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एंटीगा में तेज़ हवाओं की चुनौती से कैसे निपटे कुलदीप यादव?

कुलदीप ने कहा कि उनका ध्यान सिर्फ़ सही लेंथ पर गेंद डालने की ओर था

T20 वर्ल्ड कप 2024 का पहला राउंड बेंच पर बैठकर बिताने के बाद सुपर-8 में कुलदीप यादव का शानदार फ़ॉर्म जारी है। कुलदीप ने बांग्लादेश के ख़िलाफ़ मैच में 19 रन देकर तीन विकेट लिए, वहीं अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ भी उन्होंने दो विकेट चटकाए।
भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका में खेले गए पहले चरण में कुलदीप को मौक़ा नहीं दिया था। कुलदीप को वेस्टइंडीज़ में होने वाले मैचों के लिए बचाकर रखा गया था ताकि यहां पर रिस्ट स्पिनर को मिलने वाली मदद का लाभ मिल सके।
कुलदीप ने मज़ाकिया लहजे में कहा, "मैं अपनी टीम के साथियों के लिए ड्रिंक्स लेकर जा रहा था, यह खेलने जैसा ही है। मैंने यहां पर (वेस्टइंडीज़) 2017 में अपना वनडे और टी20 डेब्यू किया था। मैं यहां कि परिस्थितियों से भली भांति परिचित था। मैं गति में मिश्रण कर रहा था। यहां पर स्पिनर्स के लिए गेंदबाज़ी करना काफ़ी आसान है।" सुपर-8 में कुलदीप को पहली बार खेलने का मौक़ा मिला। हालांकि उन्होंने कहा कि वह अहम अवसर पर पहला मैच खेलने से पहले किसी तरह का दबाव महसूस नहीं कर रहे थे।
"हर मैच खेलना ज़रूरी होता है और उतना ही ज़रूरी होता है कि किसी भी मैच को एक अन्य सामान्य मैच की तरह ही लिया जाए। चूंकि अब हम सुपर-8 खेल रहे हैं तो निश्चित तौर पर दबाव है। हम कुछ ही दिनों में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेलेंगे। विकेट स्पिनर्स को मदद पहुंचा रही है और मेरा ध्यान भी गति में मिश्रण करने की ओर है।" कुलदीप ने बीच के ओवरों में गेंदबाज़ी की। उन्हें पहले ओवर में तो विकेट नहीं मिला लेकिन इसके बाद उन्होंने हर ओवर में एक विकेट लिया। इस दौरान कुलदीप ने तंज़िद हसन, तौहीद हृदोय और शाकिब अल हसन के विकेट लिए।
कुलदीप ने अपने चारों ओवर सर एंडी रॉबर्ट्स एंड से डाले। उस छोर से बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को यह सहूलियत मिल रही थी कि वह लेग साइड में हवा के उपयोग के साथ शॉट खेल सकते थे। जबकि हवा के चलते दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को ऑफ़ साइड में खेलने में आसानी हो रही थी। हालांकि कुलदीप ने कहा कि वह तेज़ हवा के चलते उत्पन्न हो रही चुनौतियों की चिंता नहीं कर रहे थे।
"उस छोर से गेंद डालना कठिन था क्योंकि मैं दौड़ कर रन अप नहीं लेता हूं। मैं एक स्टेप लेता हूं और फिर आक्रामकता के साथ तेज़ी से गेंद डालता हूं। मैं हवा के बारे में नहीं सोच रहा था क्योंकि अंत में लेंथ ही मायने रखती है। ज़ाहिर तौर पर मैं बल्लेबाज़ का दिमाग़ पढ़ने की भी कोशिश कर रहा था ताकि मैं उससे एक कदम आगे रहूं। वे हवा की ओर ही शॉट खेलने की कोशिश कर रहे थे। जब विपक्षी टीम को 10 से 12 रन प्रति ओवर के दर से रन चाहिए होते हैं और वह आक्रमण करने का प्रयास करते हैं तब मैं लेंथ पर ही अधिक ध्यान केंद्रित करता हूं। मैं उस समय यह नहीं सोचता कि मुझे बल्लेबाज़ को आउट करना है बल्कि सिर्फ़ सही लेंथ पर गेंद डालने का प्रयास करता हूं।"