रोहित की बल्लेबाज़ी में इस बार क्या नया दिखा?
टीम में युवा बल्लेबाज़ों की उपस्थिति के कारण रोहित पर अधिक ज़िम्मेदारी थी और उन्होंने निराश नहीं किया
कार्तिक कृष्णास्वामी
12-Mar-2024
रोहित ने इस सीरीज़ में अलग अंदाज में बल्लेबाज़ी की • Associated Press
पिछले साल विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल रोहित शर्मा का 50वां टेस्ट था। वह उस मैच में भारत के शीर्ष सात में पांचवें सबसे अनुभवी सदस्य थे।
शनिवार को धर्मशाला में समाप्त हुआ टेस्ट रोहित का 59वां टेस्ट था और इन नौ टेस्ट में बहुत कुछ बदल गया और अब वह इस टेस्ट में दूसरे सबसे अनुभवी सदस्य थे। इसमें तीन खिलाड़ी ऐसे थे जिन्होंने इस सीरीज़ से पहले कोई टेस्ट नहीं खेला था और उनमें से एक पहले केवल चार टेस्ट खेला था।
भारत के लिए यह सीरीज़ बल्लेबाज़ी के नज़रिए से नए चेहरों वाली रही है। यशस्वी जायसवाल एक सीरीज़ में 700 से अधिक रन बनाने वाले सुनील गावस्कर के बाद दूसरे भारतीय बने। शुभमन गिल भी अभी युवा हैं। सरफ़राज़ ख़ान, ध्रुव जुरेल और देवदत्त पड़िक्कल ने पहला प्रभाव शानदार छोड़ा। एक और युवा रजत पाटीदार की किस्मत इतनी ख़राब रही कि उनके बारे में इतना ही लिखना काफ़ी होगा।
इर्द गिर्द युवा ऊर्जा और कप्तानी के प्रभाव के बीच रोहित की बल्लेबाज़ी सही दिशा में चली। उन्होंने सीरीज़ में 44.44 की औसत से 400 रन बनाए और जायसवाल, गिल और जै़क क्रॉली के बाद रन बनाने के मामले में चौथे नंबर पर रहे।
बल्लेबाज़ी की मुफ़ीद पिचों पर औसत इतना ध्यान नहीं खींचता है, लेकिन उनका 64.20 का स्ट्राइक रेट देखिए। वह इस मामले में भारतीय बल्लेबाज़ों में जायसवाल और सरफ़राज़ से ही पीछे थे। पहले 10 ओवरों में यह स्ट्राइक रेट 70.00 का हो जाता है। इस फ़ेज़ में यह बेन डकेट (81.10) से तेज़ नहीं है, लेकिन क्रॉली (68.72) और जायसवाल (63.09) से तेज़ जरूर है।
यह वह आक्रमकता नहीं थी जो रोहित ने पिछले साल के वनडे विश्व कप के दौरान पहले पावरप्ले में अपनाई थी, लेकिन अगर लाल गेंद की क्रिकेट को देखा जाए, तो यह आक्रमकता विशेष थी।
हैदराबाद में भारतीय टीम 231 रन का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई थी। चौथी पारी में कई बार ऐसा मौक़ा आया, जब भारतीय बल्लेबाज़ अपने सेल में चले गए और इंग्लैंड के स्पिनरों की लेंथ बिगाड़ने का कोई प्रयास नहीं किया। ESPNcricinfo के डाटा के अनुसार, यह अहम भी है क्योंकि हमारे स्कोरर्स हर गेंद की लेंथ को जज करते हैं। भारतीय बल्लेबाज़ों ने उस चेज में 172 गुड लेंथ गेंदों पर केवल 28 रन बनाए। जबकि इंग्लैंड ने इसकी तुलना में तीसरी पारी में 306 गेंद में 175 रन बनाए।
इंग्लैंड के बल्लेबाज़ ऑली पोप के नेतृत्व में लेंथ गेंद पर स्वीप और रिवर्स स्वीप लगा रहे थे। अधिक भारतीय बल्लेबाज़ इस तरह जवाब नहीं दे पाए। लेकिन रोहित ने जो 58 गेंद में 39 रन की पारी खेली उसमें वह पिच पर आगे निकले, स्वीप लगाई और जैक लीच पर लगातार दो गेंदों पर चौके लगाए।
पूरी सीरीज़ में यही रोहित का काम रहा है। राजकोट में पहले दिन की सुबह भारत का स्कोर 33 रन पर 3 विकेट था। वह खुशकिस्मत रहे कि टॉम हार्टली की गेंद पर बाहरी किनारा लेने के बाद जो रूट स्लिप में कैच नहीं ले पाए, उस समय वह 27 रन पर थे। उन्होंने 71 गेंदों में अर्धशतक लगाया और फिर 196 गेंद में 131 रन की पारी खेली।
धर्मशाला शायद इस सीरीज़ में एक ऐसा मौक़ा था जब रोहित की लंबी पारी के साथ भारत ने एक प्रभुत्व स्थापित किया और उसको आगे बढ़ाया। यह कुछ मायनों में उनकी सबसे सीधी पारी थी, अच्छी बल्लेबाज़ी परिस्थितियों में समय बिताने और एक ऐसे आक्रमण का सामना करने का परिणाम था जो विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण नहीं था। इसने भारतीय प्रशंंसकोंं को परिस्थिति या हालात की चिंता किए बैगर उनकी बल्लेबाज़ी का लुत्फ़ लेने का मौक़ा दिया। आप आसानी से रोहित के शॉट देख सकते हैं और दूसरे एंड पर गिल के, जो तुरंत आपकी आंखों के सामने आ जाएंगे। एक मार्क वुड पर जब उन्होंने कवर प्वाइंट पर बैकफु़ट ड्राइव लगाई थी, फ़ाइन लेग पर वह हुक से छक्का, लांग लेग और डीप स्क्वेयर लेग होने की वजह से उनका पीछे हटकर मिडऑफ़ की ओर थप्पड़ जड़ना।
इससे पहले रांची में चौथी पारी में हैदराबाद की ही तरह भारतीय टीम मुश्किल में थी और रोहित का सेट अप मायने रखता था। वह आगे निकलते थे और एलबीडब्ल्यू के रिस्क को कम कर देते थे। उन्होंने इंग्लैंड के स्पिनरों की लेंथ को बिगाड़ा और इस वजह से उन्होंने कुछ फुल टॉस करनी शुरू कर दी। तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ भी उन्होंने बेहतरीन शॉट खेले, उनमें से एक जेम्स एंडरसन की गुड लेंथ गेंद पर वाइड लांग ऑन पर लगाया गया उनका पिकअप शॉट था।
दायें हाथ के बल्लेबाज़ अक्सर ऑफ़ स्पिनरों या दायें हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों के ओवर द विकेट आने पर ऑफ़ स्टंप पर खड़े होते हैं जिससे एलबीडब्ल्यू को समीकरण से बाहर किया जा सके। लेकिन ऐसा कभी नहीं सुना होगा कि बायें हाथ के स्पिनर के राउंड द विकेट आने पर ऑफ़ स्टंप गार्ड लिया गया हो, क्योंकि वे गेंद को सीधा रखकर स्टंप टू स्टंप गेंद कर सकते हैं। ऑफ़ स्टंप पर खड़े होने की वजह से बल्लेबाज़ इस लाइन की गेंद को एक्रॉस खेलने पर मजबूर करती है और इससे आउट होने के चांस बढ़ते हैं। और फिर भी यह रोहित थे जो हार्टली को लगातार पैड और स्टंप में गेंद करने हिम्मत दे रहे थे।
इसका विरोधी टीम के गेंदबाज़ हार्टली पर प्रभाव पड़ा। गेंदबाज़ों के सामने दो प्वाइंट होते हैं स्टंप्स और बल्लेबाज़ और हार्टली की लाइन बल्लेबाज़ की पॉज़िशन की वजह से बदल गई। वह ऑफ़ स्टंप के बाहर गेंद करने लगे और नीची बाउंस वाली पिच पर एलबीडब्ल्यू और बोल्ड का समीकरण बाहर हो गया।
55 रनों पर स्टंप्स होने से पहले रोहित ने अनुभवहीन गेंदबाज़ पर मनोवैज्ञानिक मास्टरक्लास देखने को मिली। उन्होंने पोस्ट मैच पत्रकार वार्ता में हालांकि कहा कि उन्होंने कई सारी इस तरह की चीज़ की हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यहां तक की पता नहीं था कि वह ऑफ़ स्टंप पर बल्लेबाज़ी कर रहे थे, जब तक कि उन्होंने पारी के बाद अपनी फ़ुटेज नहीं देखी। यह मुमकिन हो सकता था कि वह उसी स्टांस के स्पॉट पर बल्लेबाज़ी कर रहे होंगे जहां उन्होंने इसी एंड पर ऑफ़ स्पिनर शोएब बशीर पर लिया था।
रोहित ने कहा, "सच कहूं तो मैं यह नहीं जानता था। मैं यह नहीं जानता था जब तक कि मैंने स्क्रीन पर रिप्ले नहीं देखा कि मैं ऑफ़ स्टंप पर बल्लेबाज़ी कर रहा हूं क्योंकि वहां पर बहुत सारे फु़टमार्क थे, मैं ऑफ़ स्टंप पर बल्लेबाज़ी नहीं करना चाहता था।"
"मैं गेंद के बायीं ओर रहना चाहता था और तब बायें हाथ के स्पिनर को खेलना चाहता था, लेकिन ऑफ़ स्पिनर के ख़िलाफ़ मैं क्रीज़ पर थोड़ा इधर उधर मिडिल स्टंप, ऑफ़ स्टंप पर रहना चाहता था और जिससे वह सोचने पर मजबूर हो।"
रोहित यह उस अनुकूलनशीलता के कारण कर पाते हैं जो उन्होंने अतीत में बार-बार दिखाई है। उनका घरेलू रिकॉर्ड उतना ही अच्छा है। उनका 61.58 की औसत भारत में कम से कम 2000 टेस्ट रन बनाने वाले सभी बल्लेबाज़ों में सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि उन्होंने घरेलू परिस्थितियों में पेश होने वाली विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए कई तरीके़ ढूंढ लिए हैं। उन्होंने अपने डिफ़ेंस पर भरोसा किया और 2019 में रांची में 212 रन की पारी के समय कैगिसो रबाडा के दो आक्रामक शुरुआती स्पैल से बचे। 2021 में चेन्नई में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 161 रन बनाने के दौरान उन्होंने स्वीप और स्लॉग-स्वीप का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया, लेकिन उन शॉट्स को लगभग पूरी तरह से टाल दिया जब उन्होंने पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ नागपुर में 120 रन बनाए थे।
इस सीरीज़ ने रोहित को चुनौतियों का एक और विविध सेट पेश किया, ऐसे समय में जब उनसे उम्मीद की जा रही थी कि वह भारत के अब तक के सबसे कम अनुभवी बल्लेबाज़ी लाइन-अप में से एक को लेकर चलेंगे। वह उनके माध्यम से उस तरीके़ से आया जैसा हम उम्मीद करते आए हैं, लेकिन यह सोचकर मूर्ख मत बनिए कि उसने जो किया वह उनका रूटीन था।
कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।