पिछले सीज़न में कैसा था प्रदर्शन?
अपने पहले सीज़न में लखनऊ सुपर जायंट्स की टीम अंक तालिका में तीसरे स्थान पर था। एलिमिनेटर में वह रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के ख़िलाफ़
हारगए थे।
केएल राहुल (कप्तान), आवेश ख़ान, आयुष बदोनी, क्विंटन डिकॉक (विकेटकीपर), के गौतम, दीपक हुड्डा, प्रेरक मांकड़, काइल मेयर्स, अमित मिश्रा, मोहसिन ख़ान, नवीन उल हक़, क्रुणाल पंड्या, निकोलस पूरन (विकेटकीपर), रवि बिश्नोई, डेनियल सैम्स, करण शर्मा, रोमारियो शेफ़र्ड, मार्कस स्टोइनिस, स्वप्निल सिंह, जयदेव उनादकट, मनन वोहरा, मार्क वुड, मयंक यादव, यश ठाकुर, युद्धवीर सिंह
खिलाड़ियों की उपलब्धता - क्विंटन डिकॉक देर से टीम में होंगे शामिल
डिकॉक तीन अप्रैल को अपनी आईपीएल टीम के साथ जुड़ेंगे। साउथ अफ़्रीका और नीदरलैंड्स के बीच होने वाली वनडे सीरीज़ के कारण वह आईपीएल में देर से शामिल होंगे। इसका मतलब है कि एक अप्रैल को दिल्ली कैपिटल्स और तीन अप्रैल को चेन्नई सुपर किंग्स के ख़िलाफ़ वह टीम के लिए उपलब्ध नहीं होंगे।
लखनऊ की टीम में इस बार नया क्या है?
इस बार लखनऊ की टीम ने 16 करोड़ देकर पूरन को अपनी टीम में शामिल किया है। उनके टीम में आने से लखनऊ को एक और विकेटकीपिंग विकल्प मिल जाएगा।
इसके अलावा लखनऊ की टीम में जयदेव उनादकट भी हैं, जो हाल के दिनों में भारतीय टीम के साथ रहे हैं। मोहसिन ख़ान के चोटिल होने के बाद से वह टीम के लिए बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ की भूमिका निभा सकते हैं।
के गौतम, दीपक हुड्डा, क्रुणाल पंड्या, रोमारियो शेफ़र्ड, मार्कस स्टॉयनिस, डेनियल सैम्स और काइल मेयर्स जैसे ऑलराउंडर लखनऊ के लिए काफ़ी कारगर साबित हो सकते हैं। सात में से दो ऑलराउंडर ऑफ़ स्पिन करते हैं। वहीं एक बाएं हाथ का स्पिनर है, तीन दाएं हाथ के मध्यम तेज गेंदबाज़ हैं और एक बाएं हाथ का तेज़ गेंदबाज़ है।
उनादकट, सैम्स और मोहसिन के रूप में तीन तीन बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों के विकल्पों के अलावा टीम में मार्क वुड और आवेश भी हैं, जो तेज़ गेंदबाज़ी के बढ़िया विकल्प हैं। साथ ही उनका स्पिन गेंदबाज़ी विभाग भी काफ़ी विविधता प्रदान करता है।
लखनऊ की टीम में
के एल राहुल के अलावा और कोई अनुभवी भारतीय खिलाड़ी नहीं है। यह उनके लिए चिंता का विषय हो सकती है। उनकी टीम में घरेलू क्रिकेट के कई अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन अच्छे प्रदर्शन और निरंतरता के लिए उन्हें तैयार करने की ज़रूरत है।
पहले सात दिनों में लखनऊ को तीन मैच खेलने हैं, जिसमें लखनऊ से चेन्नई और वापसी की यात्रा शामिल है। उनके पहले छह मैच रात में खेले जाएंगे। ऐसे में ओस एक अहम भूमिका निभा सकती है। उन्हें यह पता लगाना होगा कि टॉस के बाद अपने प्लेइंग इलेवन घोषित करते समय नए नियमों का लाभ ज़्यादा से ज़्यादा कैसे उठाया जा सकता है।