"कई बार लोगों को लगता है कि अगर मैं IPL में अच्छे दाम पर बिक गया हूं तो मैं सिर्फ़ सफ़ेद गेंद की क्रिकेट पर फ़ोकस करूंगा, लेकिन ऐसा नहीं है। मुझे पता है कि अगर आपको भारतीय टीम में पहुंचना है और एक लंबा करियर बनाना है तो आपको ऑल फ़ॉर्मैट प्लेयर बनना पड़ेगा। इंडिया-ए के लिए चयनित होना मेरे लिए अच्छा मौक़ा है। मैं फ़िलहाल लगातार लाल गेंद की क्रिकेट (रणजी ट्रॉफ़ी) खेल रहा हूं और अच्छी लय में भी हूं। भारत के लिए खेलना मेरा सपना है और मैं इस मौक़े को सही तरह से भुनाकर भारतीय टीम के दरवाज़े खटखटाना चाहूंगा।"
ये बातें झारखंड के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज़
कुमार कुशाग्र ने कहीं। इंग्लैंड लायंस के ख़िलाफ़ सीरीज़ के लिए शनिवार को उनका
चयन इंडिया-ए टीम में हुआ। यह पहली बार हुआ है जब कुशाग्र को इंडिया-ए टीम से बुलावा आया है। अगले दिन ही सर्विसेज़ के ख़िलाफ़ रणजी मैच में
शतक लगाकर उन्होंने इसका जश्न मनाया। यह प्रथम श्रेणी मैचों में 19 वर्षीय बल्लेबाज़ का दूसरा शतक था।
कुशाग्र ने कहा, "हाल के समय में हम देख रहे हैं कि बहुत सारे खिलाड़ी अलग-अलग फ़ॉर्मैट के स्पेशलिस्ट बन रहे हैं। कोई लिमिटेड ओवर क्रिकेट का स्पेशलिस्ट है, तो कोई रेड बॉल क्रिकेट का। अगर आप तीनों फ़ॉर्मैट खेलने के लिए सोचते हैं तो उसके लिए अतिरिक्त मेहनत लगती है। इसके लिए आपको मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से मज़बूत होना पड़ता है। भारत के घरेलू सीज़न में आप दो महीने के भीतर ही तीनों फ़ॉर्मैट खेलते हैं और एक फ़ॉर्मैट से दूसरे फ़ॉर्मैट में स्विच करना भी आसान नहीं होता।
"एक विकेटकीपर के तौर पर तो यह और भी मुश्किल है। लेकिन मेरा सपना है कि मैं तीनों फ़ॉर्मैट में भारत का प्रतिनिधित्व करूं। तीनों फ़ॉर्मैट खेलने वाला खिलाड़ी अलग स्तर का ही होता है, आप विराट (कोहली) भैया, रोहित (शर्मा) भैया और (जसप्रीत) बुमराह भैया का उदाहरण देख ही सकते हो। अगर आप कम उम्र में भारतीय टीम में पहुंचते हैं तो आपका करियर लंबा हो जाता है और अगर कोई बड़ी चोट भी लगे तो वापसी थोड़ी आसान होती है। इसलिए मैं जल्द से जल्द भारतीय टीम में पहुंचना चाहता हूं," कुशाग्र ने आगे कहा।
आपको बता दें कि बीते दिसंबर हुई
IPL नीलामी में कुमार कुशाग्र को दिल्ली कैपिटल्स (DC) ने 7.2 करोड़ रूपये की एक बड़ी राशि से ख़रीदा था और तब उन्होंने सुर्ख़ियां बटोरी थीं। हालांकि कुशाग्र के दिमाग़ में अभी IPL नहीं बल्कि घरेलू क्रिकेट चल रहा है।
कुशाग्र ने कहा, "मुझे लगता है कि घरेलू सीज़न के बाद IPL की तैयारियों के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। इसलिए अभी मेरा फ़ोकस बस लाल गेंद की क्रिकेट ही है। मुझे उम्मीद थी कि मुझे साउथ अफ़्रीका दौरे पर भी इंडिया ए टीम में जगह मिलेगी, लेकिन उसमें नाम नहीं आया। अब जब नाम आया है तो मैं इसे भुनाने की पूरी कोशिश करूंगा।"
लाल गेंद की क्रिकेट में घूमती हुई भारतीय पिचों पर स्पिनरों को कीपिंग करना आसान नहीं होता है। यही कारण है कि साउथ अफ़्रीका दौरे पर टेस्ट मैचों में विकेटकीपिंग करने वाले केएल राहुल के लिए भी कई विशेषज्ञ और पूर्व विकेटकीपर सलाह दे चुके हैं कि उन्हें भारत में सिर्फ़ बल्लेबाज़ के तौर पर खेलना चाहिए। इसलिए इंग्लैंड के ख़िलाफ़ घरेलू सीरीज़ में उनके साथ केएस भरत और ध्रुव जुरेल को भी विकेटकीपर के तौर पर भारतीय दल में जगह मिली है।
हालांकि कुशाग्र इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वह अपनी घरेलू टीम झारखंड में भारत के लिए खेल चुके अनुभवी स्पिनर शहबाज़ नदीम की गेंदों पर कीपिंग का ख़ूब अभ्यास करते हैं। उन्होंने इसके लिए हालिया समय के भारत के दो सबसे बेहतरीन विकेटकीपरों ऋद्धिमान साहा और ऋषभ पंत से भी टिप्स ली है।
कुशाग्र ने बताया, "चाहे तेज़ गेंदबाज़ हों या स्पिनर्स, भारत में ख़ासकर लाल गेंद की क्रिकेट में उनके ऊपर विकेटकीपिंग करना आसान नहीं होता है, लेकिन मैं इसे अपने लिए 'कठिन' भी नहीं कहूंगा। अगर आपका लक्ष्य बड़ा है तो आपको मेहनत तो करनी ही पड़ती है। मुझे लगता है कि मैं सही रास्ते पर हूं और लगातार नई चीज़ें सीख रहा हूं ताकि भविष्य में और बेहतर कर सकूं।
"मैं देश के अलग-अलग विकेटकीपर्स से भी बात करता हूं। मुझे एक बार कोलकाता एयरपोर्ट पर ऋद्धिमान साहा मिल गए थे, तो उनसे मेरी कीपिंग को लेकर बात हुई थी। मैंने उनसे पूछा था कि भारतीय परिस्थितियों के लिए अपनी विकेटकीपिंग तकनीक में क्या-क्या सुधार किया जा सकता है। जब मैं NCA बेंगलुरु में था तो वहां रवींद्र जाडेजा भी थे, तो उनसे मैंने पूछा था कि स्पिनरों को विकेट के पीछे से कैसे टैकल किया जाए। उन्होंने मुझे बहुत सारी बातें बताई थीं, जो मैं यहां नहीं बता सकता। (हंसते हुए)"
कुशाग्र ने आगे बताया, "इसके अलावा DC कैंप के दौरान मैं ऋषभ (पंत) भैया से भी मिला था। उन्होंने मुझे बताया था कि कीपिंग तकनीक में किसी बड़े परिवर्तन के बिना भी छोटे-छोटे बदलावों से भी बड़ा सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने मुझे फ़ुटवर्क और ग्लववर्क के बारे में बहुत सारी बातें बताई थीं। इसके अलावा मैंने माही भाई (महेंद्र सिंह धोनी) को ही देखकर विकेटकीपिंग करना शुरू किया था, तो उनकी वीडियोज़ देखकर अब भी बहुत कुछ सीखता हूं।"