अगर किसी से 2022 की शुरुआत में एक भविष्यवाणी करने को कहा जाता कि 2023 में वनडे विश्व कप में भारत के लिए अगर युज़वेंद्र चहल और कुलदीप यादव में से एक रिस्ट-स्पिनर को टीम में शामिल करना है, तो वह कौन होगा? तो शायद ही कोई चहल का नाम नहीं लेता। आख़िर 2019 विश्व कप के बाद से 2021 के अंत तक चहल ने 21 वनडे मैचों में 28.47 की औसत से 34 विकेट अपन नाम किए थे। इस दौरान कुलदीप ने एक अतिरिक्त वनडे खेलते हुए 43.73 की औसत के साथ 26 विकेट निकाले थे।
इस समय कुलदीप के लिए कुछ भी सही नहीं चल रहा था। आईपीएल में उनकी टीम कोलकाता नाइट राइडर्स ने भी उन्हें शुरुआती एकादश से बाहर करना शुरू कर दिया था। लेकिन फिर, कुछ बदला।
ऐसा नहीं है कि इसमें चहल की कोई ग़लती थी। उन्होंने आख़िर 2022 के शुरू से अब तक 16 वनडे मैचों में 24 विकेट निकाले है। इस दौरान उनकी औसत (27.91) में भी बेहतरी दिखी और इकॉनमी में भी (5.70 से गिरकर 5.53)।
लेकिन कुलदीप में परिवर्तन इससे भी कहीं ज़्यादा उल्लेखनीय था। वह अधिक गति से गेंदबाज़ी कर रहे थे, लेकिन अपने करियर की शुरुआत जैसी टर्न के साथ। उनके वैरिएशन पहले जैसे ही असरदार थे, लेकिन उन्हें पिच से एक अतिरिक्त मदद मिलने लगी थी। इसके चलते परिणाम भी उनके हित में आने लगे।
2022 की शुरुआत से कुलदीप ने 24 मैचों में 18.93 की औसत के साथ 43 विकेट झटके है। 2019 विश्व कप और 2021 के अंत तक उनकी इकॉनमी 5.76 की थी, जो अब गिरकर 4.70 तक आ गई है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध पारी में तीन-तीन विकेट निकाले हैं, साउथ अफ़्रीका और श्रीलंका के ख़िलाफ़ चार-चार विकेट और एशिया कप के सुपर फ़ोर मैच में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 25 रन देकर पांच विकेट भी।
अपने करियर के शुरुआती दिनों में कुलदीप के बारे में अक्सर यह कहा जाता रहा कि अच्छा टर्न प्राप्त करते हुए भी वह बहुत ज़्यादा धीमी गति से गेंद डालते थे। इसका समाधान आसान नहीं था क्योंकि अपनी फ़्लाइट की शक्ति को बरक़रार रखते हुए गति में वृद्धि लाना आसान नहीं होता।
आईपीएल 2021 के दौरान हुई घुटने की चोट ने उन्हें ख़ुद को बदलने का सुनहरा मौक़ा दिया। सर्जरी के बाद उन्हें पांच महीने तक आराम करने को कहा गया। जब वह वापसी कर रहे थे तो कुछ मायने में उन्हें अपनी रन-अप पर दोबारा काम करने को मिला। पहला बदलाव? लगभग 45 डिग्री की एंगल पर दौड़कर आने की आदत को उन्होंने एक सीधी रेखा में बदला।
पाकिस्तान के ऊपर जीत के बाद कुलदीप ने कहा, "मुझे सर्जरी करवाए हुए अब डेढ़ साल से ज़्यादा हो गया है। रन-अप और सीधी हो गई है और लय ज़्यादा आक्रामक। अप्रोच में भी बेहतरी आई है।"
उन्होंने आगे कहा, "शायद मेरा हाथ गिर जाता था, लेकिन अब वह बल्लेबाज़ की दिशा में ही जाता है।" इसके अलावा उन्होंने एशिया कप और इससे पहले हुए वेस्टइंडीज़ दौर पर भी बताया था कि वह अपनी गेंदबाज़ी की लेंथ पर लगातार काम किए जा रहे हैं।
गति में तेज़ी लाने का मतलब यह है कि अब बल्लेबाज़ों के पास उनको पढ़ने के लिए कम समय मिलने लगा है। अगर आप इसमें उनकी विविधता को जोड़ दें तो सोचिए बल्लेबाज़ों के मन में कितनी अनिश्चितता बन रही होगी।
पाकिस्तान के विरुद्ध स्पेल के दौरान कुलदीप ने एक गेंद बाएं हाथ के ओपनर फ़ख़र ज़मान के आंखों के ऊपर तक लहराया था। इससे उनकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती- आगे बढ़ना। लेकिन गेंद में तेज़ डिप को देखते हुए वह लेंथ गेंद को क्रीज़ से ही खेले। गेंद ने शार्प टर्न लेते हुए बाहरी किनारा लिया और स्लिप पर कप्तान रोहित शर्मा से कैच छूट गया।
83 किमी प्रति घंटे की इस गेंद को आधुनिक क्रिकेट के मानदंड से तेज़ नहीं कहा जाएगा। हालांकि इस गेंद ने पहले की तरह टप्पा खाकर गति नहीं गंवाई और इसी वजह से बल्लेबाज़ को रिएक्ट करने का अवसर नहीं दिया। इसी क्षमता को उन्होंने वेस्टइंडीज़ में भी कई बार दिखाया था, जहां उन्होंने गुगली का अच्छा-ख़ासा प्रयोग किया।
कुंबले : कुलदीप की गेंदबाज़ी में अंतर रन-अप से आया है
लेग स्पिन दिग्गज और कुलदीप के पहले अंतर्राष्ट्रीय कोच अनिल कुंबले इस परिवर्तन का अधिकतम श्रेय उनके बदले हुए रन-अप को देते हैं।
कुंबले ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को बताया, "जब मैं कोच था तब कुलदीप भारतीय टीम में नए थे। हम उनको ज़्यादा सीधी गेंदबाज़ी करने को प्रोत्साहित करते थे। यह उनकी ख़ासियत है कि उन्होंने इस बात को समझा और इस पर कड़ी मेहनत की। वह अपने रन-अप को और सीधा कर पाएं हैं और इसका मतलब यह है कि वह गेंद के पीछे अपने शरीर का ज़्यादा वज़न डाल रहे हैं। इससे उन्हें गेंदबाज़ी में गति नहीं बदलनी पड़ती है। ऐसा भी नहीं है कि उन्हें हाथ को ज़्यादा तेज़ घुमाना होता है।
"सबसे अच्छी बात यह है कि उन्होंने टर्न की अपनी बड़ी ताक़त को नहीं खोया। रन-अप के एंगल में बदलाव करने से वह ज़्यादा शरीर के साथ गेंद को डालने लगे हैं।" कुंबले के हिसाब से फ़्रंट आर्म को शरीर की सीध में लाने से भी कुलदीप को फ़ायदा मिला है।
एशिया कप में फ़ाइनल में केवल एक ओवर डाल पाने के बावजूद कुलदीप नौ विकेटों के साथ प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ घोषित किए गए थे। वह इसी विश्वास को विश्व कप तक लेकर जाएंगे। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ उन्हें पहले दो मैचों में भी विश्राम मिला था। इस पर कप्तान रोहित ने भी बताया था, "कुलदीप ऐसे एक गेंदबाज़ हैं जिनके लिए लय बहुत आवश्यक चीज़ है, यह सबको पता है। लेकिन हमने कई चीज़ों के बारे में सोचा और उन्हें आराम देने का फ़ैसला किया है। उनकी गेंदबाजी अच्छी चल रही है। वह आख़िरी मैच के लिए टीम में वापस आ रहे हैं। हमारे पास दो अभ्यास मैच भी हैं (विश्व कप के उद्घाटन से पहले), तो उन्हें एक बार फिर से लय में आने का मौक़ा मिल जाएगा।''
2023 की शुरुआत से 31 विकेटों के साथ कुलदीप इस साल विश्व कप में भाग ले रही प्रतियोगी टीमों में संयुक्त रूप से सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं। अफ़ग़ानिस्तान के नूर अहमद और साउथ अफ़्रीका के तबरेज़ शम्सी के अलावा वह इस टूर्नामेंट में इकलौते बाएं हाथ के रिस्ट-स्पिनर होंगे। अपनी गेम में संपूर्ण सुधार को देखते हुए वह भारत के लिए एक दूसरी होम विश्व कप जीत में तुरुप का इक्का साबित होंगे।