मैच (10)
IPL (3)
County DIV1 (3)
County DIV2 (4)
फ़ीचर्स

राहुल चाहर : अगर मुझे भारतीय टीम में मौक़ा नहीं मिलता है तो यह मेरी ही ग़लती है

मौजूदा रणजी सीज़न में चाहर अच्छी गेंदबाज़ी करते हुए भारतीय टीम में वापसी करने का प्रयास कर रहे हैं

Rahul Chahar bowls, India A vs New Zealand A, 3rd unofficial Test, Bengaluru, 2nd day, September 16, 2022

इंडिया ए के लिए राहुल चाहर (फ़ाइल फ़ोटो)  •  Manoj Bookanakere/KSCA

पिछले 10 वर्षों के दौरान आर अश्विन और रवींद्र जाडेजा का प्रदर्शन इतना जबरदस्त रहा है कि भारत को अपने स्पिन आक्रमण की गहराई के बारे में चिंता करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी है। अभी भी ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय टीम मैनेजमेंट इस बारे में ज़्यादा कुछ विचार नहीं कर रही है। हालांकि दूसरी तरफ़ अश्विन और जाडेजा क्रमशः 37 और 35 वर्ष के हैं और ऐसे में यह लाज़मी है कि चयनकर्ताओं को जल्द ही टीम के स्पिन आक्रमण के बारे में काफ़ी सोच विचार करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
अगर उत्तर प्रदेश के सौरभ कुमार को छोड़ दें तो घरेलू क्रिकेट में ऐसे स्पिनरों की काफ़ी कमी है, जो अपने निरंतर प्रदर्शन के बलबूते पर भारतीय टेस्ट टीम का दरवाज़ा खटखटा रहे हैं। हालांकि राहुल चाहर भी अब उसी तरह के स्पिनरों की फ़ेहरिस्त में शामिल होना चाहते हैं, जिन्हें भारतीय टेस्ट टीम के अगले संभावित स्पिनर के तौर पर देखा जाए।
चाहर अभी सिर्फ़ 24 साल के हैं और पहले ही भारत के लिए एक वनडे और छह टी20 मैच खेल चुके हैं। लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर टेस्ट टीम में आने के लिए बहुत अधिक प्रथम श्रेणी क्रिकेट नहीं खेला है। हालांकि अब वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पूरा ध्यान देना चाहते हैं। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में ज़्यादा हिस्सा नहीं ले पाने का एक मूल कारण यह था कि वह पिछले कुछ समय से लगातार चोट का शिकार होते रहे हैं लेकिन इस बार वह मौजूदा रणजी सीज़न में योगदान देने के लिए काफ़ी उत्सुक थे।
हालांकि चोट के मामले में भाग्य अभी भी उनका साथ नहीं दे रहा है। पहले रणजी मैच के बाद उनका एक स्कैन कराया गया था, जहां उन्हें एक छोटी सी चोट का पता चला है और वह अब आगे के दो मैचों से बाहर हो गए हैं, ताकि उन्हें पूरा आराम मिल सके और वह अपनी चोट से वापसी कर सकें। हालांकि चाहर को अभी भी उम्मीद है कि वह इस सीज़न में वापसी करते हुए अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
चाहर उस पीढ़ी के क्रिकेटर हैं, जहां IPL जैसे टूर्नामेंट का बोलबाला है। वह भी IPL से ही उभरे हुए एक खिलाड़ी हैं लेकिन इस पीढ़ी के खिलाड़ियों पर अक्सर एक आरोप लगता है कि वे सिर्फ़ टी20 क्रिकेट को ही महत्व देते हैं।
ESPNcricinfo के साथ बात करते हुए चाहर ने कहा, "दीपक हुड्डा हमेशा कहते हैं, 'मैं अपनी ज़िंदगी की कहानी खु़द लिखूंगा।' उन्होंने मुझे सिर्फ़ यह सिखाया है कि अपना काम लगन से करना चाहिए। अगर मैं अधिक विकेट लेता हूं तो जाहिर तौर पर मुझे नोटिस किया जाएगा। और अगर नहीं कर पाता हूं तो मैं भारतीय टीम में शामिल होने का हक़दार नहीं हूं।"
हालांकि चाहर के मामले में भारतीय टीम में शामिल होने का रास्ता सिर्फ़ प्राप्त की गई विकेटों की संख्या से तय नहीं किया जा सकता। चोट ने उन्हें उनके करियर में काफ़ी परेशान किया है। 2016 में उन्होंने 16 साल के क्रिकेटर के रूप में अपनी छोटी-मोटी पहचान बना ली थी लेकिन 2018-19 के रणजी सीज़न में उन्होंने 10 मैचों 41 विकेट लिए और वहां से लोग उन्हें ज़्यादा जानने लगे। इसके बाद इंडिया ए के लिए पदार्पण मैच में ही उन्होंने श्रीलंका के ख़िलाफ़ लाल गेंद की दो मैचों 14 विकेट लिए। हालांकि इसके बाद उनकी करियर में चोट की एंट्री हुई।
जब वह फिर से फ़िट हो गए तो कोविड की मार पड़ी और 2020-21 रणजी सीज़न रद्द कर दिया गया। उन्होंने लॉकडाउन में अपने मानसिक स्वास्थ्य पर काम किया और लंबे समय तक गेंदबाज़ी करके खु़द को प्रथम श्रेणी क्रिकेट की कठिनाइयों के लिए फिर से तैयार किया। लेकिन जब 2022-23 सीज़न में पूरी ताक़त झोंकने का समय आया, तो उन्हें पीठ में दर्द हुआ जो बाद में स्ट्रेस फ़्रैक्चर के रूप में सामने आया। इसका मतलब साफ़ है कि अपने ब्रेकआउट सीज़न के बाद से लगभग साढ़े चार साल में चाहर ने केवल चार प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं। चाहर का मौज़ूदा सीज़न भी कुछ वैसा ही जा रहा है लेकिन वह चाहते हैं कि इस सीज़न में वह अपनी एक अलग छाप छोड़ें।
चाहर कहते हैं, ''लाल गेंद क्रिकेट हमेशा से मेरे लिए काफ़ी महत्वपूर्ण रहा है और जब भी मुझे मौक़ा मिला है, मैंने खेला है। लेकिन पिछले तीन वर्षों से मैं इसमें लगाताक शामिल नहीं हो पाया हूं। एक सीज़न में कोविड के कारण रणजी ट्रॉफ़ी नहीं खेली गई। उसके बाद मैं इंडिया ए के रेड-बॉल दौरे (साउथ अफ़्रीका) के दौरान घायल हो गया।"मेरी पीठ में स्ट्रेस फ़्रैक्चर हुआ था, जिसे ठीक होने में कम से कम दो से तीन महीने लगते हैं। ऐसा मेरे साथ दो बार हो चुका है, जिसके कारण मुझे रणजी ट्रॉफ़ी सीज़न छोड़ना पड़ा।"
पिछले हफ़्ते हरियाणा के ख़िलाफ़ रोहतक में खेले गए रणजी ट्रॉफ़ी का शुरुआती मैच सिर्फ़ 42 ही ओवरों का हो पाया था। इस मैच में चाहर ने अपने छह ओवरों में 22 रन देकर 2 विकेट लिए लेकिन उनके कंधे में चोट लग गई और वह अगले मैच से बाहर हो जाएंगे।
चाहर ने कहा, "जब आप चोट से बाहर हो जाते हो तो उसके कारण आपका दो से तीन महीना ख़राब हो जाता है। मानसिक रूप से ऐसा समय काफ़ी कठिन होता है। पहले 15-20 दिन तो ठीक-ठाक ही लगता है लेकिन उसके बाद पूरा माहौल बिगड़ने लगता है। हर दिन आप सोचते हैं कि 'क्या मैं आज थोड़ी गेंदबाज़ी कर सकता हूं।' "चोट से वापसी एक लंबी प्रक्रिया है और आपको रिहैब के दौरान बहुत धैर्यपूर्वक अपना समय व्यतीत करना होता है। मैं जानता हूं कि रिहैब उबाऊ है, लेकिन यह एक ज़रूरी प्रक्रिया है। आप चाहकर भी बहुत कुछ नहीं कर सकते। पिछले साल रिहैब के दौरान मुझे NCA में अपनी पीठ में दो से तीन बार इंजेक्शन भी लेने पड़े।"
चोटों से जूझने से पहले चाहर इंडिया ए और सीनियर टीम में भी नियमित खिलाड़ी बनने की राह पर थे। उन्होंने आईपीएल 2017 में राइजिंग सुपरजायंट्स के साथ शुरुआत की थी लेकिन उनको असली पहचान मुंबई की टीम में मिली। IPL 2019 में उन्होंने 13 मैचों में 13 विकेट लिया। इसके बाद उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया गया और अगस्त 2019 में वेस्टइंडीज़ के उनका टी20आई डेब्यू हुआ।
चाहर के लिए IPL 2020 और 2021 का सीज़न भी प्रभावशाली रहा था और वह इंडिया ए सेट-अप के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे। उन्होंने युज़वेंद्र चहल की जगह पर भारत की 2021 टी20 विश्व कप टीम में जगह भी बनाई। मैनेजमेंट चाहता था कि उन्हें एक ऐसा लेग स्पिनर मिले, जो हवा में तेज़ी से गेंद फेंकते हुए गेंद को टर्न कराता हो। चाहर को लंबा रन नहीं मिला और भारत के टूर्नामेंट से जल्दी बाहर होने से स्थिति और भी कठिन हो गई। हालांकि भारत के लीग स्टेज से ही बाहर हो जाने के कारण चाहर को ज़्यादा मौक़े नहीं मिले।
चाहर कहते हैं, "'जब मैं दो बार चोटिल हुआ तो मैं रणजी ट्रॉफ़ी नहीं खेल सका और फिर सीधे IPL में जाना पड़ा। चोट के कारण मेरे पास IPL की तैयारी के लिए कम समय था। दोनों IPL [2022 और 2023] सीज़न के लिए मेरे पास केवल एक से डेढ़ महीने का तैयारी का समय था। इससे पहले मैंने लगभग तीन महीने तक कोई भी क्रिकेट नहीं खेला था।
"मेरे लिए यह एक बड़ी समस्या थी क्योंकि एक गेंदबाज़ लय के साथ बेहतर होता जाता है। लेकिन अगर कोई चोट लगती है तो लय टूट जाती है और लय में वापस आने में समय लगता है। एक लेग स्पिनर पर एक बात हमेशा लागू होती है कि वह जितनी अधिक गेंदें फेंकता है, उसकी लय उतनी ही बेहतर होती है।"
हालांकि पिछले आठ महीने चाहर और राजस्थान के लिए काफ़ी बेहतर रहे हैं। उन्होंने 2023 में सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी भी जीता था। चाहर ने राजस्थान को 16 साल में पहली बार विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी फ़ाइनल में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और नौ मैचों में 15.72 के औसत से 18 विकेट लिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने गेंदबाज़ी के दौरान अपने एक्शन या लोड-अप के संबंध में कुछ बदलाव किया है?
चाहर कहते हैं, ''मुझे कुछ भी बदलने की ज़रूरत नहीं दिखी, लेकिन कभी-कभी मेरी पीठ की चोट के बाद मैं गेंद को छोड़ते समय ठीक से झुक नहीं पाता था। लेकिन अब पिछले आठ महीनों से सब कुछ ठीक है।"
चाहर को फ़िलहाल ऐसा लगता है कि उन्हें बहुत आगे की सोचने की कोई ज़रूरत नहीं है। उनका कहना है कि लगातार चोटों और छोटी-छोटी बातों की चिंता ने उन्हें वर्तमान में जीना सिखाया है।
चाहर कहते हैं, "हुड्डा के नेतृत्व में खेलना बहुत अच्छा रहा है। यह पहली बार था जब राजस्थान ने 16 वर्षों में विजय हज़ारे जीता था। ड्रेसिंग रूम का माहौल बहुत अच्छा रहा, हम एक परिवार की तरह हैं। इस सीज़न में मैंने जो सबसे बड़ा अंतर देखा है, वह यह है कि खिलाड़ी टीम के लिए खेल रहे हैं। पहले बहुत सारे खिलाड़ी सिर्फ़ अपने लिए खेल रहे थे।"

आशीष पंत ESPNcricinfo में सब ए़डिटर हैं