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कार्तिकेय का फ़ैक्ट्री से फिरकी तक का सफ़र

मुंबई इंडियंस के युवा मिस्ट्री स्पिनर की कहानी

Kumar Kartikeya in action during an intra-squad practice game, Dy Patil, Navi Mumbai, May 3, 2022

कार्तिकेय ने अपने पहले ही मैच में संजू सैमसन का विकेट लिया था  •  Mumbai Indians

बाएं हाथ से सब कुछ।
यह था विवरण मुंबई इंडियंस के नए स्पिनर कुमार कार्तिकेय सिंह का। आपने कार्तिकेय को अपने पहले ही मैच में सब कुछ करते देखा होगा। रिस्ट स्पिन, गूगली, फिंगर स्पिन और यहां तक कि उन्होंने कैरम बॉल भी डाला। लेकिन आप शायद यह नहीं जानते होंगे की छह महीने पहले तक वे सिर्फ़ एक फिंगर स्पिनर थे। उनके कोच संजय भारद्वाज ने ईएसपीएनक्रिकइंफो को बताया कार्तिकेय ने टी20 में सफल होने के लिए खुद से ही अभ्यास कर-कर के खुद को एक रिस्ट स्पिनर भी बना लिया।
यही जुनून आज से करीब नौ साल पहले 15 साल के कार्तिकेय को भारद्वाज की क्रिकेट अकादमी में कानपुर को छोड़ दिल्ली ले आया था। घर से वह यह वादा कर के आए थे कि पीएसी में सिपाही की नौकरी करने वाले अपने पिता पर वह वित्तीय बोझ नहीं डालेंगे। दिल्ली में जानते थे तो सिर्फ़ एक दोस्त राधेश्याम को जो क्रिकेट खेलता था। राधेश्याम उन्हें कई जगह लेकर गए ताकि उन्हें डीडीसीए की लीग खेलने का मौक़ा मिले लेकिन हर अकादमी ने उनसे भारी फीस की मांग रखी।
जब दोनों ने भारद्वाज को अपनी स्थिति साफ़-साफ़ बताई तो उन्होंने कार्तिकेय को नेट में बॉल डालने का मौक़ा दिया। उनके लिए सिर्फ़ गेंद देखना काफ़ी था। भारद्वाज ने कहा, "उसकी गेंदबाज़ी का एक्शन बहुत स्मूथ था और उंगलियों का बहुत अच्छा इस्तेमाल करता था, मुझे बस उसकी यही ख़ूबी भा गई।"
कोचिंग का इंतज़ाम तो हो गया मगर खाना और रहना कार्तिकेय को खुद को देखना था। कार्तिकेय ने अकादमी से कुछ 80 किमी दूर ग़ाज़ियाबाद के बगल में मसूरी में एक फ़ैक्ट्री में मज़दूरी शुरू कर दी। रहने के लिए कमरा भी वहीं मिला। रात भर मज़दूरी करते फिर सुबह-सुबह कोचिंग के लिए जाते। कई किलोमीटर पैदल चलते ताकि बिस्कुट के लिए 10 रुपये बच जाएं।
जब भारद्वाज ने देखा की वह इतना सफ़र करता है तो उन्होंने पूछा कि वह इतनी दूर क्यों रहता है। तब कार्तिकेय ने फ़ैक्ट्री की नौकरी के बारे में बताया। भारद्वाज ने कार्तिकेय से कहा की वह उनके कुक के साथ रह सकता है जिसको अकादमी में ही कमरा मिला हुआ था। अब कार्तिकेय अपना पूरा ध्यान सिर्फ़ अपनी क्रिकेट में लगा सकता था।
भारद्वाज को कार्तिकेय का अकादमी में रहने का पहला दिन बहुत अच्छी तरह याद है। "जब हमारे कुक ने उसको दोपहर का खाना दिया तो वह रो पड़ा। उसने एक साल से दोपहर का खाना नहीं खाया था।"
फिर भारद्वाज ने उनका स्कूल में दाखिला करा दिया। कार्तिकेय ने स्कूल नेशनल खेला और डीडीसीए लीग में 45 विकेट चटकाए। दिल्ली के प्रसिद्ध टूर्नामेंट ओम नाथ सूद सहित तीन टूर्नामेंट में वह प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट बने लेकिन ​डीडीसीए का जब ट्रायल दिया तो उसको 200 बच्चों में भी नहीं रखा गया। भारद्वाज ने यह पिक्चर पहले देखी हुई थी। गौतम गंभीर के कोच रह चुके भारद्वाज ने ही अमित मिश्रा को हरियाणा भेजा था क्यूंकि वह भांप गए थे कि दिल्ली में उनकी कला का कदर नहीं होगी। उनको कार्तिकेय की स्थिति में भी वही नज़र आया।
इस दफ़ा उन्होंने कार्तिकेय को मध्य प्रदेश भेज दिया। भारद्वाज ने कहा, "मैंने इसकी क़ाबिलियत को देखते हुए अपने दोस्त और शेडहाल क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अजय द्विवेदी से कार्तिकेय के बारे में बात की। वह वहां गया और दो साल वहां से डिवीज़न क्रिकेट खेला और हर साल इसने 50-50 विकेट ली।"
मध्य प्रदेश के ट्रायल मैचों में कार्तिकेय ने हर पारी में पांच-पांच विकेट लिए। नवंबर 2018 में कार्तिकेय को मध्‍य प्रदेश की अंडर 23 टीम में चुना गया और इसी महीने में उन्‍होंने रणजी ट्रॉफी में डेब्‍यू कर लिया। यह पहला और आख़िरी दिन था जब भारद्वाज की कार्तिकेय के पिता से बात हुई थी। साल 2018 में उन्होंने रणजी ट्रॉफ़ी में डेब्यू किया। कार्तिकेय का नया आशियाना अब भारद्वाज का भोपाल में स्थित हॉस्टल है।
यहीं अपने चालू क्रिकेट के अलावा कार्तिकेय ने चुप चाप रिस्ट स्पिन भी सीखना शुरू कर दिया। उनकी गेंदबाज़ी में कंट्रोल को देखकर डैनियल वेटोरी जैसे दिग्गज स्पिनर भी प्रभावित हो गए। हम भले ही हैरान हों की छह महीने पहले तक वह सिर्फ बाएं हाथ के ऑर्थोडॉक्स (उंगली के सहारे गेंद को घुमाने वाले) स्पिनर थे मगर भारद्वाज कतई हैरान नहीं है।
भारद्वाज ने बताया, "वह जब भी खाली होता है तो गेंदबाज़ी करने लगता है। कई बार वह इंदौर से रात में भोपाल के हॉस्टल पहुंचता तो रात में ही नेट में लाइट्स ऑन कर के गेंदबाज़ी शुरू कर देता है। उसके अंदर एक जुनून है जो पिछले नौ साल में सिर्फ़ बढ़ा है।"
आईपीएल के पहले ही मैच में संजू सैमसन का विकेट कार्तिकेय के खाते में आ गया है और आगे कई बड़े नाम भी उनके खाते में होंगे। अगर उन्हें इतनी जल्दी सफलता नहीं भी मिलती तो कोई बड़ी बात नहीं थी क्यूंकि यहां तक पहुंचने में उन्होंने इससे बड़ी बड़ी बाधाओं को पार किया है।

निखिल शर्मा ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर हैं। @nikss26