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झूलन के पदचिन्हों पर चलने वाली तितास साधु को है महिला प्रीमियर लीग से बड़ी उम्मीद

बंगाल की तेज़ गेंदबाज़ तितास ने हालिया अंडर-19 विश्व कप फ़ाइनल में प्लेयर ऑफ़ द मैच का ख़िताब जीता था

Titas Sadhu exults after trapping Emma McLeod in front, India vs New Zealand, Under-19 Women's T20 World Cup, semi-final, Potchefstroom, January 27, 2023

तितास साधु ने अंडर 19 महिला विश्‍व कप में शानदार प्रदर्शन किया था  •  ICC/Getty Images

आईसीसी विश्व कप के पटल पर भारतीय महिला टीम का फ़ाइनल मुक़ाबला चल रहा है। भारत को पहले गेंदबाज़ी करने को मिलती है। बंगाल से एक लंबे क़द की तेज़ गेंदबाज़ नई गेंद लेतीं हैं और सधी हुई गेंदबाज़ी करते हुए विपक्ष को बैकफ़ुट पर धकेल देतीं हैं।

भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए 29 जनवरी में ऐसा देखना कोई नई बात नहीं थी। यह अनुभव झूलन गोस्वामी ने 2005 में ऑस्ट्रेलिया और 2017 में इंग्लैंड के विरुद्ध 50 ओवर विश्व कप फ़ाइनल मैचों में दिलवाया है। हालांकि महिला क्रिकेट के पहले अंडर-19 विश्व कप फ़ाइनल में तितास साधु की गेंदबाज़ी ने ना सिर्फ़ इंग्लैंड को बैकफ़ुट पर धकेला, मानो उन्हें कुश्ती के मैट से बाहर उखाड़ फेंका। भारत की आसान जीत में तितास चार ओवर में 2/6 के विश्लेषण के साथ प्लेयर ऑफ़ द मैच भी रहीं।

ऑक्शन पर नज़र

पुरुष क्रिकेट में यह कोई नई बात नहीं कि अंडर-19 विश्व कप के तुरंत बाद उस टूर्नामेंट में सफल रहे खिलाड़ियों पर नज़रें रहतीं हैं। इसी बात से परिचित होकर तितास अब इसी महीने होने वाले विमेंस प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) ऑक्शन से पहले मेहनत कर रहीं हैं।

उनके गाइड और कोच हैं उनके पिता रणदीप साधु, जो कोलकाता से 50 किमी की दूरी पर स्थित चुचुड़ा में राजेंद्र स्मृति संघ नामक एक क्रिकेट क्लब चलाते हैं। अपनी बेटी के डब्ल्यूपीएल में संभावित चयन पर रणदीप कहते हैं, "एक खिलाड़ी के तौर पर आप अपने देश के लिए खेलते हैं [लेकिन] इस तरह की फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट में अपनी टीम के लिए खेलते हैं। दोनों में आप देखेंगे कि खिलाड़ियों का स्किल लेवल काफ़ी महत्वपूर्ण है। हालांकि जब आप डब्ल्यूपीएल जैसे लीग में खेलेंगे तो आपको बाहर के क्रिकेटरों के साथ खेलने का मौक़ा मिलता है। साथ ही कुछ ऐसे खिलाड़ियों के साथ खेलते हो, जिन्हें देखकर आप काफ़ी कुछ सीख सकते हैं। "मैं तिताश के लिए ख़ासकर के यह चाहता हूं कि उसे एक बढ़िया संतुलित टीम मिले और वहां अपनी क्षमताओं का विस्तार करने में क़ामयाब हो सके।"

ज़िन्दगी की दौड़ ने कहां पहुंचाया

क्रिकेट से जुड़ने से पहले तितास एक धावक और तैराक भी रह चुकी हैं लेकिन अपने परिवार की ही अकादमी में जब उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो वह अपने क्रिकेट कौशल को भी बढ़ाने में क़ामयाब रहीं। इसके बाद लोकल क्रिकेट टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभाओं को पहचानते हुए, वह क्रिकेट को लेकर आगे बढ़ीं। हालांकि विश्व कप के फ़ाइनल में इतना शानदार प्रदर्शन करने वाली तितास के लिए एक ऐसा भी मौक़ा आया, जब उनके परिवार ने उन्हें विदेश जाकर अपने खेल और पढ़ाई को एक साथ जारी रखने की सलाह भी दी।

रणदीप कहते हैं, "वह पढ़ाई में भी काफ़ी अच्छी हैं। 10वीं कक्षा में उसे 93 प्रतिशत मिले थे लेकिन खेल के कारण उसकी पढ़ाई आगे नहीं बढ़ पा रही थी। एक बार मैंने और उसकी मम्मी ने उसे कहा था, 'चलो हम किसी और देश में जाकर रहते हैं। हम ऐसी जगह पर चलते हैं जहां पर तुम वहीं के किसी टीम से क्रिकेट भी खेल पाओगी और साथ में पढ़ाई लिखाई भी कर पाओगी।' तो वह बोली, 'अगर मुझे खेलना है तो इंडिया के लिए ही खेलना है। अगर इंडिया के लिए नहीं खेल पाई तो खेलने का क्या ही फ़ायदा?' इसके अलावा उसके लिए अपने दोस्तों या फिर परिवार के अन्य सदस्यों को छोड़कर कहीं और जाना आसान नहीं था।"

एक तेज़ गेंदबाज़ की पहचान

फ़िलहाल तितास डब्ल्यूपीएल के लिए अपने पिता के साथ वह अपनी गेंदबाज़ी पर लगातार काम कर रही हैं। रणदीप कहते हैं, "हम कई बार देखते हैं कि कोई गेंदबाज़ यॉर्कर डालना चाहता है तो फ़ुल टॉस गिर जाता है। हम इस क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं। साथ ही उसकी गेंदबाज़ी में और ज़्यादा नियंत्रण लाने का प्रयास कर रहे हैं। वह अपने बल्लेबाज़ी पर भी काफ़ी काम रही है।" तितास के पिता एक स्पोर्ट्स बैकग्राउंड से आते हैं और ख़ुद भी एक राज्य स्तरीय एथलीट रह चुके हैं। वह लगातार इस प्रयास में रहते हैं कि तितास मानसिक स्तर पर मज़बूत रहे और उसमें हमेशा एक स्थिरता रहे।

रणदीप अंडर-19 विश्व कप से जुड़ी एक बात कहते हैं," फ़ाइनल से पहले जब उसने मुझे फोन किया तो मैंने बस यही कहा, 'अब तुम फ़ाइनल में पहुंच चुकी हो, तुम्हारा काम ख़त्म हो चुका है।' यह सुनने के बाद वह थोड़ी सी चौंकी और उसने पूछा मैंने ऐसा क्यों कहा। फिर मैंने उसे कहा, 'फ़ाइनल पहुंचना सबसे बड़ी बात है, तुम्हें अब आगे ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है। अब तुम चैंपियन बनो या ना बनो उससे ज़्यादा कुछ आता जाता नहीं है। मैं तुम्हारे प्रदर्शन से बहुत ख़ुश हूं।'

'बस तुम मैदान पर जाकर उस काम को करो, जो तुमने इतने दिनों से सीखा है।'

राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं