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राशिद और नबी ने की अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के शिक्षा के अधिकार को दोबारा बहाल करने की गुज़ारिश

दोनों खिलाड़ियों ने तालिबान द्वारा देश में नर्स और दाइयों के संस्थानों को बंद किए जाने की ख़बरों पर प्रतिक्रिया दी है

Rashid Khan and Mohammad Nabi slowed down South Africa in the middle overs, Afghanistan vs South Africa, World Cup, Ahmedabad, November 10, 2023

राशिद और नबी दोनों ने ही अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के लिए शिक्षा प्रसार पर रोक लगाए जाने की प्रतिक्रिया में अपना विरोध जताया है  •  AFP/Getty Images

अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट के दो सबसे बड़े नाम राशिद ख़ान और मोहम्मद नबी तालिबान द्वारा (महिलाओं) नर्स और दाइयों (प्रसव में सहायता देने वाली सेविकाओं) के प्रशिक्षण संस्थानों पर ताला जड़ जाने की ख़बरों के बीच मज़बूती से अपना विरोध ज़ाहिर किया है।
अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद इसे अफ़ग़ानिस्तान में महिला अधिकारों के बड़े हनन के तौर पर देखा जा रहा है। तालिबान पहले ही बच्चियों और महिलाओं के लिए सेकेंडरी और उच्च शिक्षा को प्रतिबंधित कर चुका है लेकिन अब तक चिकित्सा के क्षेत्र में यह छूट मिली हुई थी। चूंकि बच्चियों और महिलाओं को खेल में हिस्सा लेने से भी प्रतिबंधित किया गया है इसलिए ICC के पूर्ण सदस्य के तौर पर अफ़ग़ानिस्तान की सदस्यता भी सवालों के घेरे में आ चुकी है।
राशिद ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा, "इस्लामिक शिक्षाओं में शिक्षा का अलग और अहम स्थान है और ये महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए ज्ञान अर्जित करने पर ज़ोर देती है। क़ुरान महिलाओं और पुरुषों को समान रूप से सीखने और आध्यात्मिक विकास पर ज़ोर देता है। बेहद दुःख और निराशा के साथ मुझे अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं और माताओं के लिए शिक्षण और चिकित्सीय संस्थान पार ताला जड़े जाने पर प्रकाश डालना पड़ रहा है। इस निर्णय ने ना सिर्फ़ भविष्य को अंधकार में डाला है बल्कि यह हमारे सामाजिक ढांचे को भी प्रभावित करेगा। सोशल मीडिया के ज़रिए जो उन्होंने अपना दुःख और दर्द साझा किया है वो उनके संघर्षों की याद दिलाता है।"
"अफ़ग़ानिस्तान जो हमारी प्यारी मातृभूमि है, वह इस समय एक नाज़ुक मोड़ पर है। इस समय देश को हर क्षेत्र और ख़ास तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में पेशेवरों की अत्यंत आवश्यकता है। महिला चिकित्सकों और नर्सों की भारी कमी विशेष तौर पर चिंताजनक है क्योंकि यह महिलाओं के आत्मसम्मान और उनके स्वास्थ्य की देखरेख को सीधे तौर पर प्रभावित कर रही है। हमारी बहनों और माताओं के लिए बेहद ज़रूरी है कि उन्हें चिकित्सीय पेशेवरों की पूरी सहायता मिले जो उनकी हर ज़रूरत की समझ रखते हैं।"
"मैं इस निर्णय पर एक बार फिर विचार करने की मांग करता हूं ताकि अफ़ग़ानिस्तान की लड़कियों को शिक्षा का अधिकार दोबारा मिल सके और वे देश के विकास में अपना योगदान दे सकें। शिक्षा मुहैया कराना ना सिर्फ़ हमारी सामाजिक ज़िम्मेदारी है बल्कि यह हमारी आस्था से जुड़ी हुई एक बड़ी नैतिक ज़िम्मेदारी भी है।"
फ़ेसबुक पर पश्तो में लिखते हुए नबी ने भी राशिद के विचारों से अपनी सहमति प्रदान करते हुए कहा, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मौजूदा सरकार ने लड़कियों के लिए चिकित्सा के क्षेत्र तक में प्रतिबंध लगाया है। पहले लड़कियों को विश्विद्यालय में जाने से रोका गया और अब चिकित्सा के क्षेत्र में उन्हें अपना भविष्य बनाने से भी रोका जा रहा है। यह निर्णय ना सिर्फ़ लड़कियों को प्रभावित करेगा बल्कि यह पूरे देश को प्रभावित करेगा। एक देश तभी विकसित हो सकता है जब उसके हर नागरिक के पास शिक्षा का अधिकार हो और समाज का कोई भी हिस्सा हाशिए पर ना हो।"