हुआ है। इतना ही नहीं सचिव और अध्यक्ष ने टीम के चयन के लिए खिलाड़ियों को ट्रायल में आने का बुलावा भेजा है।
हैरान करने वाली बात यह है कि ये ट्रायल एक ही समय और तारीख़ों में अलग-अलग मैदान पर चल रहे हैं। जिन खिलाड़ियों को बुलाया गया है उनमें से कई दोनों ही ट्रायल सूची में हैं। ऐसे में खिलाड़ियों को एक बार फिर ये चिंता सता रही है कि वह किस टीम में रहेंगे और कौन सी टीम को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की तरफ़ से मान्यता मिलेगी। यानी ये तस्वीर बिल्कुल पिछले साल की ही तरह होने जा रही है, जब मुंबई के ख़िलाफ़ पहले मैच से पहले काग़ज़ पर बिहार की दो अलग-अलग टीमों का चयन हुआ था।
दो अलग-अलग मैदानों पर चल रहा है खिलाड़ियों का ट्रायल
इस बार स्थिति पहले से भी ज़्यादा जटिल है क्योंकि एक तरफ़ BCA अध्यक्ष तिवारी और CEO मनीष राज ने लगभग 60 खिलाड़ियों को ट्रायल के लिए बुलावा भेजा है, वहीं पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद लोकपाल नियुक्त किए गए जस्टिस शैलेश कुमार सिन्हा ने BCA सचिव कुमार को दोबारा पदभार संभालने का आदेश दिया है।
उन्हें वार्षिक जनरल मीटिंग (AGM) बुलाने और चयन समिति गठित करने का भी निर्देश मिला था। जिसके बाद कुमार ने 30 सितंबर को BCA की AGM की अध्यक्षता भी की और उस दौरान बिहार क्रिकेट के भविष्य और आगामी रणजी ट्रॉफ़ी के मद्देनज़र कई फ़ैसले भी लिए। इसमें बिहार सीनियर मेंस टीम की चयन प्रक्रिया के लिए चयन समिति का गठन भी शामिल था। इस चयन समिति का अध्यक्ष पूर्व बिहार रणजी खिलाड़ी ज़िशान उल यक़ीन को बनाया गया है। ज़िशान पहले भी चयन समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसका मतलब यह है कि अब बिहार की रणजी क्रिकेट टीम का चयन करने के लिए दो चयन समिति है।
अब खिलाड़ी इस बात को लेकर परेशान हैं कि वह कहां और किस मैदान पर ट्रायल देने जाएं। कुछ खिलाड़ियों से ESPNcricinfo ने जब यह पूछा कि आप ट्रायल देने के लिए कहां जा रहे हैं तो उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि उनमें डर का माहौल है। चूंकि पिछली बार तिवारी की अध्यक्षता वाली टीम को BCCI ने हरी झंडी दी थी इसलिए वे इस बार भी उसी मैदान पर ट्रायल देने जाएंगे, जहां तिवारी और राज ने बुलाया है।
आपको बता दें कि अब तक इन दोनों गुटों और चयन समितियों ने संभावित खिलाड़ियों की सूची भी नहीं तैयार की है, जबकि रोहतक में हरियाणा के ख़िलाफ़ होने वाले मुक़ाबले में अब महज़ पांच दिनों का समय रह गया है।
'पटना हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर सचिव की टीम ही वैध मानी जाएगी'
BCA सचिव कुमार ने ESPNcricinfo के साथ बातचीत में बताया कि उनकी तरफ़ से BCCI को AGM में लिए गए सभी फ़ैसलों से अवगत करा दिया गया है। इसके अलावा उन्हें पटना हाईकोर्ट के फ़ैसले की कॉपी भी दे दी गई है।
"हम वैधानिक तौर पर वही कर रहे हैं, जो पटना हाईकोर्ट का आदेश है और ये सब कुछ लोकपाल की निगरानी में हो रहा है। हमने BCCI को भी मेल के ज़रिए सारी जानकारी दे दी है, लेकिन अब तक उनकी तरफ़ से किसी भी तरह का कोई जवाब नहीं आया है। हम रणजी ट्रॉफ़ी के लिए बिहार की सीनियर टीम के चयन के लिए कैंप लगा चुके हैं और खिलाड़ियों का ट्रायल हो रहा है। रविवार या सोमवार तक हम बिहार के दल का ऐलान भी कर देंगे।"
अमित कुमार, BCA सचिव
जब उनसे ये पूछा गया कि कुछ खिलाड़ी तो तिवारी के बुलावे पर अलग मैदान पर भी ट्रायल के लिए जा रहे हैं, तो क्या ऐसे में ये माना जाए कि इस बार भी पिछली बार की तरह बिहार की दो-दो टीमों का ऐलान होगा? इसका जवाब देते हुए कुमार ने कहा, "ये बिहार के खिलाड़ियों के साथ धोखा और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। ये बिहार क्रिकेट का दुर्भाग्य है कि कुछ लोगों की वजह से बिहार की ऐसी छवि देखने को मिल रही है। लेकिन अगर ऐसा होता है तो वह टीम असंवैधानिक होगी और इसके लिए BCCI ज़िम्मेदार होगी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अगर BCCI हमारी जगह उस असंवैधानिक टीम पर मुहर लगाती है तो ये न्यायालय के आदेश का भी उल्लंघन होगा।"
ESPNcricinfo ने कुमार द्वारा बनाई गई चयन समिति के अध्यक्ष ज़िशान से भी बात की और उनसे भी ये जानना चाहा कि इस परिस्थिति के लिए ज़िम्मेदार कौन है और इसमें खिलाड़ियों का क्या क़सूर है ?
ज़िशान ने कहा, "हमें पूरा विश्वास है कि BCCI हाईकोर्ट के फ़ैसले का ज़रूर पालन करेगी और सही का साथ देगी। मुझे जिस भरोसे के साथ ज़िम्मेदारी दी गई है, मैं उस पर पूरी तरह खरा उतरने की कोशिश करूंगा और ईमानदारी के साथ बिहार क्रिकेट और खिलाड़ियों के हित में काम करूंगा। मैं उन खिलाड़ियों को भी ये संदेश देना चाहूंगा कि वे जहां भी रहें अगर उनमें खेलने की ललक और प्रतिभा है तो हमारी नज़र उन पर हमेशा रहेगी।"
ESPNcricinfo ने BCCI के घरेलू क्रिकेट के जेनरल मैनेजर, अबय कुरुविला से भी उनका पक्ष जानना चाहा। लेकिन कुरुविला ने इस मसले पर बोलने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस पर वह कुछ नहीं कहना चाहते बेहतर होगा BCA सचिव से बात करना।
अब इंतज़ार इस बात का है कि BCCI का रुख़ क्या होता है और अगर एक बार फिर दो-दो टीमों का चयन होता है तो वे मुहर किस पर लगाते हैं? आपको याद दिला दें पिछली बार कुमार की टीम को BCCI ने ये कहते हुए निरस्त कर दिया था कि उन्हें सचिव पद से हटा दिया गया है, इसलिए उनके द्वारा चुनी गई टीम वैध नहीं है।
लेकिन इस बार तो अभी तक पटना हाईकोर्ट के फ़ैसले के मुताबिक़ कुमार ही BCA के सचिव हैं। लिहाज़ा अब सभी की नज़रें BCCI पर टिकी हैं कि अगर एक बार फिर दो अलग-अलग दल का ऐलान हुआ तो BCCI किसे मान्यता देता है?
रणजी ट्रॉफ़ी के इस सीज़न में भी बिहार एलीट ग्रुप में ही शामिल है, जहां उन्हें सात लीग मैच खेलने हैं। बिहार के चार मुक़ाबले बाहर जबकि तीन घर में होने वाले हैं।