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फ़ीचर्स

तीन दोस्त, जिन्होंने कुंबले और एजाज़ दोनों को 'परफ़ेक्ट टेन' करते हुए देखा

'कुंबले 1999' और 'एजाज़ 2021' के तीन गवाहों की अनोखी कहानी

न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ कानपुर टेस्ट के दौरान दो अन्य ब्रॉडकास्टिंग दोस्तों के साथ श्रीनिवासन, तक़ी और उमेश, भारत बनाम न्यूज़ीलैंड 2021

न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ कानपुर टेस्ट के दौरान दो अन्य ब्रॉडकास्टिंग दोस्तों के साथ श्रीनिवासन, तक़ी और उमेश (क्रमशः बाएं से दूसरे, तीसरे और पांचवें)  •  Umesh Bhandarkar

जब एजाज़ पटेल ने मुंबई के ऐतिहासिक वानखेड़े स्टेडियम में 10 विकेट लिए, तो ब्रॉडकास्टिंग टीम के वॉकी-टॉकी पर टम डायरेक्टर देव श्रियान ने तुरंत पूछा कि कौन-कौन है, जिन्होंने अनिल कुंबले के 10 विकेट वाले मैच को भी कवर किया था? उस दौरान तीन चेहरे चमक उठे और उन्होंने चहकते हुए जवाब दिया कि 'मैं भी था।'
ये तीन चहकती हुई आवाजें सीनियर कैमरापर्सन तक़ी रज़ा, वीडियो टेप (वीटी) ऑपरेटर उमेश भंडारकर और सीनियर साउंड इंजीनियर के.एन. श्रीनिवासन राव की थीं। ये तीनों उस वक़्त भी ब्रॉडकास्टिंग टीम का हिस्सा थे, जब भारत के अनिल कुंबले ने 1999 में दिल्ली के फ़िरोज़शाह कोटला मैदान (अब अरूण जेटली स्टेडियम) पर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ पारी के सभी दस विकेट हासिल किए थे। उस दौरान तीनों तक़ी, उमेश और श्रीनिवासन युवा थे और अपने-अपने करियर के शुरुआती दौर में थे, लेकिन आज तीनों अपनी-अपनी टीमों के सबसे अनुभवी लोगों में से एक हैं।
अपनी ब्रॉडकास्टिंग करियर की शुरुआत करते हुए तीनों ने कभी नहीं सोचा था कि वह कभी भी किसी गेंदबाज़ को सभी 10 विकेट लेते हुए देखेंगे, लेकिन अभी ये तीनों अपने आप को सबसे सौभाग्यशाली मानते हैं कि इन्होंने एक नहीं दो-दो बार ऐसा होते हुए देखा है। हालांकि अब उनकी उम्मीदें बढ़ भी गई हैं और वे अपना करियर ख़त्म होते-होते एक बार और ऐसा कारनामा होते हुए देखना चाहते हैं। उनके लिए सबसे बड़ी उम्मीद आर. अश्विन हैं, क्योंकि उनका मानना है कि वर्तमान समय में अश्विन ही एक ऐसे गेंदबाज़ हैं, जो ऐसा कर सकते हैं।
कुंबले के 10 विकेट को याद करते हुए दिल्ली के तक़ी कहते हैं, "उस समय माहौल दूसरा था। भारत दिल्ली में चेन्नई से पाकिस्तान से हारकर आ रहा था और एक समय तो यह मैच भी होना मुश्किल लग रहा था। लेकिन जब मैच हुआ तो क्या ख़ूब हुआ। भारत ने पाकिस्तान के सामने 420 रनों का मुश्किल लक्ष्य रखा, जो कि उनके लिए बना पाना संभव नहीं था। लेकिन जब अनवर (सईद अनवर) और अफ़रीदी (शाहिद अफ़रीदी) की जोड़ी ने रन बनाना शुरू किया, तो सभी एक बार तनाव में आ गए थे। वह तनाव कैमरे से भी खिलाड़ियों के चेहरे पर साफ़ दिख रहा था। तब कोई भी कुंबले के 10 विकेट के बारे में नहीं बस भारत की जीत के बारे में सोच रहा था। लेकिन एक बार जब विकेट गिरने शुरू हुए तो फिर गिरते ही गए और फिर दो-तीन घंटे में मैच ही ख़त्म हो गया।"
मुंबई से ताल्लुक रखने वाले वीडियो टेप ऑपरेटर उमेश कहते हैं, "इस 10 विकेट और उस 10 विकेट में प्रमुख अंतर यह था कि तब आठ विकेट गिर जाने के बाद भी नहीं लग रहा था कि कुंबले यह कारनामा कर देंगे क्योंकि भारतीय टीम के पास कुंबले के अलावा जवागल श्रीनाथ, वेंकटेश प्रसाद और हरभजन सिंह जैसे गेंदबाज़ थे, जिन्होंने पहली पारी में विकेट लिए थेख् लेकिन एजाज़ के साथ ऐसा नहीं था। पूरी पारी के दौरान न्यूज़ीलैंड की तरफ़ से सिर्फ़ वही ऐसे गेंदबाज़ दिखे, जो विकेट ले सकते थे। इसलिए जब उन्होंने सात विकेट ले लिए, तब हमें लगने लगा था कि शायद अब वह 'परफ़ेक्ट टेन' भी पूरा कर लें। कुंबले के साथ यह तब हुआ, जब उन्होंने नौ विकेट ले लिए। उसके बाद तो श्रीनाथ भी जान-बूझकर गेंदों को काफ़ी दूर फेंक रहे थे ताकि ग़लती से भी उन्हें विकेट ना मिले।"
बेंगलुरू के साउंड इंजीनियर श्रीनिवासन को इस बात का मलाल है कि स्टेडियम में रहते हुए भी वह इस बार नंगी आखों से एजाज़ का 10 विकेट नहीं देख सके, जबकि कुंबले का 10 विकेट उन्होंने बिल्कुल सामने से कॉमेंट्री बॉक्स से देखे थे। वह बताते हैं, "1999 में मैं जूनियर साउंड इंजीनियर था और कॉमेंटेटर्स के साथ कॉमेंट्री बॉक्स में ही रहकर अपने काम को अंजाम देता था। लेकिन अब मैं सीनियर साउंड इंजीनियर हो चुका हूं और तब से तक़नीक भी काफ़ी बदल चुकी है। अब हमें स्टेडियम में एक अलग स्टूडियो जैसे तक़नीक से लैस कमरे की ज़रूरत होती है, ताकि मैदान से आने वाले हर तरह की आवाज़ों को मिक्स किया जा सके और टीवी पर मैच देखने वाले लोग भी अपने आप को स्टेडियम में होने जैसा महसूस कर सके।"
कुछ ऐसा ही दर्द उमेश का है। वह भी दोनों बार स्टेडियम में रहते हुए अपनी आंखों से दोनों ऐतिहासिक पलों को नहीं देख सके थे। टीवी पर हर विकेट या बाउंड्री के बाद जो हम रिप्ले देखते हैं उसे उमेश जैसे वीटी ऑपरेटर ही चलाते हैं। वह कहते हैं, "हम लोगों का काम ही कुछ ऐसा है कि ड्रिंक या इनिंग ब्रेक के अलावा हम लोग अपने मशीन से हट नहीं सकते। अगर हम लोग हटेंगे तो ब्रॉडकास्टिंग ही प्रभावित होगी। कुंबले ने 10 विकेट लिए तो ऐसा नहीं लगा था, लेकिन अब जब एजाज़ ने ऐसा किया तो मन में एक कसक रह गई कि काश मैं अपने कमरे से बाहर निकलकर एक विकेट तो देख लिया होता। लेकिन फिर भी मैं अपने आपको ख़ुशक़िस्मत समझता हूं कि मैं इन दोनों ऐतिहासिक पलों का हिस्सा बन सका।"
इस मामले में तक़ी अपने आप को ख़ुशकिस्मत मानते हैं। वह ज़ोर देकर कहते हैं कि मैंने ना सिर्फ़ दोनों ऐतिहासिक पलों को ख़ुद देखा, बल्कि दुनिया को भी दिखाया। वह कहते हैं, "दोनों 'परफ़ेक्ट टेन' की सबसे ख़ास बात यह है कि दोनों बार सभी 10 विकेट एक ही छोर से लिए गए। कुंबले ने जब 10 विकेट लिया तो मैं बल्लेबाज़ के सामने था। मैंने सभी 10 विकेट को सामने से गिरते हुए देखा और उसे रिकॉर्ड कर दुनिया को दिखाया जबकि इस बार मैं बिल्कुल उलट साइड था और मुझे एजाज़ को गेंदबाज़ी करते हुए और हर 10 विकेट का जश्न मनाते हुए देखने का मौक़ा मिला। मैं इसके लिए ख़ुदा का शुक्र मानता हूं कि मैंने ऐसे विरले दृश्य को ना सिर्फ़ देखा बल्कि दुनिया को भी दिखाया। जब टीम डायरेक्टर ने टीम वॉकी-टॉकी पर सबसे पूछा कि कौन कुंबले वाले मैच में भी शामिल था, तो सबसे पहले मैंने ही उत्साह में ज़वाब दिया क्योंकि मैं जानता था कि मैं इतिहास का हिस्सा बन चुका हूं।"
उन्होंने बताया कि भले ही कुंबले वाले मैच में भारत-पाकिस्तान मैच होने के कारण दर्शकों का उत्साह बहुत अधिक था, लेकिन इस मैच में भी दर्शकों ने अपना उत्साह दिखाया। वह एजाज़ के हर विकेट पर तो ख़ुश नहीं हुए लेकिन जब उन्होंने 10वां विकेट लिया तो पूरे स्टेडियम ने खड़े होकर ताली बजाते हुए उनका उत्साहवर्धन किया। यही काम भारतीय कप्तान विराट कोहली, स्पिनर आर अश्विन और पूरी भारतीय टीम ने किया जो कि एक बेहतरीन खेल भावना का प्रतीक है। तक़ी ने बताया कि उस समय कप्तान वसीम अकरम सहित पूरी पाकिस्तानी टीम ने भी ऐसा किया था और कुंबले को मैदान में आकर बधाई दी थी।
55 साल के उमेश, 52 साल के श्रीनिवासन और 47 साल के तक़ी अच्छे दोस्त भी हैं। तीनों ने अपने ब्रॉडकास्टिंग करियर की शुरुआत 1994 में 'ट्रांस वर्ल्ड इंटरनेशनल' कंपनी से की थी, जो उस समय भारत में क्रिकेट के अलावा हॉकी, फ़ुटबॉल के लाइव मैचों का ब्रॉडकास्ट करता था। फ़िलहाल तीनों अभी फ़्रीलांस ब्रॉडकास्टर हैं और दुनिया भर के तमाम खेल प्रतियोगिताओं को कवर करते हैं। दो दशक के ऊपर की इस दोस्ती में इनका रिश्ता और भी गहरा हुआ है क्योंकि ये लोग अपने परिवार से अधिक अपना अधिकतर समय एक-दूसरे के साथ ही बिताते हैं।
जैसा कि जबरदस्त हिंदी बोलने वाले श्रीनिवासन कहते हैं कि उनकी अच्छी हिंदी का श्रेय तक़ी को जाता है। उन्होंने उनकी संगत में रहकर ही हिंदी सीखा है। वहीं उमेश कहते हैं कि जब भी दिल्ली में मैच होता है तो तक़ी या तो अपने घर से बिरयानी लाता है या फिर उन्हें करीम पर बिरयानी खिलाने ले जाता है। वहीं तक़ी कहते हैं कि बबल लाइफ़ आने के बाद यह बांडिंग और बढ़ी है क्योंकि अब वे महीनों और कभी-कभी साल भर तक अपने परिवार से मिल नहीं पाते हैं। ऐसे में ये दोस्त ही उनके 'कठिन ब्रॉडकास्टिंग' जीवन के सुख-दुःख के साथी होते हैं।

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं. @dayasagar95