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ओवर स्पिन, अतिरिक्त उछाल और अति आक्रामकता : वरुण चक्रवर्ती के सफलता के मंत्र

भारतीय टीम में वापसी के बाद वरुण ने आठ मैचों में 11.70 की औसत से 20 विकेट लिए हैं

"भगवान मुझे उन चीज़ों को स्वीकार करने की शक्ति दें, जिन्हें मैं बदल नहीं सकता और उन चीज़ों को बदलने का साहस दें, जिन्हें मैं बदल सकता हूं। इसके अलावा वह इस अंतर को जानने की बुद्धि भी प्रदान करें।"
वरूण चक्रवर्ती क्रिकेटर के तौर पर एक दार्शनिक प्रतीत होते हैं। उन्होंने ऊपर लिखा हुआ कथन जून 2024 में अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया था, जब उन्हें विश्व कप के तुरंत बाद ज़िम्बाब्वे दौरे पर जगह नहीं मिली थी।
वह 2023-24 विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में 13.05 की अविश्वसनीय औसत के साथ संयुक्त रूप से सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे। इसके अलावा उन्होंने IPL 2024 में भी दूसरा सर्वाधिक विकेट लिया था और अपनी टीम KKR को ट्रॉफ़ी जिताई थी।
हालांकि जब बांग्लादेश की टीम भारत आई तो उन्हें भारतीय T20I टीम में जगह मिली, तबसे उन्होंने इसे अपना बना लिया है।
वरुण का मानना है कि वह टीम चयन जैसी चीज़ों को तो बदल नहीं सकते, लेकिन अपनी गेंदबाज़ी शैली को तो ज़रूर बदल सकते थे। वह पहले एक मिस्ट्री स्पिनर हुआ करते थे, जो अपने साइड स्पिन और कैरम बॉल पर बहुत निर्भर थे। लेकिन 2021 T20 विश्व कप के बाद जब उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया, उन्होंने अपनी गेंदबाज़ी शैली ही बदल ली।
जैसे-जैसे T20 क्रिकेट विकसित हुआ, वरुण ने भी अपनी शैली विकसित की। अब वह अपने ओवर स्पिन पर अधिक निर्भर हो गए। वरुण कभी भी गेंदों को अधिक टर्न करने के लिए नहीं जाने जाते थे, इसलिए उन्होंने टर्न को डिप, लेंथ और स्पीड से बदल लिया।
ओवर स्पिन में गेंदें अधिक डिप से आती हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त उछाल भी मिलता है। इस बदलाव से वरुण का भाग्य भी बदला। अब वह बल्लेबाज़ से दूर थोड़ी शॉर्ट गेंदें करने लगे और उन्हें अपनी उछाल से चुनौती देने लगे।
पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के बाद उन्होंने 55% गेंदें गुड लेंथ और 17% गेंदें शॉर्ट ऑफ़ गुड लेंथ पर फेंकी हैं। इस पर उन्हें अपने 20 में से 15 विकेट 8.4 की औसत से मिले हैं।
"अगर मुझे छक्का लग गया तो भी अगली गेंद पर मैं विकेट के लिए ही जाऊंगा।''
वरुण चक्रवर्ती
इंग्लैंड के ख़िलाफ़ कोलकाता के पहले T20I में वरुण इसी योजना के साथ उतरे। उन्होंने 24 में से 18 गेंदें गुड लेंथ पर कीं। इसके अलावा उन्होंने स्टंप पर आक्रमण किया, जिसके कारण हैरी ब्रूक और लियम लिविंगस्टन जैसे बल्लेबाज़ क्लीन बोल्ड हो गए। वहीं टिक कर खेल रहे इंग्लिश कप्तान जॉस बटलर को उन्होंने एक छोटी गेंद पर डीप स्क्वेयर लेग पर कैच कराया।
उन्होंने इस मैच में 23 रन देकर तीन विकेट लिए और इंग्लैंड की टीम 132 रनों पर ऑलआउट हो गई। जब वरुण गेंदबाज़ी मार रहे थे तो परिस्थितियां अलग ही दिख रही थी।
मैच के बाद ब्रॉडकास्टर से बात करते हुए वरुण ने कहा, "2021 विश्व कप के बाद मैंने अपनी गेंदबाज़ी का विश्लेषण किया और पाया कि मैं बहुत साइड स्पिन गेंदबाज़ी कर रहा हूं, जिस पर बल्लेबाज़ मुश्किल से ही बीट हो रहे हैं। मुझे लगा कि मुझे उन्हें बाउंस से बीट करना चाहिए, इसलिए मैं अपने ओवर स्पिन पर काम करने लगा। अगर गेंद अधिक बाउंस होगी तो मुझे अधिक स्पिन मिल सकता था।"
"वापसी के बाद मैंने अपनी गति में भी विविधता लाई। चूंकि मैं यहां IPL में बहुत अधिक गेंदबाज़ी कर चुका हूं, इसलिए मुझे पता था कि यहां स्पिन के लिए कौन सी मददग़ार लेंथ होगी। मैंने गेंद को बल्लेबाज़ों से दूर रखने की कोशिश की, इसलिए थोड़ी शॉर्ट गेंदबाज़ी की।"
वरुण की गेंदबाज़ी में एक और भी पैटर्न दिखता है। साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ सीरीज़ में जब हाइनरिक क्लासन, रीज़ा हेंड्रिक्स, एडन मारक्रम और डेविड मिलर जैसे बल्लेबाज़ों ने उन पर बाउंड्री लगाई, अगली गेंद पर वे आउट थे। कोलकाता में ब्रूक और बटलर के साथ भी कुछ ऐसा हुआ।
वरुण कहते हैं, "मैं हमेशा विकेट के लिए ही देखता हूं और कभी भी रक्षात्मक नहीं होता। अगर मुझे छक्का लग गया तो भी अगली गेंद पर मैं विकेट के लिए ही जाऊंगा। यही मुझको टीम प्रबंधन के द्वारा भी कहा गया है कि बस आक्रमण करो। जो मेरी गेंदबाज़ी को पकड़ पाते हैं, उनके लिए मेरे पास अलग योजना होती है और जो नहीं पकड़ पाते उनके लिए अलग।"
वरुण को जब पिछली बार भारतीय टीम में नहीं लिया गया था तो उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा था, "काश मेरे पास पीआर एजेंसी होती।" अब वरुण की गेंदबाज़ी देखकर लगता है कि उन्हें इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।

श्रेष्ठ शाह ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं. @sreshthx