टेस्ट के बाद अब टी20 में भी यशस्वी के नाम शतक है • AFP/Getty Images
भारत ने उम्मीदों के अनुसार एशियाई खेलों के पुरुष क्रिकेट में अपने अभियान को जीत के साथ शुरू करते हुए सेमीफ़ाइनल में प्रवेश किया। हालांकि नेपाल के विरुद्ध 23 रनों की जीत कतई आसान नहीं थी। कप्तान ऋतुराज गायकवाड़ ने टॉस जीतकर बल्लेबाज़ी चुनी, लेकिन मजमा लूटा उनके साथ बल्लेबाज़ी करने आए यशस्वी जायसवाल (100 रन, 49 गेंदें, 8 चौके, 7 छक्के) के भारत के लिए संयुक्त रूप से चौथे सबसे तेज़ शतक ने। रिंकू सिंह (15 गेंदों पर 37 नाबाद) ने बढ़िया फ़िनिश करते हुए छोटे मैदान पर भारत को 202 के स्कोर पर भेजा।
जवाब में भारत की कसी हुई स्पिन गेंदबाज़ी के चलते नेपाल शुरुआत में पिछड़ रही थी, लेकिन दीपेंद्र सिंह ऐरी (15 गेंदों पर 32 रन) की पारी से नेपाल की अच्छी वापसी हुई। भारत के लिए रवि बिश्नोई (3/24) और आवेश ख़ान (3/32) सबसे सफल गेंदबाज़ रहे। भारत के लिए दोनों डेब्यू करने वाले खिलाड़ी, विकेटकीपर जितेश शर्मा और स्पिनर आर साई किशोर (1/25 और तीन कैच) ने भी प्रभावित किया।
क्या सही, क्या ग़लत?
भारत ने विकेट को जल्दी से भांपते हुए अपनी बल्लेबाज़ी में तेज़ सिंगल चुराने की अच्छी रणनीति को बरक़रार रखा। शीर्ष क्रम में जायसवाल और आख़िर में रिंकू की आतिशी बल्लेबाज़ी ने वह दिखाया जो इस छोटे ग्राउंड पर ज़्यादा करना होगा भारत को। भारत की फ़ील्डिंग और कैचिंग भी अच्छी रही।
तेज़ गेंदबाज़ी भारत के लिए कमज़ोर पक्ष दिखा। ऐसा लगा छोटे डाइमेंशन को देखते हुए भारतीय गेंदबाज़ अति विविधता की कोशिश में भटक गए। इस पर सेमीफ़ाइनल में बेहतर विपक्ष के ख़िलाफ़ बेहतरी लानी पड़ेगी।
यशस्वी जायसवाल, 10: एक चुनौतीपूर्ण पिच पर अच्छे बल्लेबाज़ से तीन अपेक्षाएं रहतीं हैं - पहला, कि आप के मन में स्पष्टता रहे। दूसरा, कि आप पिच और गेंदबाज़ी की गति को भांप ले। अंतिम में, आप अपने फ़ुटवर्क और शॉट के चयन से गेंदबाज़ों को ऐसे जगहों पर गेंदबाज़ी करने पर विवश करें, जहां से आपके लिए आसानी हो। इन तीनों मानदंडों पर जायसवाल की यह पारी तारीफ़ के क़ाबिल थी और उन्होंने बताया कि सपाट पिच पर वह रोहित शर्मा की सबसे तेज़ शतक (35 गेंदें) के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं।
ऋतुराज गायकवाड़, 7: जहां उनके युवा जोड़ीदार लंबे-लंबे छक्के लगा रहे थे, ऐसा लगा कि नेपाल के गेंदबाज़ अपनी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी भारतीय कप्तान ऋतुराज के सामने ही कर रहे थे। ऋतुराज फ़्रंटफ़ुट पर आने की कोशिश कर रहे थे लेकिन गति और उछाल में निरंतरता की कमी के चलते, ऐसा करना आसान नहीं था। फिर भी, उन्होंने विकेट पर टिककर अच्छा काम किया। उनकी कप्तानी, गेंदबाज़ी परिवर्तन, फ़ील्ड प्लेसमेंट और व्यक्तिगत क्षेत्र-रक्षण भी बढ़िया रही।
तिलक वर्मा, 4: बड़ी साझेदारी के बाद मैदान पर उतरना कभी भी आसान नहीं होता, ख़ास कर जब विकेट में गति और उछाल में दोहरापन हो। ऐसे में तिलक भी अपनी लघु पारी में कभी भी गति नहीं पकड़ पाए। हमेशा की तरह उनकी फ़ील्डिंग बढ़िया रही।
जितेश शर्मा, 6: बल्लेबाज़ी में जितेश भी तिलक की तरह जूझते रहे और एक बार अपनी ऊंगलियों पर गेंद लगने से थोड़े परेशान भी दिखे। लेकिन इसके बाद उन्होंने स्टंप के पीछे बढ़िया काम किया। ख़ास कर स्पिन गेंदबाज़ों को कीप करते हुए, लगातार टर्न और उछाल में दोहरापन को उन्होंने जिस आसानी से झेला, यह बताता है कि शायद वह तकनीकी रूप में भारत के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में एक हैं।
शिवम दुबे, 7: दुबे ने बल्ले से आख़िर के ओवरों में अच्छी बल्लेबाज़ी करते हुए कुछ बड़े शॉट लगाए, लेकिन गेंद से ऐरी ने उन के फ़िगर काफ़ी हद तक बिगाड़ दिए थे। शुरुआती ओवरों में उन्होंने फ़ील्डिंग में कुछ अच्छे प्रयास करके दिखाए।
रिंकू सिंह, 9: धीमी पिच पर जहां जायसवाल ने क़दमों के इस्तेमाल के फ़ायदे दिखाए, तो रिंकू का अप्रोच कुछ अलग था। उन्होंने क्रीज़ की गहराई का इस्तेमाल करते हुए गेंद को लेट खेला और शारीरिक शक्ति का पूरा उपयोग किया। उन्होंने फ़ील्डिंग में भी अपना भरपूर योगदान देते हुए बताया कि वह जल्दी ही सीनियर टीम का अहम हिस्सा बन सकते हैं।
साई किशोर, 9.5: गेंदबाज़ी में उनके साथियों ने भले ही अधिक विकेट निकाले, लेकिन डेब्यू कर रहे साई किशोर आज भारत के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ थे। उन्होंने पिच की गति को देखते हुए स्टंप लाइन पर लगातार प्रहार किया और केवल गति और लंबाई में सूक्ष्म परिवर्तन से बल्लेबाज़ों को परेशान किया। उन्हें एक ही विकेट मिली लेकिन उन्होंने किफ़ायती गेंदबाज़ी भी की और लगातार बल्लेबाज़ों को बीट किया। उन्होंने लगातार अपने कैचिंग के स्तर को भी लगातार बेहतरीन रखा।
वॉशिंगटन सुंदर, कोई अंक नहीं: दुर्भाग्यवश XI में खेलना और पर्याप्त मौक़ा ना मिलना सुंदर के साथ एक आदत सी बन गई है। हालांकि आज उन्हें गेंद थमाई गई थी लेकिन छोटे मैदान पर नियंत्रण की कमी के चलते उन्होंने एक क़ीमती ओवर फेंका और ऐसे में उन्हें दूसरा ओवर देना कप्तान के लिए कठिन बन गया।
रवि बिश्नोई, 8: बिश्नोई के नाम तीन विकेट ज़रूर आए लेकिन इसमें ज़्यादा बड़ा योगदान था दूसरे छोर पर साई किशोर द्वारा दिलाए गए दबाव पर। फिर भी 11वें ओवर में दो विकेट निकालकर उन्होंने मैच में भारत की पकड़ को मज़बूत कर दिया था।
आवेश ख़ान, 8: भारत के दो नई गेंद का उपयोग करने वाले तेज़ गेंदबाज़ों में आवेश ख़ान ने बेहतर प्रदर्शन दिखाया। शुरुआती स्पेल में उन्होंने गति से बल्लेबाज़ों को रोकने की कोशिश की और फिर पुरानी गेंद से विविधता के चलते कुछ विकेट निकाले।
अर्शदीप सिंह, 6.5: लगभग एक साल पहले अर्शदीप सिंह मेलबर्न में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों को स्विंग और उछाल से पटखनी दे रहे थे। इस पिच पर वह ज़्यादा विविधता लाने के चक्कर में सटीक दिशा और लंबाई ढूंढ़ने में असफल रहे। आख़िर में उन्हें दो विकेट भी मिले, लेकिन निचले क्रम के बल्लेबाज़ों ने भी उनकी गेंदबाज़ी पर काफ़ी रन लूटे। अर्शदीप आगे XI में रहेंगे, लेकिन उन्हें अपने स्विंग और यॉर्कर पर ज़्यादा भरोसा जताना होगा।