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किंबर : वॉर्नर अब सिर्फ़ हिटिंग मशीन नहीं, बल्कि एक चतुर क्रिकेटर बन गए हैं

ऐसा लगता है जिस चीज़ ने वॉर्नर की बल्लेबाज़ी को धीमा कर दिया था, वह अब ख़त्म हो गई है

David Warner found the space to play a few good shots too, Australia vs Bangladesh, T20 World Cup, Group 1, Dubai, November 4, 2021

वॉर्नर जो इस टूर्नामेंट में अब तक चौथे सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ है, उनका स्ट्राइक रेट 150 के क़रीब है लेकिन उनके नाम सिर्फ़ सात छक्के हैं  •  Getty Images

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में डेविड वॉर्नर एक बेहद आक्रामक बल्लेबाज़ के तौर पर जाने जाते हैं, अपनी ही कप्तानी में उन्होंने सनराइज़र्स हैदराबाद को उनका इकलौता ख़िताब भी दिलाया था, लेकिन पिछला कुछ समय उनके लिए ठीक नहीं गया, जब सीज़न के बीच में ही उनसे कप्तानी भी छीन ली गई और उन्हें ड्रॉप भी कर दिया गया था।
2020 तक वॉर्नर ने 52 की औसत और 145 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे, और उन्हें टीम से सिर्फ़ इसलिए ही बाहर किया गया क्योंकि उनके रन बनाने की गति धीमी हो गई थी। 2021 में आठ पारियों में वह दो बार रन आउट भी हुए थे, जिसके बाद आईपीएल के इस दिग्गज बल्लेबाज़ का बुरा दौर शुरू हो गया था।
हालांकि ऐसा नहीं है कि वॉर्नर पहली बार संघर्ष कर रहे थे। 2018 में जब उन्हें ऑस्ट्रेलिया ने प्रतिबंधित कर दिया था तो वह कनाडा में जाकर ग्लोबल टी20 लीग में विनिपेग हॉक्स का प्रतिनिधित्व करने लगे थे। जहां उन्होंने महज़ 13.6 की औसत और 114.7 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे। इसके बाद उन्होंने कैरेबियन प्रीमियर लीग (सीपीएल) में सेंट लूसिया की ओर से भी खेला, जहां उनकी पहली तीन पारियों में नौ, 11 और सात रन आए। जिसके बाद कईयों ने तो यहां तक कह डाला था कि शायद ये वॉर्नर का अंत ही है। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और 2019 में वॉर्नर ने आईपीएल में धमाकेदार अंदाज़ में वापसी करते हुए 143.86 के स्ट्राइक रेट से 692 रन बनाए।
सनराइज़र्स की टीम में एक बार फिर वह खिलाड़ी वापस आ चुका था जो 90 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से डाली हुई गेंद को भी बल्ले के दोनों तरफ़ से स्लॉग करते हुए दर्शक दीर्घा में पहुंचा सकता था। ये वह वॉर्नर नहीं थे जिन्हें इस साल ड्रॉप किया गया है, बल्कि वह थे जिसका वर्चस्व आईपीएल के छह सीज़न में देखने मिला है।
दरअसल, ये वह समय है जब वॉर्नर एक हिटर से बल्लेबाज़ बनते जा रहे हैं, और ख़ासतौर से एक टेस्ट खिलाड़ी। लिहाज़ा वॉर्नर ख़ुद को एक टी20 हिटिंग मशीन से एक ऐसे क्रिकेटर के तौर पर बदल चुके हैं जिसका काम निरंतरता के साथ रन बनाना है। उनके शरीर में भी बदलाव आया है और यही वजह है कि वह अब लेग स्पिन नहीं करते और न ही मीडियम पेस, क्योंकि उनका कंधा अब इसकी इजाज़त नहीं देता।
लेकिन इसका ये भी मतलब नहीं कि वह अब छक्के नहीं लगा सकते, वह अभी भी स्पिन गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ बड़ी हिट लगाने जाते हैं, और अगर उनकी टाइमिंग अच्छी रहती है तो फिर वह तेज़ गेंदबाज़ों को भी नहीं बख़्शते। हालांकि ये भी सच है कि वह अब वैसे ख़तरनाक भी नहीं है जैसा हमने कुछ साल पहले उन्हें पर्थ में विनय कुमार के ख़िलाफ़ देखा था।
पिछले कुछ महीनों में आईपीएल के दौरान वॉर्नर की बल्लेबाज़ी देखकर और इस टी20 विश्वकप में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ उनकी पारी देखने के बाद, एक बार फिर उन्हें काफ़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था और वह सभी के निशाने पर थे। लेकिन शायद लोगों को अब ये सोचना होगा कि वॉर्नर का अंदाज़ बदल चुका है और ये टीम के हित में भी है।
अब तक फ़िंच का बल्ला नहीं चला है, लेकिन वॉर्नर के बल्ले से लगातार रन आ रहे हैं। श्रीलंका के ख़िलाफ़ उन्होंने 42 गेंदों पर 65 रन की पारी खेली, हालांकि इंग्लैंड और बांग्लादेश के ख़िलाफ़ वह जल्दी आउट हो गए। लेकिन वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध अहम मुक़ाबले में उन्होंने 56 गेंदों पर 89 रनों की नाबाद पारी खेली। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल में तो वॉर्नर एक अद्भुत अंदाज़ में खेल रहे थे, एक मज़बूत गेंदबाज़ी आक्रमण के सामने पहले डटकर सामना किया और फिर शादाब ख़ान और मोहम्मद हफ़ीज़ की उस दो टप्पे वाली गेंद को स्टैंड्स में पहुंचाया। ये दर्शाता है कि वह अब कितने चतुर क्रिकेटर बन चुके हैं।

जैरड किंबर (@ajarrodkimber) ESPNcricinfo के लिए लिखते हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट सैयद हुसैन ने किया है।