मैच (23)
MLC (1)
ENG v WI (1)
IRE vs ZIM (1)
Men's Hundred (2)
एशिया कप (2)
विश्व कप लीग 2 (1)
Canada T20 (4)
Women's Hundred (2)
TNPL (3)
One-Day Cup (5)
SL vs IND (1)
फ़ीचर्स

आख़िरकार भारत-पाकिस्तान का मैच उम्मीदों पर खरा उतरा

पिछले 20 सालों में इन दोनों टीमों के बीच रोमांचक मुक़ाबलों की कमी रही है

The teams line up for the national anthems, India vs Pakistan, Asia Cup, Dubai, August 28, 2022

आख़िरकार भारत और पाकिस्तान के बीच मैच अंतिम ओवर तक गया  •  AFP/Getty Images

जब भारत बनाम पाकिस्तान की बात आती है तो आप मैच को नहीं बल्कि यादगार पल को चुनते हैं। वह इसलिए क्योंकि कम से कम पिछले 20 सालों में इन दोनों टीमों के बीच रोमांचक मुक़ाबलों की कमी रही है।
रविवार को दुबई में हुए क़रीबी मुक़ाबले से पहले यह दोनों टीमों के बीच 2014 के एशिया कप में एक रोमांचक मुक़ाबला देखने को मिला था। वनडे प्रारूप में खेले गए टूर्नामेंट का वह लीग मैच ढाका में हुआ था जहां पाकिस्तान को अंतिम ओवर में जीत के लिए अंतिम विकेट पर 10 रन बनाने थे। शाहिद अफ़रीदी के दो बड़े शॉट ने पाकिस्तान की जीत सुनिश्चित की थी।
एशिया कप से पहले ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी की हमारी टीम ने भारत-पाकिस्तान मुक़ाबलों में अपनी सर्वश्रेष्ठ यादों को चुना था। इसमें 1992 के विश्व कप से लेकर 2012 एशिया कप की यादें शामिल थी।
विराट कोहली के 183 रन, शोएब अख़्तर के विरुद्ध सचिन का अपर कट, इरफ़ान पठान की हैट्रिक जैसे कई लम्हें इस सूची का हिस्से थे।
जब कोरोना महामारी ने लाइव खेल के साथ-साथ पूरी दुनिया को बंद कर दिया था, हमें दैनिक क्रिकेट समाचारों के अभाव में कुछ अलग करना पड़ा। हमने 10 भारत-पाकिस्तान क्लासिक मैचों की एक सूची प्रकाशित की। जब हम मैचों पर ध्यान दे रहे थे, हमें समझ आया कि टी20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अधिकतर मैचों ने हमें निराश ही किया है। 2007 के वर्ल्ड टी20 में बॉल-आउट और फ़ाइनल मुक़ाबले को छोड़कर अधिकतर मुक़ाबलों में रोमांच का अभाव रहा है।
अभूतपूर्व प्रचार वाले ऐसे मैचों की प्रवृत्ति ज़्यादातर समय फीकी पड़ जाती है। और फिर रविवार जैसे मैच आते हैं, जो अप्रत्याशित रूप से क्रिकेट की दुनिया में तूफ़ान ला देते हैं। रविवार को दुबई अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में कई सारे टीवी पत्रकार प्रशंसकों को एक ही तरह के सवाल पूछ रहे थे : कौन जीतेगा? आपको क्या लगता है? कौन सबसे अहम खिलाड़ी साबित होगा?
जिन लोगों से ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो ने बात की, वह आश्वस्त थे कि या तो बाबर-रिज़वान पिछले साल की कहानी को दोहराएंगे या फिर कोहली फ़ॉर्म में वापसी करते हुए भारत को जीत दिलाएंगे। अंतिम ओवर तक चलने वाले रोमांचक मुक़ाबले की किसी ने कल्पना नहीं की। इसके बावजूद यह लोग आठ घंटों तक लंबी कतार में लगकर, महंगी टिकट ख़रीदकर मैच देखने आए थे।
शाम छह बजे शुरू होने वाले मैच के लिए दोपहर दो बजे से लोगों का जमावड़ा शुरू हो गया। लोग स्टेडियम में प्रवेश करने के लिए साढ़े तीन किलोमीटर लंबी कतार में खड़े थे। दुबई स्पोर्ट्स सिटी में प्रवेश करने के सभी मार्ग जाम हो चुके थे। गाड़ियों के पास आगे जाने का रास्ता ही नहीं था।
क्रिकेट हो या ना हो, भारत में ऐसा ही माहौल हमें देखने को मिलता है। इसमें आप सुरक्षा नियमों को जोड़ दीजिए : सिक्के, पानी की बोतलें, पावर बैंक अथवा चार्जर और तो और धूप से बचने के लिए सनस्क्रीन तक लेकर जाने की अनुमति नहीं थी। फिर भी किसी ने आपत्ति नहीं जताई। आख़िर भारत और पाकिस्तान का मैच है भला। दोनों टीमें अपनी ऊर्जा बचाने के लिए मैच से केवल 75 मिनट पहले मैदान पर पहुंची। हालांकि उनके आने से पहले ही समर्थकों की पार्टी शुरू हो चुकी थी।
हालांकि ऐसा लग रहा था कि मैच में समर्थकों के लिए कुछ ख़ास रखा नहीं है। भुवनेश्वर कुमार की गेंद पर बाबर आज़म के स्ट्रेट ड्राइव या आवेश ख़ान के विरुद्ध मोहम्मद रिज़वान के छक्के के अलावा पहली पारी में पाकिस्तान समर्थकों के पास जश्न मनाने के लिए कुछ और था नहीं।
भारत के तेज गेंदबाज़ों ने बढ़िया गेंदबाज़ी की लेकिन एक भी पल ऐसा नहीं था जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अख़्तर के विरुद्ध तेंदुलकर के छक्के या आमिर की धारदर गेंदबाज़ी की तरह कोई अविश्वसनीय पल नहीं था। शायद पाकिस्तान के समर्थक हार मान चुके थे।
जब 11वें नंबर के बल्लेबाज़ शाहनवाज़ दहानी ने अंत में दो छक्के लगाए तब जाकर उनकी जान में जान आई। यह रोमांच और बढ़ा जब केएल राहुल दूसरी गेंद पर बोल्ड हो गए। इसके बाद जब रोहित और कोहली भी जल्दी आउट हुए, शोर बढ़ने लगा।
अतीत के एकतरफ़ा मैचों की तरह यहां पर कोई भी बीच मैच में घर नहीं जाने वाला था। अंतिम ओवर तक यह कहना मुश्किल था कि कौन जीतेगा। भारत पर दबाव बढ़ रहा था और पाकिस्तान हार नहीं मानने वाला था। 19वें ओवर के बाद भी पाकिस्तान ने संघर्ष करना नहीं छोड़ा लेकिन हार्दिक के छक्के ने मैच भारत की झोली में डाल दिया।
यह चेतन शर्मा के विरुद्ध जावेद मियांदाद या फिर अख़्तर के विरुद्ध तेंदुलकर के छक्के की तरह जादुई या अलौकिक पल नहीं था लेकिन अंत में इसके बढ़ते रोमांच के कारण यह वह क्लासिक मुक़ाबला बन गया जिसका हमें लंबे समय से इंतज़ार था।
हॉन्ग कॉन्ग के उलटफेर को छोड़कर संभव है कि हम इन दोनों टीमों के बीच मेलबर्न से पहले एक और मैच होते देखेंगे। अगर भाग्य ने साथ दिया तो फ़ाइनल समेत दो मैच देखने को मिल सकते है। 80 और 90 के दशक की तरह एक और क्लासिक मैच मेलबर्न में लगने वाली बड़ी पिक्चर का बढ़िया ट्रेलर हो सकता है।

शशांक किशोर ESPNcricinfo के सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।