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शानका : समर्थकों का प्यार इसलिए है कि हम हर मैच में अंत तक जान लगा देते हैं

लगातार दूसरे एशिया कप ख़िताब की खोज में चल रहे कप्तान को व्यक्तिगत फ़ॉर्म की कमी नहीं खल रही

श्रीलंका एक ऐसी टीम है जिसे आप किसी भी सूरत में पसंद करेंगे। और हो भी क्यों ना - वनडे और टी20आई प्रारूप में कुल मिलाकर 16 एशिया कप खेले गए हैं और श्रीलंका 12 बार फ़ाइनल खेला है और आठ बार ख़िताब उठा चुका है।

वर्तमान टीम में महेला जयवर्दना, कुमार संगाकारा और मुथैया मुरलीधरन जैसे दिग्गज नहीं हैं। फिर भी उनके पास दसून शानका जैसा लोकप्रिय कप्तान है, जिन्होंने टीम के प्रदर्शन में एक बेहतरी दिखाई है। कुसल मेंडिस, सदीरा समराविक्रमा और चरिथ असलंका के रूप में एक युवा लेकिन प्रतिभाशाली मध्यक्रम है, जिसने टीम को सीमित-ओवर क्रिकेट में कुछ यादगार मैच दिए हैं।

एशिया कप की पूर्व संध्या पर शानका ने कहा, "हालिया समय में समर्थकों का प्यार काफ़ी ज़बरदस्त रहा है। जिस तरह लड़के खेलते आ रहे हैं, उससे अधिक समर्थक मैदान पर आकर्षित होते हैं। युवा खिलाड़ियों ने पिछले दो साल में शानदार खेल खेला है और रिकॉर्ड अच्छा रहा है। समर्थक जानते हैं कि परिस्थिति कैसी भी हो, हम अंत तक लड़ाई करते हैं। यह सबसे ज़रूरी बात है।
"भारत के विरुद्ध भी हम गेंदबाज़ी में [पहले] 10 ओवर के बाद लड़ते रहे। समर्थकों को दुनिथ वेल्लालगे या माथीशा पथिराना को देखने में मज़ा आता है। या जैसे चरिथ असलंका या पथुम निसंका अपना योगदान देते हैं। सदीरा और कुसल मेंडिस को भी नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने इतने समय से इन खिलाड़ियों को देखने का इंतज़ार किया है। अब सब अपने काम को छोड़कर उन्हें देखने आ रहे हैं। यह बहुत बढ़िया बात है।"

श्रीलंका को आजकल किसी भी टूर्नामेंट के शुरुआत में फ़ेवरिट नहीं कहा जाता। हालांकि शानका की टीम शायद 'अंडरडॉग' की उपाधि से ज़्यादा विचलित नहीं होते। एक चीज़ जो उनकी कप्तानी में दिखी है कि कैसे टीम बड़े मुक़ाबले के दबाव में संतुलन बनाए रखती है। ठीक वैसे जैसे उन्होंने पाकिस्तान के विरुद्ध बुधवार रात को दिखाया।

मेंडिस और समराविक्रमा की पारियों के बाद जब असलंका ने मैच की आख़िरी गेंद पर दो रन निकालकर टीम को फ़ाइनल में पहुंचाया, तब रात के एक बज चुके थे। फ़ैंस ने तब भी मैदान में पूरे जोश के साथ टीम का अभिवादन किया था। शोर इतना ज़्यादा था कि कई लोगों के स्मार्टवॉच उनसे पूछ रहे थे कि क्या वह किसी शांत जगह में जाना पसंद करेंगे।
शानका ने कहा, "इसमें कोई नई बात नहीं है। किसी भी मैच के बाद मुझे कई ऐसे मेसेज आते हैं, 'क्यों तुम लोग हमें हार्ट अटैक देने पर तुले हो?' (फ़ाइनल के लिया क्वालिफ़ाई करने पर) हम बहुत भावुक हो गए थे और सारे दर्शक भी। हमारे लिए लगातार दो साल फ़ाइनल में खेलना अपने आप में बहुत बड़ी बात है।"

प्रदर्शन के मामले में श्रीलंका का हालिया फ़ॉर्म काफ़ी बढ़िया रहा है। भारत से हार से पहले टीम ने 13 लगातार मैच जीते थे और 14 लगातार मैचों में अपने विपक्षी टीम को ऑल आउट कर लिया था। हालांकि कप्तान का फ़ॉर्म चिंता का विषय है। जनवरी में भारत के विरुद्ध 108 नाबाद बनाने के बाद से उन्होंने 50 का आंकड़ा नहीं छूआ है। इस दौरान उन्होंने 16 पारियों में 10 की औसत से केवल 72.46 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं।

शानका ने कहा, "मैं कप्तानी के दौरान बल्लेबाज़ी के बारे में नहीं सोचता। बल्लेबाज़ होने से ज़्यादा अहम बात है मैदान के बीच में मेरी निर्णयन की क्षमता। मुझे फ़ैसले लेते हुए शांत और स्थिर होने की ज़रूरत है। मुझे लगता है मेरे निर्णयन से टीम को फ़ायदा मिलता आया है, मेरा फ़ॉर्म केसा भी हो। मैं चयनकर्ताओं के विश्वास का आभारी हूं। वह और सपोर्ट स्टाफ़ मुझे ये आत्मविश्वास देते हैं कि मैं टीम के लिए कुछ कर दिखाता रहूं।"

रविवार को शानका के पास एक और मौक़ा है अपनी कप्तानी में एक और यादगार दिन जोड़ने का। अगर वह ऐसा कर जाते हैं तो श्रीलंका भारत के नाम सर्वाधिक एशिया कप ख़िताबों के रिकॉर्ड को बराबर कर लेगा।

एस सुदर्शनन ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं, अनुवाद सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड देबायन सेन ने किया है