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किंबर : कैसे जॉश हेज़लवुड टी20 के स्टार गेंदबाज़ बन गए

हेज़लवुड ने 2161 दिनों में केवल तीन टी20 मैच खेलें थे

Josh Hazlewood broke the opening stand, Australia vs New Zealand, T20 World Cup final, Dubai, November 14, 2021

एक टी20 गेंदबाज़ के रूप में हेज़लवुड ने अपनी गेंदबाज़ी में काफ़ी बदलाव किए हैं  •  Getty Images

जॉश हेज़लवुड ने डैरिल मिचेल को सटीक लाइन और लेंथ से आउट किया। इससे आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए। अच्छी गति, बढ़िया लाइन और लेंथ ही हेज़लवुड की प्रतिभा है।
अगर कोई बात आश्चर्य करने के लायक़ है तो वह यह है कि टी20 विश्वकप में हेज़लवुड ऑस्ट्रेलियाई टीम में शामिल किए गए हैं। 2019 के वनडे विश्वकप के दौरान हेज़लवुड को दो बार अनदेखा किया गया था और टीम में जगह नहीं दी गई थी। पहली बार क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि वह पर्याप्त रूप से फ़िट नहीं थे। हालांकि एक खिलाड़ी के चोटिल होने के बाद भी उन्हें टीम में शामिल किया गया था । ग़ौर करने वाली बात यह है कि जब वनडे विश्वकप चल रहा था वह ऑस्ट्रेलिया ए के लिए खेल रहे थे।
हालांकि 2016 में यह लगभग हैरान करने वाली बात थी कि वह भारत में आयोजित टी 20 विश्वकप में खेल रहे थे।
5 फ़रवरी 2014 को उन्होंने सिडनी सिक्सर्स के लिए एक मैच खेला था। 5 जनवरी, 2020 को वह फिर से सिक्सर्स के लिए खेले। लगभग छह साल की अवधि में उन्होंने तीन टी20 खेले। तीनों 2016 में थे, पहला जोहान्सबर्ग में एक उच्च स्कोरिंग मुक़ाबला था, और फिर भारत में दो विश्वकप मैच थे। एक मोहाली में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जहां उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और फिर उसी मैदान पर विराट कोहली को उन्होंने काफ़ी परेशान भी किया।
ऑस्ट्रेलिया के पास उन्हें भारत में होने वाले विश्वकप के लिए तैयार करने के लिए दो साल का समय था। इस दौरान उन्होंने सिर्फ़ एक टी20 मैच खेला। कोहली ने उसी अवधि में 45 मैच खेले। अगर आप शुद्ध प्रतिभा को देखें, तो ये दोनों ए-लिस्ट खिलाड़ी हैं। लेकिन एक ने अपने टी20 खेल पर काम करते हुए एक पीढ़ी बिताई थी, और दूसरे को उनकी ही टीम ने नज़रअंदाज़ कर दिया था।
एक खिलाड़ी ने 2161 दिनों में केवल तीन टी20 मैच खेलें हों? क्या यह घोर आश्चर्य की बात नहीं है?
पिछले कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट एक अलग ही रास्ते पर चला है, जहां उनकी ज़्यादातर योजना आख़िरी मिनट में बनाई हुई लगती है। लेकिन इस बार हमने एक सराहनीय प्रतिभा को उभरते हुए देखा।
उन खिलाड़ियों को देखिए जिन्होंने फ़ाइनल में कुछ ख़ास नहीं किया। स्टीवन स्मिथ ने इस मैच में बल्लेबाज़ी नहीं की, और भले ही उनकी टी20 साख उतनी खास न हो, लेकिन फिर भी वह स्टीवन स्मिथ हैं, जो टीम के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी माने जाते हैं।
ऐरन फ़िंच के लिए एक बल्लेबाज़ के रूप में यह विश्व कप कुछ ख़ास नहीं था। किसी भी विश्व कप विजेजा कप्तान के लिए शायद ही कोई विश्व कप बल्ले से इतना शांत गया हो। वह पुरुषों के टी20 अंतर्राष्ट्रीय इतिहास में चौथे शीर्ष स्कोरर हैं।
मिचेल स्टार्क आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया के और कभी-कभी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सफ़ेद गेंद के गेंदबाज़ माने जाते हैं। उनके पूरे करियर का यह सबसे ख़राब टी 20 मैच था। ग्लेन मैक्सवेल भी इस टूर्नामेंट में शांत रहे। वही मैक्सवेल जो आईपीएल के दौरान यूएई में गेंदबाज़ी आक्रमण को तहस-नहस कर रहे थे। इनमें से कोई भी खिलाड़ी ने इस विश्व कप में स्टार गेंदबाज़ या बल्लेबाज़ के जैसा प्रदर्शन नहीं किया। हालांकि इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा।
2016 में डेविड वॉर्नर को ओपनिंग नहीं करने के लिए कहा गया था। 2014 में बिग बैश लीग (बीबीएल) का शानदार सीज़न होने के बावज़ूद, हेज़लवुड टीम में नहीं थे। सेमीफ़ाइनल की जीत में मैथ्यू वेड के साथी मार्कस स्टॉयनिस थे, जिन्होंने हाल ही में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फ़िनिशर बनने के लिए प्रयास करने का फै़सला किया। ऑस्ट्रेलिया पिछले साल ही उनसे तीसरे नंबर पर बल्लेबाज़ी करवा रहे थे। स्टॉयनिस अपनी आईपीएल टीम, दिल्ली कैपिटल्स के आवश्यकता के कारण अंतिम ओवरों में बल्लेबाज़ी कर रहे थे।
ऑस्ट्रेलियाई टीम के सभी खिलाड़ी यह जानते हुए यूएई पहुंचे थे कि उनके पास बहुत प्रतिभा है, लेकिन टीम में उनकी भूमिका, रणनीति और योजना शायद उनके चिंता का विषय नहीं थी।
लेकिन जब मार्श ने ऐडम मिल्न की पहली गेंद का सामना किया जो शॉर्ट थी, उसे दर्शक दीर्घा में पहुंचाया, जो उनकी प्रतिभा पर मुहर लगाने जैसा था। यह टीम भले ही इत्तेफ़ाक से एक साथ खेल रही है लेकिन इस टीम में कुछ अविश्वसनीय खिलाड़ी मौजूद हैं।
कई बार ऑस्ट्रेलियाई टीम काफ़ी लकी भी रही। उन्होंने छह टॉस जीते और साथ ही छह मैच भी। पाकिस्तान के ख़िलाफ हार से शायद वह बस एक विकेट दूर थे। फ़ाइनल में वह एक ऐसी टीम से भिड़े जो मानसिक रूप से उनके ख़िलाफ़ उतने मज़बूत नहीं थे।
हालांकि इन सभी बातों के बावज़ूद आप इस टीम के खिलाड़ियों की प्रतिभा पर प्रश्न नहीं कर सकते हैं।
हेज़लवुड की टी20 में वापसी इसलिए हुई क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें सफ़ेद गेंद के गेंदबाज़ के रूप में टीम से बाहर रखा था। इसलिए उन्हें बीबीएल सहित कई बढ़िया टूर्नामेंटों का हिस्सा बनाया गया, और फिर उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) नीलामी में लाया गया। इस साल चेन्नई सुपर किंग्स के लिए अपने दूसरे सीज़न में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया।
इस तरह की प्रतिभा रखने वाले खिलाड़ी को अच्छा बनने के लिए वित्तीय अनिवार्यता देने और खेल खेलने के कुछ अनुभव ने वास्तव में उन्हें और बेहतर बनाया। हो सकता है कि वह कभी भी ऑल-टाइम टी20 महान न बन सकें, लेकिन इस टूर्नामेंट में कई बार उन्होंने निश्चित रूप से दिखाया कि उन्हें अभी भी बहुत कुछ सीखना है, ख़ासकर अंतिम के ओवर में।
उनके बुरे पलों में आप देख सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया कभी भी टी20 गेंदबाज़ के रूप में हेज़लवुड को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं था लेकिन हेज़लवुड अधिकांश गेंदबाज़ों की तुलना में ज़्यादा लम्बे और तेज़ हैं। वह अपनी विविधताओं पर काम कर रहे हैं, जिसमें एक नकल बॉल और एक अच्छा कटर भी शामिल है।

जैरड किंबर ESPNcricinfo में स्तंभकार हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है