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बाप सेर तो बेटा सवा सेर

डलीडे के दमदार प्रदर्शन के बाद विश्व कप में हिस्सा लेने वाले पिता-पुत्रों की जोड़ियों पर एक नज़र

Bas de Leede was the Player of the Match for unbeaten 30 and two wickets, Namibia vs Netherlands, T20 World Cup 2022, 1st round, Group A, Geelong, October 18, 2022

टी20 विश्व कप 2022 के लगातार दो मैचों में प्लेयर ऑफ़ द मैच रहे बास डलीडे के पिता टिम भी विश्व कप खेल चुके हैं  •  ICC via Getty Images

नीदरलैंड्स 2022 टी20 विश्व कप में दो जीत दर्ज करने वाली पहली टीम बन चुकी है। दोनों मुक़ाबलों में उनके प्लेयर ऑफ़ द मैच बास डलीडे ने बड़ी कुशलता के साथ टीम को कठिन परिस्थिति में लक्ष्य हासिल करने में अहम भूमिका निभाई है। अब उनकी मेहनत टीम को सुपर 12 के पड़ाव तक लेकर जाएगा कि नहीं, यह तो इस ग्रुप के आख़िरी मुक़ाबले के बाद ही स्पष्ट होगा।
एक बात तय है, उनके इस प्रदर्शन से उनके पिता टिम बहुत उत्साहित होंगे। टिम लंबे समय तक नीदरलैंड्स के लिए खेले और उन्होंने 1996. 2003 और 2007 के वनडे विश्व कप में हिस्सा भी लिया। मज़े की बात है कि मंगलवार को नामीबिया को हराने में बास के साथ क्रीज़ पर मौजूद टिम प्रिंगल के पिता क्रिस भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर थे। हालांकि उन्होंने न्यूज़ीलैंड के लिए कभी विश्व कप नहीं खेला। ऐसे में हम आपको रूबरू कराते हैं विश्व कप में खेली हुए पिता-पुत्र जोड़ियों के साथ।

दो प्रिंगल और भी थे


1975 में पहले विश्व कप में केन्या, युगांडा, तांज़ानिया और ज़ाम्बिया को जोड़कर ईस्ट अफ़्रीका की टीम ने हिस्सा लिया था। मज़े की बात यह भी है कि इस टीम के ख़िलाफ़ भारत की 1983 अभियान से पहले इकलौती जीत भी दर्ज थी। उस टीम में 43-वर्षीय ओपनिंग गेंदबाज़ थे डॉन प्रिंगल। डॉन के पुत्र डेरेक इंग्लैंड के लिए दो विश्व कप खेले और 1992 फ़ाइनल में 22 पर तीन विकेट के विश्लेषण के साथ इंग्लैंड और पाकिस्तान दोनों टीमों को मिलाकर उस मैच के सबसे सफल गेंदबाज़ रहे। दुर्भाग्यवश ना तो वह इस प्रदर्शन से विश्व कप जीत पाए और ना ही उनके पिता यह दिन देख पाए। 1975 विश्व कप के चार महीने बाद एक सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया।

ब्रॉड को कैसे भूलें?


क्रिस ब्रॉड इंग्लैंड के लिए 1987 विश्व कप का हिस्सा थे। हालांकि उनके तीनों मैच ग्रुप पड़ाव में पाकिस्तान में ही खेले गए और उनमें कुछ ख़ास नहीं करने के कारण मुंबई में खेले गए सेमीफ़ाइनल में और फ़ाइनल में कोलकाता के दर्शकों ने उन्हें खेलते हुए नहीं देखा। हालांकि भारतीय दर्शक 20 साल बाद उनके बेटे स्टुअर्ट का विश्व कप पदार्पण अभियान अच्छे से याद रखेंगे। युवराज सिंह तो शायद ज़िंदगी भर...

यह परिवार है ख़िताब के लिए बेताब


इंग्लैंड बहुत घूम लिए, अब ऑस्ट्रेलिया का रुख़ करें? जेफ़ मार्श 1987 में पहले ऑस्ट्रेलियाई विश्व कप विजयी अभियान का अहम हिस्सा रहे। उनकी और डेविड बून की सलामी जोड़ी विपक्ष को करती थी बेहाल, और मार्श साहब उद्घाटन मैच में भारत पर 1-रन जीत में 110 की पारी के साथ प्लेयर ऑफ़ द मैच रहे। 1999 में जब ऑस्ट्रेलिया अपना दूसरा विश्व कप जीता तो जेफ़ टीम के मुख्य कोच थे। और जब 2015 में ऑस्ट्रेलिया ने आख़िरी वनडे विश्व कप जीता तो जेफ़ के बेटे मिचेल दल का हिस्सा थे।
हालांकि इतने में मिचेल कहां रुकने वाले थे। अगर पिता ने अपने देश को पहला वनडे ख़िताब दिलवाया, तो पुत्र ने 34 साल बाद टी20 प्रारूप में पहले टाइटल में प्लेयर ऑफ़ द फ़ाइनल बनकर इतिहास बनाया।

अच्छा, क्रिस केर्न्स के पिता भी तो विश्व कप खेले ना?


अरे क्या ख़ूब खेले लांस केर्न्स। अपने बेटे से पहले बड़े शॉट लगाने वाले न्यूज़ीलैंड ऑलराउंडर की भूमिका वही निभाते थे। वह 1975 से 1983 तक विश्व कप खेले, और बेटे क्रिस ने 1992 से 2003 तक अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। ऐसे में कोई अचरज नहीं कि न्यूज़ीलैंड के लिए 39 विश्व कप मैचों के स्कोरकार्ड में केर्न्स नाम आपको दिख जाएगा।

ज़िम्बाब्वे से भी कुछ परिवार विश्व कप खेले, नहीं?


बिल्कुल। 1987 और 1992 के विश्व कप अभियान में उनके लिए तेज़ गेंदबाज़ी की कमान मैल्कम जार्विस के हाथों में थी। 2012 के टी20 विश्व कप में उनके बेटे काइल जार्विस ज़िम्बाब्वे के लिए खेलते दिखे।

कुछ और यादगार नाम?


न्यूज़ीलैंड से ही रॉड और टॉम लेथम दोनों विश्व कप का हिस्सा रहे हैं। वैसे जेफ़ के पहले बेटे शॉन भी 2019 में वनडे विश्व कप खेले। मैल्कम जार्विस के साथी ऐंडी वॉलर और उनके पुत्र मैल्कम वॉलर भी ज़िम्बाब्वे के लिए विश्व कप खेल चुके हैं। और जहां नवनियुक्त बीसीसीआई अध्यक्ष रॉजर बिन्नी 1983 के सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे और 1987 में भी गत विजेता भारत के लिए पहला मैच खेले, उनके बेटे स्टुअर्ट 2015 में भारतीय दल में थे लेकिन एक भी मैच में प्लेइंग XI का हिस्सा नहीं बन पाए।
पिता-पुत्र की एक और ऐसी जोड़ी है जहां केविन करन ने ज़िम्बाब्वे की ओर से विश्व कप खेला था (वह 1983 में टनब्रिज वेल्स मैदान पर कपिल देव की 175 रनों की पारी वाले मैच का हिस्सा थे)। उनके सुपुत्र टॉम 2019 में इंग्लैंड की विश्व विजेता टीम का हिस्सा थे। पूरे टूर्नामेंट में एक भी मैच खेले बिना टॉम विश्व विजेता बने थे।

देबायन सेन ESPNcricinfo के सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख हैं।