6 दिसंबर, 2019 को वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध भारत की टी20 अंतर्राष्ट्रीय सीरीज़ का पहला मैच खेला गया था हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में, जहां विराट कोहली की 94 रनों की नाबाद पारी की बदौलत भारत ने 208 रनों का लक्ष्य आठ गेंदें रहते हासिल कर लिया था। वह मैच इसलिए भी ख़ास था क्योंकि किंग कोहली ने उस मैच में हर बड़े शॉट के बाद केसरिक विलियम्स के 'नोटबुक' सेलिब्रेशन की नकल की थी।
उसके बाद प्राय: तीन साल तक कोरोना महामारी के कारण हैदराबाद समेत कई शहर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की मेज़बानी से वंचित रहे। इतना ही नहीं, 2019 के बाद से इस शहर में आईपीएल का मैच तक नहीं खेला गया। क्रिकेट और सिनेमा (अरे हां भाई, बिरयानी भी) के दीवानों की नगरी को अपने चहेते खिलाड़ियों से दूर रहना रास नहीं आया और इसलिए जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ का अंतिम मैच हैदराबाद में आयोजित करने का निर्णय लिया, लोगों के बीच टिकट ख़रीदने की दौड़ लग गई।
हालांकि सब कुछ कुशल-मंगल नहीं हुआ और उल्लास के साथ जिमख़ाना ग्राउंड पहुंचे हज़ारों प्रशंसकों को टिकट नहीं बल्कि पुलिस की लाठियां झेलनी पड़ी जिसपर हम फिर कभी बात करेंगे।
यह रिपोर्टर बेंगलुरु से निकला अपने दूसरे घर हैदराबाद के लिए जहां इसने अपनी ज़िंदगी के आठ साल गुज़ारे थे। ईरानी चाय, उस्मानिया बिस्कुट, दम बिरयानी, डबल का मीठा जैसे पदार्थों ने दिल जीत लिया था और अब पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच कवर करने इसी नगरी लौट रहा था।
स्टेडियम मेट्रो स्टेशन तक जाने वाली ट्रेन में दोपहर साढ़े तीन बजे से ही दर्शकों की लंबी लाइन लग गई। ट्रेन में बैठने की जगह नहीं मिली तो चुनिंदा फ़ैंस की बातें सुनने का अवसर मिला। एक लड़का कोहली की नोटबुक वाली यादों को ताज़ा कर रहा था तो कोई कह रहा था कि कैसे आईपीएल 2019 के पहले मैच के लिए सनराइज़र्स हैदराबाद ने टिकटों के दाम घटाए थे ताकि अधिक से अधिक लोग स्टेडियम आकर मैच का आनंद ले सकें (उन लोगों में से एक मैं भी था जिसने कम दाम में टिकट ख़रीदकर अपने परिवार के साथ वह मैच का लुत्फ़ उठाया था)।
उत्साहित क्रिकेट प्रेमी शाम चार बजे से ही मैदान में प्रवेश करने लगे। तड़पती धूप, गर्मी, पसीने की परवाह किए बिना वह अपनी जगह पर बैठे रहे और क्यों नहीं? आख़िर इस शहर के लोग अपने खाने और अपने क्रिकेट से प्यार जो करते हैं।
मेट्रो ट्रेन में जहां बैठने की जगह नहीं मिलने पर चिड़चिड़ाहट सी हुई थी, स्टेडियम के पास पहुंचने के बाद समझ आया कि यहां तो सांस लेने तक की जगह नहीं है। कैसे तैसे लोगों के बीच से होता हुआ स्टेडियम के रास्ते तक पहुंचना पड़ा। बीसीसीआई मीडिया का पहचान पत्र गले में टंगा देख लाइन में खड़े अधिकतर व्यक्ति मुझे बीसीसीआई का अधिकारी समझ रहे थे। फिर धीमी आवाज़ से अपने मित्र से कहते, "अरे वो देख मामा, उने बीसीसीआई का लगरा देख। अपने कु मिलता क्या वो?"
जैसे जैसे दिन ढलता गया और शाम होने लगी, स्टेडियम दर्शकों से खचाखच भर गया। 35,000 लोग अपने हीरों का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। जब भी कोई खिलाड़ी अथवा टीम का सदस्य पवेलियन से नीचे उतरता, तालियों और शोर के साथ उसका स्वागत किया जाता। जब राहुल द्रविड़ और फिर कोहली अंततः मैदान पर उतरे, उप्पल स्टेडियम में मौजूद हर एक दर्शक में ऊर्जा का विस्फोट हुआ और यह मैच की अंतिम गेंद तक उनके द्वारा किए गए शोर में झलकता रहा।
मैं सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल निभाने के बाद मीडिया बॉक्स पहुंचा। अन्य पत्रकारों से बातचीत करने के बाद मैं मीडिया बॉक्स के बाहर जाकर इस माहौल को सोखने की कोशिश कर रहा था।
इसी बीच अपने मित्रों को मिलने के लिए जब मैं उनके स्टैंड में पहुंचा तो मैंने देखा कि इस साल भारतीय टी20 क्रिकेट के सबसे युवा खिलाड़ी दिनेश कार्तिक की धर्मपत्नी और भारतीय स्क्वॉश चैंपियन दीपिका पल्लीकल कार्तिक मैच देखने के लिए मैदान पर आई हैं। जिस खिलाड़ी को टीवी पर भारत के लिए अनगिनत मेडल जीतते हुए देखा था, वह सामने बैठी थी। एक पल के लिए यह सपनों सरीखा लगा।
हालांकि जब टॉस हुआ और मैच की शुरुआत हुई, सब कुछ हक़ीक़त में बदल गया। फिर वह कैमरन ग्रीन की अविश्वसनीय अर्धशतकीय पारी को, बापू अक्षर पटेल की फ़िरकी, टिम डेविड के गगनचुंबी छक्के हो, दर्शकों का शोर हो या मैदान पर बजाए जा रहे टॉलीवुड गाने। पत्रकारों के बीच बैठकर मैच देखते समय मेरे अंदर का क्रिकेट प्रेमी उछल-उछलकर हर एक शॉट, हर एक विकेट पर ताली बजा रहा था।
पारी के ब्रेक में स्वादिष्ट खाने का आनंद लेते समय मुझे यह महसूस हुआ कि बस अब 20 ओवरों के बाद यह मैच समाप्त हो जाएगा। मैं एक भी पल मिस नहीं करना चाहता था। मैं तुरंत अपनी सीट की तरफ़ भागा और दूसरी पारी का आनंद लिया। मैं अपने साथी कॉमेंटेटरों को पल पल की ख़बर पहुंचा रहा था और इस दिन के लिए ईश्वर को धन्यवाद दे रहा था।
कोहली और सूर्यकुमार यादव ने शतकीय साझेदारी कर लोगों का ख़ूब मनोरंजन किया। कोहली की कवर ड्राइव में वह क्लास दिखाई दे रही थी, सूर्यकुमार हमेशा की तरह गेंदबाज़ों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे, एक समय के लिए तो मुझे ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों के लिए बुरा लगने लगा। हालांकि जब मैच अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचा, सभी के दिल की धड़कने तेज़ हो गई। फिर जब हार्दिक पंड्या ने विकेटकीपर और शॉर्ट थर्ड के बीच से गेंद को चौके के लिए भेजा और भारत की जीत सुनिश्चित की, लोग झूमने लगे, नाचने लगे। उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। तीन साल के इंतज़ार का फल उन्हें इस रोमांचक मुक़ाबले के रूप में मिला।
मैच के बाद बारी थी अपने पहले प्रेस कॉन्फ़्रेंस के अनुभव की। सबसे पहले आए ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कोच ऐंड्रयू मक्डॉनल्ड। उनसे डेथ गेंदबाज़ी समस्या का प्रश्न पूछा जिसका उत्तर उन्होंने स्पष्टता के साथ दिया। फिर आए हिटमैन रोहित, पहले तो एक पल के लिए झिझक महसूस हुई उसके बाद उनसे हर्षल पटेल की गेंदबाज़ी पर सवाल पूछा। जब वह मेरी तरफ़ देखकर, मेरी आंखों से आंखें मिलाकर उत्तर दे रहे थे, मुझे एक पल के लिए ऐसा लगा कि शायद मैं यह पहली बार नहीं बल्कि 100वीं बार कर रहा हूं।
जब प्रेस कॉन्फ़्रेंस ख़त्म करने के बाद मैं अपना लैपटॉप लेने मीडिया बॉक्स गया, मैंने देखा कि मैदान पर लाइट बंद हो रही थी। तब मुझे एहसास हुआ कि बस, जो था यही तक था। बतौर रिपोर्टर मेरा पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच समाप्त हो गया। अब यह दोबारा नहीं होगा। हालांकि तभी मेरे दिल से आवाज़ निकली जिसने कहा - मैच मैदान पर समाप्त हो गया तो क्या हुआ, यह मेरे दिल और दिमाग़ में हमेशा के लिए अंकित रहेगा और चक दे इंडिया फ़िल्म में शाहरुख़ ख़ान के प्रसिद्ध डायलॉग की तरह - यह चार घंटे ख़ुदा भी मुझसे नहीं छीन सकता।
अफ़्ज़ल जिवानी ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं | @jiwani_afzal