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पुराने वाले सीएसके के हीरो टीम को फ़ाइनल तक ले जाने के लिए एक बार फिर से मैदान पर थे

भले ही समय ने पुराने वाले धोनी को हमसे छीन लिया है लेकिन कल सालों पहले वाला धोनी हमारे बीच था।

MS Dhoni goes for the big one, Delhi Capitals vs Chennai Super Kings, IPL 2021 Qualifier 1, Dubai, October 10, 2021

कैपिटल्स के ख़िलाफ़ गेंद को दर्शक दीर्घा तक पहुंचाते हुए धोनी  •  BCCI

चाल बिलकुल वैसी ही है। धीमी और ठहराव के साथ। बल्ला उनके पीछे। बूढ़ा शेर एक बार फिर शिकार पर है। बस इतनी सी बात है कि वह अब जंगल के राजा नहीं रहे। और उन्होंने ख़ुद मैच के बाद कहा, "इस टूर्नामेंट में मैंने कुछ ख़ास नहीं किया था।"
पहली गेंद पर आवेश ख़ान उन्हें बीट करते हैं। अपने आप में यह सिर्फ़ एक लम्हा है लेकिन इसमें एक बड़ी कहानी छुपी हुई थी।
पिछले कुछ सीज़न में उन पर उस चीज़ का साफ़ असर दिखाई दे रहा है जो अच्छे-अच्छों को नहीं छोड़ता। काल। समय और उम्र के चलते उनकी बल्लेबाज़ी का भी रूप बदल चुकी है। वह लंबे बाल रखने वाला युवक बड़े सपने देखता था और उन्हें साकार भी कर लेता था। उसके बड़े शॉट्स की गूंज आज भी आपके रौंगटे खड़ी कर देती है। उन दिनों वह अजेय थे।
गेंदबाज़ों को तो कुछ ऐसा ही लगता था। ऐसी परिस्थितियों से वह प्रेरणा लेते थे। इन्हीं लम्हों में वह लीजेंड बने। और फिर उनकी उम्र बढ़ने लगी।
काल। यह हर व्यक्ति पर असर डालता है। आप का मन दृढ़ रहता है लेकिन काल को हराना मुश्किल हो जाता है।
10 अक्तूबर 2021। उनसे परिचय हुए लगभग 17 साल बीत चुके हैं। लेकिन यह वो लड़का नहीं है? उनके चेहरे पर झुर्रियां और दाढ़ी में सफ़ेद बाल तो पहले तो इतने नहीं थे? जहां पहले पंच रहता था अब बस बल्ले का किनारा है। रक्षात्मक पुश ने हेलीकॉप्टर शॉट की जगह ले ली है।
आवेश ने अब तक भारतीय टीम के लिए एक भी मैच नहीं खेला है। ऐसे गेंदबाज़ की तो वह तोड़फोड़ कर देते थे। उनकी अनुभवहीनता इनकी सबसे बड़ी शक्ति बन जाती थी। इस मुक़ाबले का विजेता हमेशा निश्चित था।
उनका मन अभी भी स्थिर है। दृढ निश्चय भी पहले जितनी है। पर उनका शरीर पहले जैसा नहीं। ज़ाहिर सी बात है कि उनके रिफ़्लेक्स भी पहले से कमज़ोर हैं।
कई मैच आए और कई गए। वह अपनी गेम में बदलावों के साथ समझौता करना सीख रहे थे लेकिन बदबख़्त दुनिया इन कमज़ोरियों का फ़ायदा उठाने के नए तरीक़े खोज रहा था। स्लोअर गेंद की उनके बल्ले से संपर्क नहीं हो रही थी। तेज़ गेंदों ने उन्हें परेशान कर रखा था। स्पिन का कोई भी प्रारूप उन्हें ख़ामोश कर देता था। स्पिन के ख़िलाफ़ उन्होंने 10 पारियों में 95 के स्ट्राइक रेट से 96 रन बनाया था।
यह वह धोनी तो नहीं हैं लेकिन दर्शकों में उन्हीं का नाम छाया है।
आवेश फिर से आए और गए। मिडविकेट के ऊपर से सिक्सर। दर्शकों में वही उत्साह। गेंदबाज़ के चेहरे पर वही डर।
है तो यह वही धोनी। समय उनके लिए रुक कर उन्हें खेलने की आज़ादी दे रहा है।आवेश के बाद टॉम करन की बारी है। उन्हें भी हारना ही पड़ा। धोनी वापस आए और अपने टीम को एक और बार फ़ाइनल में खींच ले गए।
उनके आने पर चेन्नई सुपर किंग्स की जीत की संभावना 27% थी और छ: गेंदों में वह उसे 100% तक ले गए। मिडविकेट के ऊपरसे, एक्स्ट्रा कवर के पास से, फ़ाइन लेग में अंदरूनी किनारे से और स्कवायर लेग के बीचों-बीच। कुछ ऐसे ही वह फिर से नायक बने। लेकिन क्या यह बार-बार कैसे होता है?
उनका कहना है, "गेंद को देखो और गेंद को मारो। इस टूर्नामेंट में मैंने कुछ ख़ास नहीं किया था। लेकिन अगर आप नेट्स में अच्छी बल्लेबाज़ी कर रहे हैं तो आपको बस यही सोचना है कि गेंदबाज़ क्या करने की सोच रहा है। अगर आप बहुत कुछ सोचने लगेंगे तो बॉल देखना मुश्किल हो जाएगा।"
उन्होंने ऐसी बल्लेबाज़ी कई दिनों बाद की थी और इसका प्रभाव क्रिकेट जगत में दिखा।
सुनील गावसकर ने कहा, "बतौर कप्तान वह अंत तक रहना चाहते थे। भले ही उनका फ़ॉर्म अच्छा नहीं थे लेकिन जैसे शॉट्स उन्होंने मारे उसकी तारीफ़ की जानी चाहिए। उन्होंने ज़रूरत के वक़्त अपने टीम को जीत दिलाई।"
मैथ्यू हेडेन का कहना था, "मैं बहुत ख़ुश हूं। आज मेरे चेहरे पर सुबह से मुस्कान छाई है। नंबर सात एक महान नंबर है। इसके साथ एक ज़िम्मेदारी जुड़ी है जिसे आज उन्होंने बहुत ख़ूबसूरती से निभाई।"
रिकी पोंटिंग ने कहा, "एक वक़्त था जब हम डगआउट में बातचीत कर रहे थे कि अगले नंबर पर वह आएंगे या जाडेजा। मुझे तभी लगा कि शायद वही आएंगे और नैया पार लगाएंगे। उनका खेल जीवन ख़त्म होने पर उन्हें इस गेम का सबसे बेहतरीन फ़िनिशर ज़रूर माना जाएगा।"
और स्टीवन फ़्लेमिंग बोले, "इन 20 ओवरों में काफ़ी बातचीत हुई। हम सोच ही रहे थे कि किस स्थिति में कौन सा खिलाड़ी सबसे बड़ा प्रभाव डाल पाएगा। लेकिन जब कप्तान कि आंखों में दिखता है कि वह जाना चाहते हैं और हमें पता है ऐसी परिस्थितियों में वह क्या कुछ नहीं कर चुके हैं तो मैं उन्हें रोकना नहीं चाहता।"
काल और समय उनपर हावी था। लेकिन आज पल भर के लिए वह हमारे बीच मौजूद थे। असली महेंद्र सिंह धोनी मौजूद थे।

अलगप्पन मुथुt ESPNcricinfo के सब एडिटर ने किया है। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड देबायन सेन ने किया है।