जस्सी जैसा वाक़ई कोई नहीं
जब तक जसप्रीत बुमराह क्रिकेट में नहीं आए थे, तो उन जैसे गेंदबाज़ की कल्पना करना भी असंभव था
यह मान लीजिए कि हम आधुनिक क्रिकेट के लिए एक आदर्श तेज़ गेंदबाज़ की संरचना कर रहे हैं। हां, यह पता है कि वैसे कोई भी गेंदबाज़ पूरी तरह परफ़ेक्ट नहीं होता। तेज़ गेंदबाज़ उस चट्टान की तरह होता है जो समय और बदलते मौसम से जूझते हुए और निखर कर मज़बूत होता है
फिर भी, यह बताइए आप किन-किन गेंदबाज़ों के बारे में सोच रहे हैं।
अगर आपका एक्शन असाधारण है, तो यह क़ुदरत द्वारा दिया गया एक वरदान बनता है। जैसे कि लसिथ मलिंगा का एक्शन था। पहली बार खेलते हुए एक पहेली और आगे के मुलाक़ातों में भी पढ़ने में मुश्किल। ऐसा एक्शन जिसमें तेज़ गेंदबाज़ी करना शायद असंभव लगे, लेकिन करते हुए आप बल्लेबाज़ के मन और मस्तिष्क के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं।
अब इन तीनों का समागम कीजिए और वैसे भी हेडलाइन से आपको जवाब मिल ही गया है। वाक़ई जसप्रीत बुमराह जैसा कोई नहीं।
यह सिर्फ़ बुमराह के इस विश्व कप के दौरान फ़ॉर्म को संदर्भ देने के लिए उनकी ख़ूबियों को चरितार्थ करते हैं। ऐसा भी सोच सकते हैं - बुमराह जो कर रहे हैं उसको समझना काफ़ी कठिन है। लेकिन इन तीनों महान गेंदबाज़ों की परछाई को याद करते हुए हम कुछ हद तक बुमराह की गेंदबाज़ी की सही तौर पर प्रशंसा कर सकते हैं।
उनकी नई गेंद की स्पेल्स से शुरू करते हैं। अगर आपने एक भी गेंद नहीं देखी हो, तो यहां डाटा ही पर्याप्त है। बुमराह ने पहले 10 ओवरों में 2.94 की इकॉनमी से गेंदबाज़ी की है, जो आजकल टेस्ट क्रिकेट में भी देखने को नहीं मिलती। इस विश्व कप में औसतन गेंदबाज़ों ने इस पड़ाव में 5.51 रन प्रति ओवर दिए हैं और कोई और गेंदबाज़ चार से कम की इकॉनमी भी नहीं रख पाया है।
किसी पारी में शुरुआत से ही बल्लेबाज़ों पर दबाव बनाने में यह मैक्ग्रा की शैली जैसी गेंदबाज़ी हुई। रन बनाना छोड़िए, बल्लेबाज़ ऐसी गेंदबाज़ी के सामने टिका कैसे रह सकता है? पथुम निसंका को यह पहली गेंद पर ही पता चला, जब एक तेज़ लेगब्रेक उनके बल्ले को छकाती हुई स्टंप्स के सामने उनके पैड से जा टकराई। ट्रेंट बोल्ट, मिचेल स्टार्क और शाहीन शाह अफ़रीदी जैसे प्रतिभाशाली गेंदबाज़ भी इस टूर्नामेंट में नई गेंद से सही लेंथ ढूंढने में असहज दिखे हैं, जहां बुमराह पहली गेंद पर ऐसा कर सकते हैं।
इसके अलावा वह एक बल्लेबाज़ की तकनीक की कड़ी परीक्षा भी लेते हैं, जैसा उन्होंने मिचेल मार्श के साथ किया। चौथी स्टंप पर पांच लगातार गेंद ऐसी लेंथ पर, कि मार्श को उन पर बल्ला लगाने की कोशिश करनी पड़ी। इसके बाद थोड़ा लेंथ अपनी तरफ़ खींचते हुए एक अंदर आती गेंद, उसी लाइन पर, जिस पर मार्श को खेलना ही पड़ा और बल्ला बाहरी किनारा लेती स्लिप पर गई।
भारत की गेंदबाज़ी के चलते बुमराह ने डेथ ओवर्स में सबसे कम ओवर डालें हैं लेकिन उनके लिए गए लगभग आधे विकेट इस पड़ाव में हैं। यह निपुणता मुंबई इंडियंस में मलिंगा के साथ गेंदबाज़ी के गुण सीखने वाले एक गेंदबाज़ के लिए सटीक है। विकेट लेंने के लिए ऑफ़ कटर, धीमे बाउंसर, सीम अप गेंदें और यॉर्कर सब देखने को मिली हैं।
बुमराह की गेंदबाज़ी में एक ही साथ अमिताभ बच्चन और नसीरउद्दीन शाह वाली बात दिखी है। मैच के शांतिपूर्ण पड़ावों में मैजिक बॉल डालने की क्षमता के साथ ही दबाव का संचार करते हुए विकेट निकालना भी - साधारण फ़ैन और गंभीर विश्लेषक दोनों को आंदोलित करने वाली विकटें।
आज से 20 साल पहले विश्व कप में ही आशीष नेहरा ने 149 किमी प्रति घंटा का स्पीड हासिल कर दिखाया था। यह भारतीय क्रिकेट में तेज़ गेंदबाज़ी के जन्म का एक सटीक समय कहा जा सकता है। इसके बाद संसाधन बढ़ें हैं, आईपीएल ने भी असर डाला है, लेकिन इरफ़ान पठान, श्रीसंत और आर पी सिंह के बीच होते हुए एम एस धोनी की कप्तानी में इशांत शर्मा और ज़हीर ख़ान जैसे गेंदबाज़ परिपक्व बने। मोहम्मद सिराज और मोहम्मद शमी भी इस धारावाहिकता की अगली कड़ियां बताई जा सकती हैं।
बुमराह? सच पूछिए तो ना तो उनसा कोई पहले आया है और ना ही उनसा कोई आगे आने की उम्मीद है। वह हर मामले में एक अपवाद ही हैं। जब तक वह आए नहीं थे, तब तक उनके जैसे किसी की कल्पना नहीं की जा सकती थी। यही उम्मीद की जा सकती है कि जब वह गेम को अलविदा कह देंगे तो उनके जैसा कोई भविष्य में भी उनकी परछाई बनकर लौटेगा।
ओसमान समिउद्दीन ESPNcricinfo के सीनियर एडिटर हैं। अनुवाद Espncricinfo हिंदी के भाषा लीड और सीनियर सहायक एडिटर देबायन सेन ने किया है