पिछले साल RCB की कप्तान
स्मृति मांधना के लिए WPL कुछ ख़ास नहीं रहा था और शुरुआती पांच मैचों में लगातार हार के बाद उनकी टीम प्ले ऑफ़ के दौर से बाहर थी। यह टूर्नामेंट उनके लिए भूलाने वाला था और वह टूर्नामेंट में एक भी अर्धशतक नहीं लगा पाई थी। इस बार वह एलीस पेरी के बाद टीम की दूसरी सर्वाधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी हैं और उनके नाम
ख़िताब है।
उन्होंने फ़ाइनल में 39 गेंदों में 31 रन बनाए और 114 रनों के छोटे से लक्ष्य को पाने में अपनी टीम की मदद की। जब वह आउट हुईं तो टीम को 30 गेंदों में सिर्फ़ 32 रनों की ज़रूरत थी और क्रीज़ पर पेरी और ऋचा घोष मौज़ूद थे।
मैच के बाद मांधना ने कहा, "मैं एक कप्तान के रूप में इस टीम पर गर्व करती हूं। इस दौरान कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन टीम एकजुट बनी रही, जिसे देखना बेहतरीन था। बेंगलुरू लेग हमारे लिए अच्छा गया था और हम पांच मैचों में वहां तीन मैच जीते थे। दिल्ली में हमें शुरुआती दो मैचों में हार का सामना करना पड़ा था, इसलिए हमारे अंतिम तीन मैच क्वार्टर फ़ाइनल, सेमी फ़ाइनल और फ़ाइनल की तरह थे। हमें सही समय पर अपने खेल के स्तर को ऊंचा उठाना था। ऐसे टूर्नामेंट में आपको सही समय पर उठना पड़ता है। शायद हम अपना सर्वश्रेष्ठ अंतिम मैचों के लिए बचाए रखे थे।"
पिछले साल पांच टीमों के बीच चौथे नंबर पर आने के बाद RCB ने ल्यूक विलियम्स को अपना प्रमुख कोच बनाया था, जो उनके लिए बहुत ही निर्णायक साबित हुआ। मांधना ने हंड्रेड टूर्नामेंट में सदर्न ब्रेव टीम के साथ रहते हुए विलियम्स के साथ काम किया था। उस टीम में सोफ़िया मोलिन्यू और जॉर्जिया वेयरहम भी थीं, जो अब RCB टीम की प्रमुख सदस्य हैं। मोलिन्यू ने ही दिल्ली को 64/0 से 64/3 लाने में मदद की थी।
मांधना ने बताया, "पिछले साल के प्रदर्शन के बाद हमने बहुत कुछ सोचा था। हमारे लिए क्या ग़लत गया था, हमने इस पर बात की थी। टीम प्रबंधन ने मेरे विचारों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह तुम्हारी टीम है और इसे तुम अपने हिसाब से बनाओ। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। यह पूरी टीम और फ़्रैंचाइज़ी का ख़िताब है।"