आईपीएल 2023 में सुपर-संडे का पहला
मुक़ाबला आईपीएल इतिहास का 999वां मुक़ाबला था। यह ऐतिहासिक मुक़ाबला और भी ऐतिहासिक बन गया, जब पंजाब किंग्स ने चेन्नई सुपर किंग्स को आख़िरी गेंद पर हराया। पंजाब को आख़िरी गेंद पर तीन रन की ज़रूरत थी और
सिकंदर रज़ा ने डीप स्क्वेयर लेग पर गेंद को मोड़कर ये तीन रन प्राप्त कर लिए। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने उतरी चेन्नई की टीम ने
डेवन कॉन्वे के नाबाद 92 और
ऋतुराज गायकवाड़ व
शिवम दुबे की उपयोगी पारियों की बदौलत चार विकेट पर 200 रन का स्कोर खड़ा किया, जो कि चेन्नई की धीमी और स्पिनरों की मददगार पिच पर बड़ा माना जा सकता था। जवाब में पंजाब के बल्लेबाज़ों ने मैच में लगातार पीछे रहने के बावज़ूद भी हार नहीं माना और आख़िरी गेंद पर उन्हें एक रोमांचक जीत नसीब हुई। आइए देखते हैं खेल के सभी विभागों में किस टीम को कौन सा ग्रेड मिलता है।
चेन्नई (A) : बल्लेबाज़ी में चेन्नई के सलामी बल्लेबाज़ों ने हमेशा की तरह तेज़ शुरुआत की और पहले 10 ओवरों में 86 रन जोड़े। हर बार के विपरीत इस बार डेवन कॉन्वे आक्रामक मूड में थे, वहीं ऋतुराज गायकवाड़ ने उनके सहयोगी की भूमिका निभाई। हालांकि गायकवाड़ ही पहले आउट हुए और कॉन्वे पारी के अंत तक टिके रहे। यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि कॉन्वे अपना शतक नहीं पूरा कर सके और 92 पर नाबाद लौटे। गायकवाड़ का विकेट गिरने के बाद शानदार फ़ॉर्म में चल रहे शिवम दुबे ने कॉन्वे का बख़ूबी साथ दिया और सिर्फ़ 20 गेंदों में 44 रन जोड़े। बीच में चेन्नई के दो विकेट जल्दी-जल्दी गिरे लेकिन आख़िरी ओवर में महेंद्र सिंह धोनी ने दो छक्के लगाकर दर्शकों का ख़ूब मनोरंजन किया।
पंजाब (A+) : चेन्नई की तरह पंजाब के बल्लेबाज़ों ने भी तेज़ शुरुआत की थी और उनके 50 रन 4.1 ओवर में ही बन गए थे। लेकिन इसके बाद शिखर धवन का विकेट गिरा और फिर रवींद्र जाडेजा ने अपना जादू दिखाना शुरु कर दिया। बीच में लियम लिविंगस्टन और सैम करन ने हाथ खोलने की ज़रूर कोशिश की लेकिन उनके पास चेन्नई के तेज़ गेंदबाज़ों के बाउंसर और यॉर्कर का जवाब नहीं था। हालांकि अंत में जितेश शर्मा ने एक छोटी, निर्णायक और उपयोगी पारी खेली, जिसे सिकंदर ने मुकाम तक पहुंचाया। चूंकि पंजाब के बल्लेबाज़ चेन्नई के बल्लेबाज़ों पर 20 साबित हुए, इसलिए उन्हें ए+ ग्रेड दिया जाता है।
चेन्नई (A-) : शुरुआत में चेन्नई के तेज़ गेंदबाज़ों ने ख़राब लाइन-लेंथ से गेंदबाज़ी की और तेज़ रन दिए, लेकिन एक बार जब स्पिनर्स ख़ासकर रवींद्र जाडेजा आए तो उन्होंने पंजाब के बल्लेबाज़ों को बांध दिया। बीच में लिविंगस्टन और करन ने स्पिनरों को निष्प्रभावी करने की ज़रूर कोशिश की लेकिन फिर चेन्नई के तेज़ गेंदबाज़ों तुषार देशपांडे और मथीशा पथिराना ने अपनी तेज़ी का जादू दिखाना शुरु किया और दोनों पवेलियन में थे। इसके बाद तो पंजाब की वापसी लगभग मुश्किल ही लग रही थी, लेकिन तुषार देशपांडे ने दो वाइड और दो बाउंड्री के साथ एक कमज़ोर 19वां ओवर किया और पंजाब मैच में वापस थी।
पंजाब (A) : पंजाब के गेंदबाज़ों को इससे कम ग्रेड भी दिए जा सकते हैं, क्योंकि चेपॉक की पिच धीमी और स्पिनरों की मददगार मानी जाती है, लेकिन पंजाब का कोई भी गेंदबाज़ इसका फ़ायदा नहीं उठा पाया। उनके तेज़ गेंदबाज़ों ने स्लोअर और कटर गेंदों से बल्लेबाज़ों को परेशान करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी लाइन और लेंथ इतनी ख़राब थी कि चेन्नई के बल्लेबाज़ टूट पड़े। सामने बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को देखते हुए पंजाब के कप्तान शिखर धवन ने बाएं हाथ के ऑफ़ स्पिनर हरप्रीत बराड़ को गेंदबाज़ी के लिए नहीं उतारा, जबकि वह एक तेज़ गेंदबाज़ की जगह पर टीम में आए थे ताकि पिच का फ़ायदा उठा सके। पंजाब ने राहुल चाहर, सिकंदर रज़ा और लियम लिविंगस्टन जैसे स्पिन गेंदबाज़ों को तो आजमाया लेकिन कोई भी कुछ ख़ास प्रभाव नहीं डाल सका। नतीज़ा सबके सामने था, धीमी पिच पर 200 रन।
चेन्नई (A), पंजाब (A+) : लियम लिविंगस्टन और अजिंक्य रहाणे के एक-एक कठिन कैच को छोड़ दिया जाए तो दोनों टीमों ने क्षेत्ररक्षण में कुछ ख़ास ग़लतियां नहीं की, बल्कि चेन्नई के सब फ़ील्डर शेख़ राशिद ने अंतिम समय में एक जबरदस्त कैच लपका। हालांकि जब रणनीति की बात हो तो धोनी को कौन मात दे सकता है। पंजाब ने अपने बाएं हाथ के ऑफ़ स्पिनर हरप्रीत को इस हिसाब से ही टीम में जगह दी थी कि वह स्पिन की मददग़ार पिच का फ़ायदा उठाएंगे, लेकिन धोनी ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए पहला विकेट गिरने के बाद अपने नियमित नंबर तीन अजिंक्य रहाणे की जगह बाएं हाथ के शिवम दुबे को बल्लेबाज़ी के लिए भेजा। इसके बाद कोई भी विकेट गिरा, सामने एक बाएं हाथ का ही नया बल्लेबाज़ नज़र आया। इसका नतीज़ा यह हुआ कि हरप्रीत अपने कोटे के चार ओवर में से एक भी ओवर नहीं कर सके।
दूसरी तरफ़ पंजाब ने भी अपने बाएं हाथ के बल्लेबाज़ सैम करन को सिकंदर रज़ा और जितेश शर्मा जैसे बल्लेबाज़ों से ऊपर भेजा ताकि मोईन अली और रवीद्र जाडेजा को रोका जा सके। मोईन अली तो रूके, लेकिन जाडेजा की गेंदबाज़ी जारी रही। हालांकि उनकी यह रणनीति अधिक काम नहीं आई और जाडेजा पर दो छक्का लगाकर करन, मथीशा पथिराना के सटीक यॉर्कर का शिकार हुए। हां, इसका एक फ़ायदा पंजाब को हुआ कि मोईन अली ने अपने कोटे का सिर्फ़ एक ओवर डाला और पहले से ही काफ़ी महंगे साबित हुए देशपांडे को चार ओवर करने के लिए डेथ ओवरों में वापस आना पड़ा। यही ओवर पंजाब के लिए निर्णायक साबित हुआ।