अहमदाबाद में
विश्व कप फ़ाइनल में मिली हार के बाद भारतीय टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने साफ़ कहा कि भारत ने 30-40 रन कम ज़रूर बनाए लेकिन ऐसा मिडिल ओवर्स में रक्षात्मक अप्रोच अपनाने की वजह से नहीं हुआ।
द्रविड़ ने मैच के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, "मैं इससे सहमत नहीं हूं कि हमने भय के साथ खेला। पहले 10 ओवर में हम 80 रन बना चुके थे। हम विकेट गंवा चुके थे और जब आपके विकेट गिरते हैं तो रणनीति को भी बदलना पड़ता है।"
रोहित शर्मा की 31 गेंदों पर खेली गई 47 रनों की पारी की बदौलत भारतीय टीम ने पहले पावरप्ले के अंत तक 80 रन बना लिए थे लेकिन इसके बाद भारतीय पारी में सिर्फ़ चार बाउंड्री आईं और टीम स्कोरबोर्ड पर 240 रन ही खड़ा कर पाई।
द्रविड़ ने कहा, "हम फ़ाइनल में किसी भी तरह के भय के साथ नहीं खेले। मिडिल ओवर्स में उन्होंने अच्छी गेंदबाज़ी की और हम तीन विकेट भी गंवा चुके थे। इसलिए उस समय संभलकर बल्लेबाज़ी करना ज़रूरी था और जब भी हम आक्रमण करने की सोच रहे थे हम विकेट गंवा दे रहे थे। जब आप विकेट गंवाते है तो आपको फिर से पारी का निर्माण करना होता है इसलिए इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता कि हम रक्षात्मक अप्रोच के साथ क्रिकेट खेल रहे थे।"
ऑस्ट्रेलिया ने सात ओवर और छह विकेट शेष रहते ही मैच को जीत लिया लेकिन द्रविड़ ने कहा कि अगर भारतीय टीम ने स्कोरबोर्ड पर 30-40 रन अधिक बनाए होते तो खेल अलग तरह से चला होता।
द्रविड़ ने कहा, "ऐसा लगा जैसे गेंद दोपहर के समय रुककर आ रही है और शाम के समय पिच बल्लेबाज़ी के लिए आसान हो गई। हम स्ट्राइक रोटेट करने में तो सफल हो रहे थे लेकिन बाउंड्री नहीं निकाल पा रहे थे। अगर हमने 280-290 रन बनाए होते तो ऑस्ट्रेलिया के 60 पर 3 होने के बाद स्थिति एकदम अलग होती।"
रविवार को मिली हार पिछले 13 महीनों में आईसीसी नॉक आउट में भारत की तीसरी हार है। टी20 विश्व कप सेमीफ़ाइनल, विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल के बाद अहमदाबाद में भी भारत ट्रॉफ़ी से चूक गया। हालांकि द्रविड़ ने रोहित की कप्तानी का बचाव किया।
द्रविड़ ने कहा, "मुझे लगता है कि वह एक बेहतरीन कप्तान हैं और जिस तरह से उन्होंने टीम का नेतृत्व किया है वह प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होंने ड्रेसिंग रूम में साथी खिलाड़ियों को अपनी काफ़ी ऊर्जा और समय दिया है। कई योजनाएं बनाई गईं, कई रणनीतियों पर विचार किया गया और वह उसका हिस्सा रहे। और उनकी बल्लेबाज़ी भी, उन्होंने हमारे लिए टोन सेट किया, वह सकारात्मक रवैए के साथ क्रिकेट खेलना चाहते थे। एक व्यक्ति और लीडर के तौर पर उनकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।"
द्रविड़ ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को मेडल वितरित किए जाने के दौरान ही प्रेस वार्ता रूम की ओर अग्रसर हो गए थे। उन्होंने यह स्वीकारा कि ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ी भावुक हो गए थे।
द्रविड़ ने कहा, "ड्रेसिंग रूम में भावुक माहौल था और एक कोच के तौर पर यह देखना काफ़ी मुश्किल था क्योंकि मुझे पता है कि इन लोगों ने कितनी मेहनत की थी उन्होंने कितना त्याग किया है। लेकिन यह खेल है और हम इन चीज़ों से सीखेंगे। एक स्पोर्ट्समैन के तौर पर आप यही करते भी हैं। उतार और चढ़ाव दोनों ही खेल का हिस्सा हैं और आपको रुकना नहीं होता है।"